बिजली संशोधन बिल संसद में पेश, पूरे देश में बिजली कर्मचारियों ने काम बंद कर किया प्रदर्शन

बिजली संशोधन बिल संसद में पेश, पूरे देश में बिजली कर्मचारियों ने काम बंद कर किया प्रदर्शन

ऊर्जा क्षेत्र के संपूर्ण निजीकरण के खिलाफ नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देशभर में काम बंद कर प्रदर्शन हुआ।

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्‍यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देशभर में लाखों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने ऊर्जा क्षेत्र के संपूर्ण निजीकरण के लिए संसद में विधेयक पेश किए जाने के प्रति अपना रोष प्रकट करने को काम बंद करके सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया।

दुबे के मुताबिक, देशभर में बिजली उत्पादन गृहों में सुबह आठ बजे से ही बिजली कर्मियों ने काम छोड़कर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि मुख्यालयों पर और अन्य जनपदों में 10 बजे के बाद बिजलीकर्मी काम छोड़कर बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और देश के सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर बिजली संशोधन बिल वापस लेने की मांग की।

गौरतलब है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को लोकसभा में विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया। इसमें बिजली वितरण क्षेत्र में बदलाव करने, नियामक तंत्र को मजबूत बनाने और व्यवस्था को सुसंगत बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

हालांकि, कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। इसके बाद सिंह ने कहा कि वह इस विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का आग्रह करते हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस विधेयक को विचारार्थ संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजने का आग्रह करता हूं। उस समिति में सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है। ऐसे में इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हो सकेगी।’’

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्‍यक्ष दुबे ने दावा किया कि बिजली (संशोधन) विधेयक के जरिये केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम-2003 में संशोधन करने जा रही है, जिससे बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं पर दूरगामी नुकसानदेह प्रभाव पड़ने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर वादा किया था कि किसानों और अन्य संबंधित पक्षों से विस्तृत चर्चा किए बगैर विद्युत (संशोधन) विधेयक को संसद में नहीं पेश किया जाएगा।

दुबे ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से आज तक कोई बातचीत नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मचारियों में भारी रोष है।

दुबे के मुताबिक, विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 में यह प्रावधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कंपनियों को लाइसेंस दिया जाएगा। यानी निजी क्षेत्र की नयी वितरण कंपनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का इस्तेमाल कर बिजली आपूर्ति कर सकेंगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे निजी कंपनियां मात्र कुछ शुल्क देकर मुनाफा कमाएंगी और परिणामस्वरूप सरकारी कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी।

दुबे ने कहा कि विधेयक के तहत सब्सिडी और क्रॉस-सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी, जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूली जा सकेगी।

उन्होंने दावा किया कि इससे 7.5 हार्स पावर के पम्पिंग सेट को मात्र छह घंटे चलाने पर किसानों को 10 हजार से 12 हजार रुपये प्रति माह का बिल भरना पड़ेगा। यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा।

(मेहनतकश से साभार)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.