भयंकर महामारी के बीच पीएम का आलीशान बंगला बनाने का काम युद्ध स्तर पर, कोर्ट में चुनौती

भयंकर महामारी के बीच पीएम का आलीशान बंगला बनाने का काम युद्ध स्तर पर, कोर्ट में चुनौती

नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी परियोजना, नई संसद यानी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में पीएम के बंगले पर बहुत तेज़ी से काम चल रहा है और इसमें प्रधानमंत्री आवास का काम अगले साल के अंत यानी दिसंबर 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।

भयंकर महामारी के बीच इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण संबंधी सारी मंजूरी दे दी गई है, जबकि अन्य तमाम तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगा हुआ है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्र ने सेंट्र्ल विस्टा प्रोजेक्ट को आवश्यक सेवाओं में डाल दिया गया है, ताकि लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के दौरान भी इस पर युद्ध स्तर पर काम हो सके। आवश्यक सेवा में डालने के डीसीपी नई दिल्ली के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

प्रधानमंत्री आवास समेत प्रोजेक्ट की कुल दस बिल्डिंगों के लिए 12 अप्रैल को अप्रूवल जारी किया गया।

प्रोजेक्ट के तहत जिन इमारतों का निर्माण कार्य अगले साल दिसंबर तक पूरा होना है, उनमें प्रधानमंत्री आवास भी शामिल है।

इसी समयसीमा के भीतर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहने वाली एसपीजी का मुख्यालय और नौकरशाहों के लिए विशेष गलियारा भी इसी दिसंबर 2022 की समयसीमा में पूरा हो जाएगा। उप राष्ट्रपति का भवन अगले साल मई तक पूरा हो जाएगा।

इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 13, 450 करोड़ रुपये रखी गई है और इस योजना में करीब 46,000 लोगों को लगाया गया है।

राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 4 किलोमीटर में फैले सरकारी भवनों और इमारतों के पुनर्निर्माण और पुनरोद्धार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 2024 के आम चुनाव के पहले पूरा किए जाने का इरादा है।

सेंट्रल विस्टा के कुल एरिया में 4642 पेड़ हैं, जिनमें से 1412 को बचाए रखा जाएगा जबकि 3230 को दूसरी जगहों पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

कोविड इमरजेंसी के बीच सोशल मीडिया पर भी लोग इसको लेकर हो रहे खर्च पर सवाल भी उठा रहे हैं।

लोगों का कहना है कि जब अस्पतालों, ऑक्सीजन और दवाओं को लेकर पूरा देश संकट का सामना कर रहा है, ऐसे समय में लोगों की जान बचाने की बजाय सरकार प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसे बहा रही है।

बार बेंच वेबसाइट के अनुसार, नई संसद के निर्माण कार्य को ज़रूरी सेवाओं में डालने के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ये निर्माण कार्य सुपर स्प्रेडर है न कि ज़रूरी सेवा।

हालांकि हाईकोर्ट बेंच ने अभी मोदी सरकार को कोई नोटिस नहीं भेजा है क्योंकि सेंट्रल विस्टा के ख़िलाफ़ एक सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।

छह महीने पहले पांच जनवरी 2021 को कोर्ट ने इसे जारी रखने का फैसला सुनाया था। दिल्ली हाईकोर्ट उस फैसले को पढ़ने के बाद ही इस पर कार्यवाही करेगी। अगली सुनवाई 17 मई को रखी गई है।

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Workers Unity Team

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