घर बैठे सैलरी उठा रहे MCD कर्मियों की निगरानी चाहते हैं मी लॉर्ड
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दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और एमसीडी में चल रही रार पर कर्मचारियों को विलेन बनाने की कोशिश उस समय सफल होती दिखी जब दिल्ली हाई कोर्ट ने घर बैठे सैलरी उठा रहे कर्मचारियों पर लगाम लगाने के आदेश दिए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को अपने कर्मचारियों की जियोटैगिंग की संभावना तलाशनी चाहिए। वहीं दिल्ली सरकार से कहा कि वह इस बारे में जानकारी प्रदान करे कि काम के घंटों के दौरान नगर निगम के कर्मचारियों को ट्रैक करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
यह देखते हुए कि एसडीएमसी अपने फंड का 70 प्रतिशत से अधिक खर्च कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर और बहुत कम स्वच्छता और विकास पर खर्च कर रहा था। जिसपर न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने निगम को कहा, “हम सभी ने उन कर्मचारियों के बारे में सुना है…लोग घर बैठे वेतन ले रहे हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या निगम द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू की गई है और क्या इसे कर्मचारियों के आधार कार्ड से जोड़ा गया है, अदालत ने कहा कि कर्मचारियों के मोबाइल फोन के माध्यम से जियोटैगिंग होनी चाहिए।
अदालत उस केस की सुनवाई कर रही थी जिसके अनुसार दिल्ली में नगर निकायों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा रहा है साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी करने टकराव है। अदालत को बताया गया कि एसडीएमसी द्वारा अप्रैल 2020 और फरवरी 2021 के बीच कुल 2,900 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें से 2357 करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और टर्मिनल लाभों पर खर्च हुआ।
कोर्ट ने कहा, ”स्वच्छता, विकास, नसबंदी आपकी प्राथमिकत क्यों नहीं है? आपको इसके बारे में कुछ करने की जरूरत है। आप उस स्थिति में लोगों को कैसे रख सकते हैं जब आप न सफाई कर रहे हैं न ही किसी तरह का निर्माण? ऐसे में आप कर्मचारियों को वेतन कैसे दे सकते हैं?”
कोर्ट ने आगे कहा, ”क्या निगम का मकसद सिर्फ रोजगार देना है? इससे सिर्फ यह जाहिर होता है कि आप ओवरस्टाफ हैं, आप वेतन दे रहे हैं। लेकिन वास्तविक कामकाज आपको एक नगरपालिका के रूप में करना चाहिए।”
(साभार- इंडियन एक्सप्रेस)
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