EPF ब्याज दरों में कटौती से आपकी बचत पर कितना असर पड़ेगा?

EPF ब्याज दरों में कटौती से आपकी बचत पर कितना असर पड़ेगा?

By प्रतीक तालुकदार

साल दर साल घटते ब्याज दरों के सिलसिले में सरकार ने साल 2021-22 में जमा हुए Employees’ Provident Fund (EPF) पर 8.1% ब्याज दर की मंजूरी दी है, जो कि पिछले चार दशक में सबसे कम है।

न्यूज एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे पाँच करोड़ से ज्यादा खाताधारकों की जेब पर असर पड़ेगा।

Employees’ Provident Fund Organization (EPFO) ने इस साल मार्च में यह निर्णय लिया था कि ब्याज दर को 8.5% से घटा कर 8.1% कर दिया जाए।

श्रम मंत्रालय की हरी झंडी के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने नए दरों पर मंजूरी दी।

पिछले दो सालों तक ब्याज दर 8.5% थी जो कि साल 2018-19 के 8.65% से घटा कर किया गया था। इससे कम ब्याज दर आखिरी बार 1977-78 में थी 8%।

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EPF decreasing rate of interest
Source: epfindia.gov.in

अब EPF पर भी टैक्स

शुरूआत से टैक्स-फ्री रहे EPF पर इस साल टैक्स लगा कर वित्त मंत्री ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया।

इसके तहत सालाना 2.5 लाख रुपए तक जमा PF पर कोई टैक्स नहीं है, और सरकारी कर्मचारियों के लिए यह सीमा 5 लाख रुपए तक दी गई है।

निर्धारित सीमा से ऊपर पैसा एक दूसरे खाते में जमा होगा जिस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा।

मुख्य अकाउंट के ब्याज, कुल राशि या लेन-देन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।

क्या होता है EPF?

EPF श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत Employees’ Provident Fund Organization द्वारा चालित मुख्य रिटायरमेंट प्लान है।

नियोक्ता के लिए अनिवार्य है कि जिन कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपए से कम हो, वह उनका EPF खाता खुलवाए।

इससे अधिक वेतन वाले भी EPF खाता खुलवा सकते हैं लेकिन उसमें भी पैसे 15,000 रुपए वेतन के हिसाब से ही जमा होंगे।

इस खाते में कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों की तरफ से बेसिक वेतन का 12-12% जमा होता है।

इसमें नियोक्ता के 12% के दो भाग होते हैं — 3.67% जमा होते हैं EPF में और 8.33% जमा होते हैं Employees’ Pension Scheme (EPS) में, जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।

20 या उससे अधिक कर्मचारी वाले फर्म PF देने को बाध्य होते हैं।

टैक्स और घटे दर का असर

अगर एक गैर-सरकारी कंपनी के कर्मचारी का बेसिक वेतन 15,000 रुपए है, तो हर महीने उसकी तरफ से EPF खाते में वेतन का 12%, यानि 2250 रुपए जमा होंगे।

Employer की तरफ से वेतन का 3.67% यानि 550 रुपए EPF में जमा होंगे और 8.33% यानि 1250 रुपए EPS में जमा होंगे।

इस तरह एक महीने में कर्मचारी के EPF खाते में 2800 रुपए और EPS खाते में 1250 रुपए जमा होते हैं।

पिछले साल ब्याज दर 8.5% थी, जिसके हिसाब से नीचे दिए गए टेबल के अनुसार 10 साल के बाद कुल योग 5,33,318 रुपए होगा।

epf calculation

जबकि वहीं नए ब्याज दर 8.1% के हिसाब से 10 साल काम करने के बाद कुल जमा होंगे 5,21,393 रुपए, यानि लगभग 12,000 रुपए का फर्क।

epf 8.1comparitive

गौरतलब है कि अब से सालाना PF 2.5 लाख रुपए से ज्यादा होने पर, उस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा।

अंत में मिलने वाली राशि को मुद्रास्फीति की मार भी झेलनी पड़ेगी।

EPF में भी आय की असमानता

पिछले साल की Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ अमीर खाता धारकों के 1.23 लाख अकाउंट का कुल 62,500 करोड़ रुपए है।

सबसे बड़े खाता धारक के EPF अकाउंट में 103 करोड़ रुपए हैं, जिसके बाद दो खाता धारकों के पास 86 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं।

सिर्फ 20 सबसे धनी खातों में कुल 825 करोड़ रुपए हैं, जबकि 100 सबसे धनी खातों में कुल 2000 करोड़ रुपए हैं।

इन आंकड़ों का हवाला देकर 2.5 लाख रुपए से ज्यादा EPF पर टैक्स लगाना वाजिब बताया गया।

(Prateek Talukdar is a reporting fellow at Workers Unity and this story is supported by Notes to Academy)

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Workers Unity Team

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