एसीसी सीमेंट प्लांट में स्लैग में दबकर आदिवासी ठेका मज़दूर की मौत, शव के साथ मजदूर धरने पर बैठे
By रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार
झारखंड के सिंहभूम स्थित एसीसी प्लांट में एक ठेका मज़दूर की स्लैग (कंकड़ साफ़ करने के बाद बचा मलबा) में दबकर मौत के बाद, मज़दूर शव के साथ ही धरने पर बैठ गए।
इसके बाद हरकत में आए कंपनी प्रबंधन ने परिजनों को 13 लाख रुपये और एक परिजन को तत्काल नौकरी देने की बात मान ली है।
ख़बर के अनुसार, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के झींकपानी प्रखंड मुख्यालय स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट में काम के दौरान ठेका मजदूर 54 वर्षीय सुकरा गोप की मौत 3 अगस्त की सुबह हो गयी।
मालूम हो कि सुकरा गोप पश्चिमी सिंहभूम जिला के मंझारी प्रखंड के ईचाकुटी गांव का रहने वाला था। उसकी ड्यूटी एसीसी सीमेंट प्लांट में रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक की थी।
सुकरा 3 अगस्त को सुबह साढ़े पांच बजे कारखाने के अंदर सीमेंट मिल के स्लैग ड्रायर में काम कर रहा था, उस समय वह दो सेलों के बीच हाॅपर पर जाम हटा रहा था।
इसी क्रम में पेलोडर से हाॅपर में स्लैग डंप कर दिया गया, जिससे वह स्लैब से दब गया व दम घुटने से मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गयी।
मजदूरों ने बताया कि हाॅपर में स्लैग डंप करने के दौरान वहाँ सुरक्षा मामले को लेकर किसी तरह की व्यवस्था नहीं थी, जिससे पेलोडर चालक भी सुकरा को नहीं देख सका।
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निष्पक्ष जांच और 20 लाख मुआवाज़े की मांग
थोड़ी देर बाद घटना की जानकारी मिली, तो फैक्ट्री में अफरा-तफरी मच गयी। आनन-फानन में सुकरा को एसीसी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ चिकित्सकों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी।
मजदूरों ने ही बताया कि दुर्घटना के समय वहाँ सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे पूर्व भी 10-12 वर्ष पहले स्लैग ड्रायर के पास काम के दौरान दो एसआईएस के जवान की मौत पेलोडर की चपेट में आने से हो गयी थी।
मजदूरों ने यह भी बताया कि दुर्घटना के बाद कारखाने में सायरन बजाकर सभी को अलर्ट किया जाता है, लेकिन सुकरा की हुई दुर्घटना के बाद सायरन भी नहीं बजाया गया।
ठेका मज़दूर सुकरा गोप के साथी मजदूरों व परिजनों को जब दुर्घटना की जानकारी मिली, तो वे लोग दुर्घटना की निष्पक्ष जांच कराने, सुकरा के परिजनों को 20 लाख रूपये मुआवजा देने व सुकरा के परिवार के एक सदस्य को एसीसी सीमेंट प्लांट में स्थायी नौकरी देने की मांग करने लगे, लेकिन कम्पनी प्रबंधन उनकी मांगों को सुनने को तैयार नहीं हुए।
इसके बाद 4 अगस्त की सुबह मृतक ठेका मजदूर सुकरा गोप की लाश के साथ उनके साथी मजदूर व परिजन कम्पनी गेट पर झारखंड जनरल मज़दूर यूनियन के बैनर तले धरना पर बैठ गये।
झारखंड जनरल मजदूर यूनियन के नेता जाॅन मिरन मुंडा कहते हैं कि ‘यह दुर्घटना कम्पनी प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुई है। कम्पनी प्रबंधन मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।’
फिलहाल मजदूरों व मृतक के परिजनों की कुछ मांगों को कम्पनी प्रबंधन ने मान लिया है, जिसके तहत मृतक के परिजन को 13 लाख रूपये और पुत्र लखिन्द्र गोप को लोको यार्ड में प्वाइंट मैन की नौकरी दी गयी है।
इन दो मांगों को मान लेने का लिखित आश्वासन मिलने व निष्पक्ष जांच का मौखिक आश्वासन मिलने के बाद धरना को खत्म कर दिया गया है।
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ठेकेदारों को पैसा देकर दबा दिया जाता है मामला
यहाँ जब भी कोई दुर्घटना घटी है, कम्पनी प्रबंधन दलालों को लाखों रूपये दे देते हैं और मजदूरों को बहुत कम मुआवज़ा देकर अपनी जान बचा लेते हैं, लेकिन इस बार कम्पनी प्रबंधन को हमारी मांगें माननी ही होगी।’
धरनास्थल पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता माधव चन्द्र कुंकल कहते हैं कि ‘दुर्घटना के बाद एसडीपीओ, एसडीओ, पुलिस निरीक्षक सभी आए हैं, लेकिन झारखंड सरकार के एक भी विधायक व स्थानीय सांसद गीता कोड़ा (कांग्रेस) नहीं आए हैं।’
वे बताते हैं कि ‘मैंने ट्वीटर के जरिए झारखंड के मुख्यमंत्री से लेकर सभी पदाधिकारी को भी घटना की जानकारी दी है, फिर भी कम्पनी प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और ना ही मजदूरों व उनके परिजनों की मांगों को माना जा रहा है।’
मृतक ठेका मजदूर सुकरा गोप की पत्नी रोयबरी गोप और पुत्र लखिन्द्र गोप भी दुर्घटना की निष्पक्ष जांच कराने, 20 लाख रूपये मुआवजा देने व स्थायी नौकरी की मांग को दोहराते हैं और मांग पूरी होने तक धरना पर ही बैठे रहने की बात कही।
ठेका मजदूर सुकरा गोप की मृत्यु इस बात का प्रमाण है कि ये कम्पनियाँ मजदूरों को कोई भी सुरक्षा उपकरण ना देकर जान-बूझकर उनकी जिंदगी को को दांव पर लगाती है।
मजदूर की मृत्यु हो जाने पर अपने दलालों के जरिए कुछ पैसे मृतक मजदूर के परिवार को देकर उनका मुंह बंद कर देती है।
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