एलआईसी को बेचने की तैयारी में सरकार, कर्मचारियों ने किया बड़े आंदोलन का ऐलान
1 फरवरी को पेश हुए बजट में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद करने के नरेंद्र मोदी के सरकार के फैसले से एलआईसी के कर्मचारियों में घोर रोष व्यापत है। सरकार के इस फैसले के कारण देश में जगह-जगह एलआईसी कर्मी प्रदर्शन कर रहे है।
सोमवार को संसद के संयुक्त सत्र में अगले वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार के बजट प्रस्ताव पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एफडीआई की सीमा को सुरक्षा उपायों के साथ मौजूदा 49% से बढ़ाकर 74% संशोधित किया जाएगा ।
एलआईसी कर्मचारी यूनियन के सचिव मुथुकुमारसामी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफर) में जाने या एफडीआई बढ़ाने के केंद्र के फैसले से एलआईसी,उसके कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों का हित कमजोर होगा। सरकार के इस कदम से विदेशी निवेशकों को ही फायदा होगा,बड़े-बड़े पुंजीपति एलआईसी के बहुमूल्य संसाधनों को नियंत्रित कर लेगें।”
मालूम हो कि एलआईसी ने निजी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा कर लोगों का विश्वास जीता हैं और आज भी इस क्षेत्र नेतृत्वकर्ता कंपनी है। आज भी यह अपने संस्थापक उद्देश्यों के साथ सरकार और पॉलिसीधारकों को फायदा पहुंचा रही है।
मुथुकुमारसामी ने बताया कि ‘एफडीआई बढ़ाने से एलआईसी पर विदेशी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ जायेगा। IPO की अनुमति मिलने या एफडीआई बढ़ाने से एलआईसी कमजोर होगा और साथ ही कल्याणकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए सरकार को दिया जाने वाला मुनाफा निजी या विदेशी फर्मों के हाथ में चला जाएगा।’
वही अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ और बीमा निगम कर्मचारी संघ,बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के सरकारी फैसले के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की तैयारी में है।
युनियन के लोगों ने बताया की एफडीआई सीमा बढ़ाने के फैसले के खतरे से आगाह करने के लिये अब तक 350 सांसदों को पत्र लिखा जा चुका है और अब वो सड़क पर उतर कर आम जनता में भी इस मुद्दे पर जनमत बनायेंगे।
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