पंचायत चुनाव ड्यूटी में मृत सरकारी कर्मियों के आश्रितों को मिलेंगे 30 लाख रुपये, मामले को तूल पकड़ता देख झुकी योगी सरकार
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में जिन सरकारी कर्मियों की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है सरकार उनके आश्रितों को 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी।
पुराने नियमों में बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने इस फैसले को मंजूरी दी है।
नए नियमों के अनुसार अगर पंचायत चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के अंदर किसी कर्मचारी की मृत्यु हुई है तो उनके आश्रितों को मुआवजा मिलेगा।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, ”ड्यूटी अवधि की जो परिभाषा भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से निर्धारित की गई है, जिसके आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा गाइडलाइन तय की गई, उसमें कोविड-19 की वजह से होने वाले संक्रमण व इसके फलस्वरूप होने वाली मृत्यु में जो समय लगता है उसका ध्यान नहीं रखा गया है। अत: अनुग्रह राशि की पात्रता के लिए निर्वाचन ड्यूटी की तिथि से 30 दिन के अंदर कोविड-19 से होने वाली मृत्यु को पात्रता में लाया गया है। इस आधार पर निर्वाचन ड्यूटी की तारीख से 30 दिन के भीतर कोविड-19 से होने वाली मौत को अनुग्रह राशि देने का मानक बनाया गया है। निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी अवधि को 30 दिन माना जाएगा।”
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा, ”30 दिनों के भीतर मौतों का जो मानदंड निर्धारित किया गया है उससे अधिकांश प्रभावित परिवारों को मदद पहुंचेगी। इसके लिए राज्य सलाहकार बोर्ड और निदेशक, एसजीपीजीआई की स्वीकृति आवश्यक है।”
राज्य सरकार द्वारा बदले गए नियमों में यह माना गया है कि 90 प्रतिशत मामलों में बीमारी लक्षण रहित होने की वजह से 2-14 दिन में बीमारी का पता लगना मुश्किल होता है।
कई बार एंटीजन, आरटीपीसीआर रिपोर्ट में भी संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है। ऐसी स्थिति में मृत्यु की तारीख को ही आधार बनाया जाना चाहिए।
नियमों में बदलाव के लिए कोरोना के ऊपर हुए शोधों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें माना गया है कि संक्रमण होने के 28 दिन के भीतर मरीज की मृत्यु होती है।
इस वजह से राज्य सरकार ने इस अवधि को 30 दिन रखा है। इसके साथ ही पोस्ट मामले से हुई मृत्यु को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले मृत कर्मचारियों का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया।
इसे लेकर कुछ दिनों पहले शिक्षक संगठन ने पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान 1,621 शिक्षकों की मौत होने का दावा किया था।
उस समय सिर्फ 3 कर्मचारियों को ही मुआवजा देने की बात कही गई थी।
मामले को तूल पकड़ने के बाद सरकार ने गाइडलाइन में बदलाव करने का फैसला लिया है।
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