बीजेपी सासंद ने BSNL के 88,000 कर्मचरियों को गद्दार और कामचोर कहा, काम से निकाले जाएंगे सभी
निजीकरण का विरोध करने वाले कर्मचारी अब भाजपा के लिए गद्दार, देशद्रोही और कामचोर हो गए हैं।
कर्नाटक से बीजेपी बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने बीएसएनएल को देश का कलंक, कर्मचारियों को गद्दार और कामचोर कहा, और इसे निजी कंपनियों को बेच देने की बात दुहराई।
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड को मोदी सरका बेचने जा रही है और इसके क़रीब 88 हज़ार कर्मचारियों-अधिकारियों पर वीआरएस लेने की दबाव डाला जा रहा है।
डेक्कन हेराल्ड की ख़बर के अनुसार, बीते सोमवार को हेगड़े ने कहा कि बीएसएनएल के कर्मचारी ‘गद्दार हैं और काम से जी चुराते हैं।’
कर्नाटक में बीएसएनएल के खराब नेटवर्क का हवाला देते हुए कर्मचारियों के लिए हेगड़े ने अपशब्द कहे। ये बातें उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की एक जनसभा में सार्वजनिक रूप से कहा।
उन्होंने कहा, ” यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो गद्दारों से भरी है। लोग जानते हैं कि बीएसएनएल नेटवर्क कैसा है। यह उत्तर कन्नड़ में अभी भी बेहतर है लेकिन बेंगलुरु में आपको नेटवर्क बिल्कुल नहीं मिलेगा। पूरा बीएसएनएल देश के लिए कलंक है।”
हटाए जाएंगे 85,000 कर्मचारी
ये कहते हुए हेगड़ ने बीएसएनएल को बेचने को सही ठहराते हुए कहा कि ‘यही शब्द उनके लिए सबसे सटीक है और मोदी सरकार ने भी इसे ठीक करने की कोशिश की लेकिन वो असफल रहे। अब निजी हाथों में देकर ही इसे ठीक किया जा सकता है।’
हेगड़े यहीं नहीं रुके, उन्होंने जन सभा में एक वाक़या साझा करते हुए कहा कि पिछली बार जब वो इस क्षेत्र के बीएसएनएल अधिकारियों से मिले तो उन्हें डांटा था और कहा था कि “आप सिर्फ सरकारी अधिकारी ही नहीं, राष्ट्र विरोधी भी हैं।”
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि ‘सरकार धन देने के लिए तैयार है, बुनियादी ढांचा तैयार है, लेकिन वो काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। देश भर में 85000 बीएसएनएल कर्मचारियों को हटाने का फैसला लिया गया है। अगर कुछ और हटाने की ज़रूरत होगी तो वो भी किया जाएगा।’
हेगड़ने के कहा कि ‘हम बीएसएनएल को ठीक करने के लिए बड़ी सर्जरी करेंगे, उसका निजीकरण करेंगे, दूसरा कोई रास्ता नहीं है।’
हेगड़े उत्तर उत्तर कन्नड़ से छह बार लोकसभा सदस्य हैं। बीते फरवरी में आज़ादी की लड़ाई को लेकर एक विवादित बयान दिया था, जिसमें कहा था कि ‘स्वतंत्रता संग्राम एक नाटक था, सत्याग्रह से हमें आज़ादी नहीं मिली।’ उनका इशारा महात्मा गांधी के योगदान को नकारने वाला था।
बीएसएनएल बेचना सरकार की साजिश!
बीएसएनएल के टॉवरों को रिलायंस जियो को बेचा जा रहा है, जिसका कर्मचारी संगठनों ने विरोध भी किया था। हाल ही में कर्मचारी यूनियनों ने मोदी सरकार से 4जी की अनुमति देने की मांग की थी। लेकिन मोदी इसका सौदा पक्का करने पर तुले हुए हैं।
ये विडंबना ही है कि देश में 3जी का सबसे पहले लाइसेंस बीएसएनएल को दिया गया लेकिन जब 4जी आया तो बीएसएनएल को छोड़ बाकी निजी कंपनियों को इसका लाइसेंस दिया गया।
बीएसएनएल को बर्बाद करने में सरकार की ओर से जानबूझ कर कोशिशें की गईं। यूनियन नेताओं का कहना है कि पहले इसे सरकारी कंपनी से निगम बनाया गया और फिर इसे धीरे धीरे वहां पहुंचा दिया गया जहां इसे औने पौने दामों में अंबानी की जियो कंपनी को बेचा जा सके।
यूनियनों ने बीएसएनएल की अकूत अचल संपत्तियों का भी ब्योरा सार्वजनिक करके दावा किया था कि सरकार की नज़र इन अचल संपत्तियों को अपने मित्र पूंजीपतियों के हवाले करने पर है।
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