बकाया सैलरी मांगने गए मज़दूरों पर बंदूक के फ़ायर, पुलिस ने नहीं लिखी एफ़आईआर
लॉकडाउन की आड़ में छंटनी, तालाबंदी, वेतन कटौती और वेतन हड़पने की ख़बरों के बीच सोमवार को सोनीपत के कुंडली में एक फ़ैक्ट्री से अपनी बकाया सैलरी की मांग करने गए मज़दूरों पर गोली चलने की ख़बर है।
मज़दूर अधिकार संगठन के एक कार्यकर्ता ने बताया कि संगठन अलग-अलग फैक्ट्रियों में फंसे हुए काम के पैसे लेने के लिए मज़दूरों की मदद कर रहा है।
मज़दूर जुलूस के रूप में अलग-अलग कंपनियों के बाहर धरना प्रदर्शन कर अपना वेतन मांग रहे हैं। घटना के समय की वायरल वीडियो में गोली की आवाज़ को साफ़ सुना जा सकता है।
संगठन से जुड़े कार्यकर्ता शिव कुमार ने बताया कि ‘सोमवार को दो कंपनियों ने मजदूरों के रुपया देने के लिए टाइम दिया। लेकिन जब तीसरी कंपनी (नंबर 367, मैगी कंपनी) पहुंचे तो गेट बंद था। अंदर से किसी ने कोई रिप्लाई नहीं किया तो मजदूर वहीं पर धरने पर बैठ गए।’
शिव कुमार ने बताया कि, ‘धरना शुरू होने के कुछ ही देर बाद KIA के गुंडे हाथों में डंडे लेकर आये और मजदूरों पर हमला बोल दिया। अपने बचाव में मजदूरों ने भी धक्का-मुक्की की तो उनमें से एक ने मजदूरों पर पिस्तौल से फायर किया।’
बंदूक चलने से अफरा तफ़री मच गई और जब वहां कुंडली थाने से एक पुलिस सिपाही वहाँ पहुंचा, तो मजदूरों ने गोली चलाने की बात कही तो सबूत मांगा गया? गोली का खाली कारतूस मांगा गया।
मज़दूरों का आरोप है कि उस सिपाही का रवैया भी आंदोलित मजदूरों के ख़िलाफ़ था। इसकी शिकायत को लेकर जब मजदूर कुंडली थाना में पहुंचे तो कुंडली पुलिस का रवैया गोली चलाने वाले गुंडों के पक्ष में था इसके बाद मजदूर वापस आ गए और सोनीपत पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत की।
मज़दूर अधिकार संगठन ने एक बयान जारी कर कहा कि, ‘मजदूरों के वेतन के पैसे मालिक दे नहीं रहे हैं और जब मजदूर वेतन लेने के लिए एकजुट होकर शांतिपूर्वक आंदोलन करते हैं तो “KIA ” के गुंडे हमला करते हैं और पुलिस कहती है कि “तुम पैसे लेने क्यों गए थे? हमारे पास आते।”
शिव कुमार ने कहा कि ‘आमतौर पर जब मजदूर पुलिस के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि “यह हमारा महकमा नहीं है।” ऐसे में मजदूरों का हक मारा जा रहा है।’
उन्होने कहा, ‘मजदूरों का ल\कडाउन से पहले का भी वेतन रुका हुआ है मज़दूर अपनी जरूरतें पूरी करने में असमर्थ है और आंदोलन करने पर मजबूर हैं।’
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