अगर कंपनी आपके ओरिजनल सर्टिफिकेट मांगती है, तो क्या करना चाहिए?
अगर आप नौकरी ढूँढने गए हों और आपके नियोक्ता या इम्प्लॉयर ने आपसे ओरिजनल सर्टिफिकेट जमा करने कहा हो या पुरानी कंपनी आपके सर्टिफिकेट वापस करने में आनाकानी कर रही हो, तो ऐसी सूरत में क्या करना चाहिए?
आपको बता दें की कानूनी तौर पर किसी के भी ओरिजनल सर्टिफिकेट कोई भी फर्म, कंपनी या शैक्षणिक संस्थान अपने पास नहीं रख सकता है।
मद्रास हाई कोर्ट के साल 2014 के आदेश के मुताबिक अगर कोई नियोक्ता ऐसा करता है, तो वह गैरकानूनी है और आप तुरंत सर्टिफिकेट वापस करने की मांग कर सकते हैं।
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नई नौकरी की जगह पर आपसे ओरिजनल सर्टिफिकेट दिखाने को कहा जा सकता है, लेकिन वह सिर्फ वेरफाइ या सत्यापित करने के लिए दिखाने को कहा जा सकता है।
किसी भी हालत में नियोक्ता ओरिजनल सर्टिफिकेट अपने पास जमा नहीं कर सकते हैं।
किसी भी बोर्ड या आधिकारिक मण्डल द्वारा जारी की गई हर डिग्री सर्टिफिकेट की एक क्रमिक संख्या या सीरीयल नंबर होता है जिससे उसकी जांच और मिलान की जा सकती है।
सर्टिफिकेट की कॉपी से भी दिए हुए नंबर का इस्तेमाल कर सर्टिफिकेट जारी करने वाले बोर्ड से उसे वेरीफाई किया जा सकता है।
अगर इम्प्लॉयर सर्टिफिकेट देने को राजी ना हो, तो आप उसे लीगल नोटिस भेज सकते हैं और लेबर कोर्ट में इसकी शिकायत कर सकते हैं।
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यह अक्सर देखा जाता है कि इम्प्लॉयर अपने वर्करों की ओरिजनल सर्टिफिकेट जब्त कर रख लेते हैं ताकि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के पहले या इम्प्लॉयर की मर्जी के खिलाफ कोई काम छोड़ कर वर्कर किसी दूसरी जगह काम करने ना जा सके।
लेकिन यह भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है। मौलिक अधिकार हमें समानता की आजादी और अपनी मर्जी से पेशा चुनने का हक देता है।
अगर कोई नियोक्ता अपनी मर्जी के मुताबिक आपका ओरिजनल सर्टिफिकेट वापस करने से मना कर दे, तो यह आपके काम करने की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट के मुताबिक, किसी के मर्जी के विरुद्ध उससे जबरदस्ती कराया गया काम बंधवा मजदूरी या गुलामी की श्रेणी में आता है जिसकी सजा जेल है।
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