दिल्ली के सफाई कर्मचारियों ने की स्थाई नौकरियों की मांग, कहा ठेकेदारी नीति हो ख़त्म
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में शनिवार को सफाई कर्मचारियों द्वारा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया । इस सम्मलेन में सफाई कर्मचारियों की समस्याओं, स्थाई नौकरी की मांग और ठेकेदारी नीति को खत्म करने के मुद्दों पर विचार किया गया।
देशभर से आये संगठनों की मदद से दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (DASAM) संसथान ने इस सम्मलेन का आयोजन किया गया।
सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि ठेकेदारों द्वारा उनका शोषण किया जाता है, साथ ही कहना है कि आमदनी कम होने की वजह से परिवार के सदस्यों की जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है ।
DASAM द्वारा आयोजित ‘सीवर, संघर्ष और आजीविका’ सम्मेलन में सफाई कर्मचारियों में काम के समय होने वाली दिक्कतों के बारे में चर्चा की गई ।
कर्मचारियों का कहना है कि सीवर की सफाई के समय जान जाने का सब से ज्यादा खतरा रहता है। इस विषय में सरकार द्वारा अभी तक कोई खास कदम नहीं उठाया गया है।
शीर्षक वाले सम्मेलन के दौरान, सीवर श्रमिकों ने अपने जीवन और संघर्ष, सुरक्षा उपकरणों की कमी और चोटों के बारे में बात की। दिल्ली के सीवर में काम करने वाले मज़दूरों के परिवारों ने भी अपनी दुर्दशा साझा की।
अनुसूचित जाति और दलित समुदायों के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि, “शनिवार और रविवार जैसे सार्वजनिक छुट्टी लेने पर भी मजदूरी काट ली जाती है। कार्यक्रम में मौजूद कर्मचारियों और वकीलों ने सफाई कर्मचारियों के रोजगार में ठेकेदारी या बिचौलिया सिस्टम को ख़त्म करने की मांग का समर्थन किया।”
एक कार्यकर्ता ने कहा, “हमें पैसे कमाने के लिए कभी-कभी शौचालयों और सेप्टिक टैंक में उतरना पड़ता है लेकिन सरकार को हमारी चिंता नहीं है।
इस साल की शरुआत में दिल्ली-एनसीआर में करीब 10 मजदूरों की सीवरेज में मौत हो गई। हालांकि सम्मेलन में भाग लेने वालों ने बताया कि होने वाली मौतों के वास्तविक आंकड़े और भी ज्यादा हो सकते हैं।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री और DASAM के सलाहकार उमेश बाबू ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा ठेकेदारों पर खर्च की गई राशि सीवर और सेप्टिक टैंक क्लीनर को स्थायी रोजगार देने के लिए पर्याप्त है। सरकार ने 2018-19 में 535 करोड़ रुपये, 2019-20 में 523 करोड़ रुपये और 2020-21 में 825 करोड़ रुपये ठेकेदारों पर खर्च किए और 2021-22 में 825 करोड़ रुपये खर्च करने की संभावना है।
इस सम्मलेन में सरकारी प्रतिनिधियों, संगठनों और ट्रेड यूनियनों सहित 250 से अधिक सीवर कर्मचारी, संजय गहलोत – अध्यक्ष दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग, अजय दत्त – विधायक अम्बेडकर नगर, त्रिलोकपुरी के विधायक रोहित कुमार भी शामिल हुए।
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