‘मज़दूरों को उनके घर भेजो’ क्यों कर रहा है ट्विटर पर ट्रेंड?

‘मज़दूरों को उनके घर भेजो’ क्यों कर रहा है ट्विटर पर ट्रेंड?

रविवार शाम को अचानक ट्विटर पर हैशटैग #BringMigrantsHome ट्रेंड करने लगा। ट्विटर यूजर्स ने सरकार की नाकामी पर जमकर भड़ास निकाली और प्रवासी मज़दूरों को उनके घर वापस भेजने की मांग की।

उल्लेखनीय है कि अचानक लॉकडाउन के कारण लाखों प्रवासी मज़दूर देश भर में जहां तहां फंस गए हैं और जबसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोटा से छात्रों को उनके घर पहुंचाने का इंतज़ाम किया है, प्रवासी मज़दूरों के लिए भी ये मांग ज़ोर पकड़ने लगी है।

ट्विटर हैंडल @K4__Karan ने लिखा है कि प्रवासी मज़दूरों की घर वापसी के लिए एक सुनिश्चित नीति की घोषणा की जानी चाहिए। 

वहीं अरित्रा भट्टाचार्या ने ट्विटर हैंडल @writetoAritra से लिखा है कि जब सोशल डिस्टेंसिंग फेल हो चुका है, सरकार राशन और रहने का इंतज़ाम नहीं कर रही है, हमारी मांग है कि प्रवासी मज़दूरों को उनके घर लाया जाए।

ट्विटर हैंडल @Tanmoy_Fetsu से तन्मय घोष ने लिखा है कि संविधान के अनुसार इस देश में जो अधिकार अमीरों के हैं, वही ग़रीबों के हैं। अगर अमीरों को चार्टर्ड हवाई जहाज से वापस भेजा जा सकता है तो मज़दूरों को क्यों नहीं। गृह मंत्रालय कृपया मज़दूरों को उनके घर पहुंचाएं।

केंद्र सरकार को लिखा ख़त

इस ट्विटर हैंडल से एक गृह सचिव भारत सरकार को एक ख़त भी लिखा गया है जिसमें मज़दूरों को उनके घर भेजने का इंतज़ाम करने की बात कही गई है।

सव्यसाची मुखर्जी ने लिखा है कि 96% प्रवासी मज़दूरों को सरकार की ओर से राशन नहीं मिला, 98% मज़दूरों को लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं मिला। मज़दूरों को उनके घर वापस लाओ।

मनीषा शर्मा (@manisha_sharma) ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा है कि ये कितना सही है कि कुछ भारतीयों को घर पहुंचाने के लिए सुरक्षित और आरामदायक सुविधा मुहैया कराई गई और अन्य लोगों पर ज़बरदस्ती लॉकडाउन थोपा गया, जबकि उन्हें जीने भर की भी सुविधा नहीं है।

एक ट्विटर यूज़र सुमित ने @00Sumitkumar हैंडल से लिखा है कि अमीरों पर 40% टैक्स लगाया जाए। दौलत रखने वालों पर अलग से टैक्स लगे। कोरोना वायरस से निपटने  के लिए 10 लाख रुपये से अधिक इनकम वालों पर एकमुश्त 4% टैक्स लगे और ग़रीबों के खातों में सीधे 5000 रुपये जमा किए जाएं। 

गौरतलब है कि सरकार के इनकम टैक्स अधिकारी ने अमीरों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है।

 

यूपी, ओडिशा, एमपी, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र ने किया वादा

लक्ष्मी रेड्डी ने ट्विटर हैंडल @MLREDDY251918 पर लिखा है कि अधिकांश भारतीयों के पास एक हफ़्ते से भी कम का राशन बचा है। एफ़सीआई के गोदामों का ताला खोल देना चाहिए और तत्काल टेंपरेरी राशन कार्ड बनाना चाहिए। 
मज़दूरों को घर वापस लाने की मांग जैसे जैसे ज़ोर पकड़ रही है, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा की राज्य सरकारों ने केंद्र पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उनकी सरकार इस मामले पर विचार कर रही है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही रोडवेज़ की बसों को तैयार करना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ के सरकार ने गृह सचिव को चिट्ठी लिखी है।
ओडिशा सरकार ने एक आंकलन किया है कि उनके यहां से 7.5 लाख प्रवासी वर्कर दूसरे राज्यों में गए हैं और उनके लाने का इंतज़ाम भी कर लिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के पास प्रवासी मज़दूरों को उनके घर भेजने के अलावा सरकार के पास कोई और चारा नहीं है क्योंकि लॉकडाउन घोषित हुए क़रीब 40 दिन बीत चुके हैं और सरकार मज़दूरों को सुविधाएं देने में पूरी तरह विफल रही है। जिसकी वजह से वो जल्द से जल्द अपने गांव लौट जाना चाहते हैं।

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Workers Unity Team