एलआईसी में आईपीओ के ख़िलाफ़ कर्मचारी 24 अगस्त को करेंगे विरोध प्रदर्शन
देश की 60 साल पुरानी बीमा कंपनी एलआईसी में सरकार ने पैसा निवेश न करने का फैसला लिया है और इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के जरिए इसका निजीकरण करने की घोषणा भी कर दी है।
सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया इश्योरेंस एम्पलॉई एसोसिएशन (एआईआईइए) ने 8 अगस्त को नॉर्थ सेंट्रल ज़ोन इश्योरेंस एम्पलॉई फ़ेडरेशन (एनसीजेडआईईएफ) द्वारा आयोजित की गई मीटिंग में 24 अगस्त को पूरे उत्तर मध्य क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
इस बात की जानकारी देश का सबसे बड़ा संगठन एआईआईईए जो कि 85 % बीमा कर्मचारियों का नेतृत्व करता है उसने प्रेस नोट जारी कर के दी है।
सरकार की मनसा एलआईसी में आईपीओ वाली नीति से कर्मचारी ख़फा हैं। इसीलिए इन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया के जरिए आंदोलन करने की घोषणा की है।
आईपीओ का मतलब होता है, जब भी कोई कंपनी या सरकार पहली बार आम लोगों के सामने कुछ शेयर बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है।
यानी एलआईसी के आईपीओ को सरकार आम लोगों के लिए बाजार में रखेगी। इसके बाद लोग एलआईसी में शेयर के जरिए हिस्सेदारी खरीद सकेंगे।
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एलआईसी एक्ट 1956 में बदलाव पर यूनियन हरकत में
एआईआईईए ने कहा है कि, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश के 12 इकाईयों के भीतर आने वाले प्रत्येक मंडलीय इकाई से समाज के 100 प्रमुख हस्तियों, जैसे की प्रोफेसर्स, अर्थशास्त्री आदि लोगों से मिलकर सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ ज्ञापने भेजेंगे।
साथ ही उन्होंने ने ये भी कहा है कि, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के सभी सचिव, विधायकों, सांसदों आदि लोगों को सरकार की मनसा के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपा जाएगा।
निजिकरण के साथ-साथ यदि सरकार एलआईसी एक्ट 1956 में बदलाव करने का प्रयास करती है तो, एलआईसी कर्मचारियों ने देश भर में हड़ताल करने का ऐलान किया है।
साथ ही प्रेस विज्ञप्ति में ये भी कहा गया है कि, सरकार ने 1956 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-2020 तक एलआईसी में 5 करोड़ की पूंजी लगाई है। और एलआईसी ने सरकार को बदले में 26,000 करोड़ का डिविडेंड सौपा है।
कोरोना काल में भी एलआईसी ने 70 % मार्केट शेयर पर अपना कब्जा बनाया हुआ है।
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एलआईसी का इंश्योरेंस मार्केट में 70 फ़ीसदी हिस्सा
एलआईसी का क्लेम सेटलमेंट 98-99% के बीच बना हुआ है ये विश्व में श्रेष्ठतम है।
कर्मचारियों का कहना है कि, एलआईसी का इतना अच्छा प्रदर्शन होने के बाद भी सरकार आईपीओ ला रही है। इसका हम कड़ा विरोध करते हैं।
बीबीसी मे छपी ख़बर के अनुसार, इंश्योरेंस मार्केट में एलआईसी का 70 फ़ीसदी से ज़्यादा पर कब्ज़ा है।
सरकार जब भी मुश्किल में फंसती है तो एलआईसी किसी भरोसेमंद दोस्त की तरह सामने आई। इसके लिए एलआईसी ने ख़ुद भी नुक़सान झेला है।
इससे पहले 9 अगस्त यानी कि, अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन के 78वीं सालगिरह पर एलआईसी कर्मचारियों ने एलआईसी में आईपीओ के ख़िलाफ़, पब्लिक सेक्टर में निवेश न करने, श्रम क़ानूनों में बदलाव को लेकर अपने घरों से ही विरोध जताया था।
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