5 साल से जेल में बंद छत्तीसगढ़ के 121 आदिवासी बाइज्जत बरी: NIA की अदालत का फैसला
छत्तीसगढ़ के बस्तर में यूएपीए समेत अन्य गंभीर धाराओं में जेल में बंद 121 आदिवासियों को दंतेवाड़ा की एनआईए की अदालत ने रिहा करने का फ़ैसला सुनाया है।
ये सभी आदिवासी पिछले 5 सालों से भी अधिक समय से जेल में बंद थे। अदालत के फ़ैसले के बाद पिछले शनिवार की शाम इन आदिवासियों की रिहाई हुई।
बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक, सुंदरराज पी के अनुसार जगदलपुर केंद्रीय जेल में बंद 110 और दंतेवाड़ा जेल में बंद तीन लोगों को शनिवार को रिहा किया गया। वहीं बाकी आठ लोगों पर दूसरे मामले दर्ज हैं, इसलिए उनकी रिहाई अभी नहीं हो सकी है।
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इन आदिवासियों को 24 अप्रैल 2017 को सुकमा ज़िले के बुरकापाल में हुए एक माओवादी हमले के बाद गिरफ़्तार किया गया था।
बचाव पक्ष की वकील बेला भाटिया ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA मामलों के विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलरे ने शुक्रवार को आरोपियों को बरी कर दिया, यह देखते हुए कि अभियोजन अपराध में उनकी भागीदारी और नक्सलियों से संबंध स्थापित करने में विफल रहा।
शनिवार को उपलब्ध हुए आदेश में यह भी कहा गया है कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी के कब्जे से कोई भी हथियार या गोला-बारूद बरामद किया गया था।
गौरतलब है कि 24 अप्रैल, 2017 को सुकमा जिले के बुरकापाल गांव के पास नक्सलियों ने CRPF की एक टीम पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें अर्धसैनिक बल की 74वीं बटालियन के 25 जवानों की मौत हो गई थी।
2019 में भी हुई थी कुछ गिरफ्तारियां
मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने कहा, CRPF की टीम बुरकापाल और जगरगुंडा के बीच के इलाके को सेनेटाइज कर रही थी जहां सड़क बन रही थी।
हमले के सिलसिले में बाद में एक महिला सहित आदिवासी समुदाय के 121 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
उनमें से ज्यादातर को 2017 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि कुछ को 2018 और 2019 में गिरफ्तार किया गया था।
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उन्होंने कहा कि उन पर भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, छत्तीसगढ़ विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
भाटिया ने पूछा, “उन्हें आखिरकार न्याय मिल गया है, लेकिन उन्होंने एक अपराध के लिए इतने साल जेल में क्यों बिताए? इसकी भरपाई कौन करेगा?”
पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार, 113 आरोपी – जिनमें से 110 जगदलपुर केंद्रीय जेल और तीन दंतेवाड़ा जिला जेल में बंद है उनको रिहा कर दिया जाएगा। शेष आठ आरोपियों को रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि वे अन्य मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं।
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