UN: घरेलू कामगारों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुआ कोरोना, रोजगार में भारी गिरावट

UN: घरेलू कामगारों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुआ कोरोना, रोजगार में भारी गिरावट

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने घरेलू कर्मचारियों के सम्बन्ध में एक अहम सन्धि के दस वर्ष पूरे होने के अवसर पर चिन्ता जताई कि कोविड-19 ने श्रम बाजार में घरेलू कर्मचारियों की निरन्तर कायम मुश्किलों को उजागर कर दिया है।

यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा, ”कार्यबल के अन्य हिस्सों की तुलना में, इन कर्मचारियों के कहीं ज्यादा संख्या में रोजगार खत्म हुए हैं, या उनके कामकाजी घण्टों में अधिक गिरावट आई है।”

यूएन श्रम एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में अधिकांश लातिन अमेरिकी और कैरीबियाई देशों में, महामारी से पूर्व के स्तर की तुलना में, घरेलू कर्मचारियों की संख्या में 25 से 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।

अधिकांश यूरोपीय देशों और कनाडा व दक्षिण अफ्रीका में, घरेलू कर्मचारियों के रोजगारों में पांच से 20 फीसदी तक की कमी देखी गई।

जिन 20 देशों में हालात की समीक्षा की गई है, उनमें से 13 देशों में इन नुकसान के परिणामस्वरूप, कामकाजी घण्टों में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। कोरोनावयारस संकट का घरेलू कर्मचारियों पर भी भारी असर हुआ है।

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि देशों को कार्रवाई की आवश्यकता है – हर दस में से 8 घरेलू कर्मचारी के पास अनौपचारिक रोजगार है जिसकी वजह से उनके कानूनी व संरक्षा उपायों का अभाव है।

उनकी निर्बलताएं खराब कामकाजी परिस्थितियों के कारण भी गहरी हो गई है। अनेक कर्मचारियों को बन्द दरवाजों के भीतर काम करना पड़ता है और उनके पास कहीं और सुनवाई का जरिया नहीं है।

अक्सर घरेलू कर्मचारी अपने नियोक्ता के साथ रहते है और रोजगार का साधन चले जाने के बाद, उनका देश में दर्जा प्रभावित हो सकता है।

ब्राजील, घरेलू कर्मचारियों के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। यहां हर 10 में से सात कर्मचारी अनौपचारिक रूप से काम करते हैं।

यूएन श्रम एजेंसी में विशेषज्ञ क्लेयर हॉबडेन ने बताया कि जब कोविड-19 महामारी शुरू हुई तो 40 प्रतिशत से भी कम घरेलू कर्मचारियों के पास सामाजिक संरक्षा उपायों तक पहुँच थी।

इसके मद्देनजर, उन्होंने जोर देकर कहा है कि ब्राजील में घरेलू कर्मचारियों के कामकाज को औपचारिक रूप देना बेहद आवश्यक है।

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के साढ़े सात करोड़ घरेलू कर्मचारी हैं, यानि विश्व में रोजगार प्राप्त हर 25 व्यक्तियों में एक व्यक्ति। इनमें तीन-चौथाई से अधिक महिलाएं हैं।

महिला घरेलू कर्मचारियों की सबसे बड़ी संख्या, लातिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों में है, जोकि 91 प्रतिशत और 89 फ़ीसदी है। यूरोप, मध्य एशिया और अमेरिकी क्षेत्र में, घरेलू कर्मचारियों के कार्यबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक है।

वहीं अरब देशों व उत्तर अफ्रीका, पुरुष कर्मचारियों की संख्या अधिक है जबकि दक्षिणी एशिया में यह लगभग बराबर है।

वर्ष 2011 में, घरेलू कर्मचारियों के सम्बन्ध में ऐतिहासिक सन्धि के पारित होने के बाद, यूएन एजेंसी के 187 सदस्य देशों में से 32 ने इस पर मुहर लगाई है।

महानिदेशक राइडर ने कहा कि पहले की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा कर्मचारी, श्रम कानून संरक्षण के दायरे में हैं। इसके बावजूद, सेक्टर का 36 प्रतिशत हिस्सा अब भी इसके दायरे से पूरी तरह बाहर है और एशिया-प्रशान्त व अरब देशों में यह खाई ज्यादा बड़ी है।

यूएन श्रम एजेंसी ने आगाह किया है कि जिन देशों में श्रम व सामाजिक संरक्षा कानून उपलब्ध भी हैं, वहां उन्हें प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है।

इस मुद्दे पर यूएन संगठन की ताज़ा रिपोर्ट दर्शाती है कि इस क्षेत्र में, हर पांच में से सिर्फ एक कर्मचारी को ही कारगर ढंग से, रोजगार सम्बन्धी, सामाजिक संरक्षा कवरेज हासिल है।

श्रम संगठन के प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि घरेलू कर्मचारी, आर्थिक ढांचे का एक अहम हिस्सा हैं और उनके अधिकारों को बढ़ावा दिया जाना होगा।

(साभार-हिंदुस्तान टाइम्स)

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Amit Singh

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