एक तरफ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी, दूसरी तरफ़ दिल्ली में मज़दूरों के घर पर जेसीबी चलती रही

एक तरफ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी, दूसरी तरफ़ दिल्ली में मज़दूरों के घर पर जेसीबी चलती रही

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच एक तरफ़ जहां लॉकडाउन लगाया जा रहा है और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही है, दूसरी तरफ़ सरकारी एजेंसियां कानून को ताक पर रख कर हाशिए पर रहने वालों को उनकी झुग्गी झोपड़ी से भी उजाड़ने में लगी हुई हैं।

इसका एक ताज़ा उदाहरण दिल्ली के कालका स्टोन क्षेत्र में सोमवार को मिला, जब एक तरफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी, दूसरी तरफ़ फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बेदखली की कार्यवाही शुरू कर दी।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के लाल कुआं के कालका स्टोन क्षेत्र में सोमवार को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा जबरदस्ती बेदखली शुरू करने से लोगों में आक्रोश है। ये तब हो रहा है जब फातमा एंड अदर्स बनाम डीयूएसआईबी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते 7 अप्रैल को ही स्टे दे दिया था।

दिलचस्प बात ये है कि फातमा एंड अदर्स बनाम डीयूएसआईबी मामले में एक इंप्लीडमेंट अपील दायर की गई थी जिसकी सुनवाई सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही थी।

protest against kalka stone area shanty in delhi demolished

लेकिन सरकारी एजेंसियों की मनमानी से कालका स्टोन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जबरन बेदखली का सामना करना पड़ा।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने बताया कि उन्होंने प्रिंसिपल चीफ़ कंज़र्वेटर ऑफ़ फ़ारेस्ट दिल्ली, डीसीपी साउथ ईस्ट दिल्ली, डीयूएसआईबी के चेयरपर्सन, दिल्ली सरकार के चीफ़ सेक्रेटरी, प्रहलादपुर के एसएचओ और डिप्टी कंज़रवेटर फॉरेस्ट को चिट्ठी लिख कर जबरन बेदखली पर तुरंत रोक लगाने की अपील की है।

मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा है कि वास्तव में कालका स्टोन लाल कुंआ क्षेत्र में रहने वाले हर व्यक्ति के पास 2015 के पहले रहने के अपने दस्तावेज मौजूद हैं और यह समस्त दस्तावेज यहां के लगभग 95 से अधिक परिवारों ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमा करवा कर याचिकाकर्ता के रूप में कोर्ट से दरखास्त की है कि उनको राहत दी जाए।

kalka stone area shanty in delhi demolished 2

लेकिन फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने उक्त समस्त आदेशों को न मानते हुए जबरन बेदखली जारी रखी जिससे कई घरों को ढहा दिया गया।

बयान में कहा गया है कि ‘कोरोना काल के दौरान जहां केंद्र एवं राज्य सरकारें इस देश को नसीहत दे रही हैं कि लोग अपने घरों में रहे दूरी बना कर रहें लेकिन कथनी और करनी में बहुत अंतर दिख रहा है। एक तरफ मगरमच्छ की भांति कोरोना मुंह फाड़ कर खड़ा है तो दूसरी और डायनासोर की भांति मुंह फाड़ कर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट एवं मौजूदा सरकार हमले कर रही है।’

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों का ही नारा रहा है- जहां झुग्गी वहीं मकान। लेकिन जबसे पीएम मोदी ने आपदा को अवसर में बदल देने का नारा लगाया है सरकारी एजेंसियों ने खुले हाथ मज़दूरों पर अपना ज़ोर दिखाना शुरू कर दिया है।

दिल्ली समेत पूरे एनसीआर क्षेत्र में अबतक दर्जनों झुग्गियों को तोड़ दिया गया और हर मामले में कोर्ट पीड़ितों के आंसू भी पोंछ पाने में नाकाम साबित हुआ।

(फ़ोटोः निर्मल गोराना द्वारा उपलब्ध कराया गया।)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.