कृषि कानूनों को निरस्त करने और मज़दूरों की मांगों के लिए खेत मज़दूरों का 15 मार्च को बठिंडा में विरोध प्रदर्शन का ऐलान

कृषि कानूनों को निरस्त करने और मज़दूरों की मांगों के लिए खेत मज़दूरों का 15 मार्च को बठिंडा में विरोध प्रदर्शन का ऐलान

कृषि बिलों को निरस्त करने और मजदूरों के अन्य ज्वलंत मुद्दों पर पंजाब खेत मजदूर यूनियन 15 मार्च को बठिंडा में राज्य स्तरीय रैली व विरोध मार्च करेगी।

संगठन के राज्य सचिव लक्ष्मण सिंह सेवेवाला और हरमेश मालरी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि हजारों की संख्या में पुरुष और महिला मज़दूर इस रैली में अपनी मांगों के साथ शिरकत करेंगे।

लछमन सिंह सेवेवाला ने कहा कि काले कृषि कानूनों के खिलाफ इस लड़ाई में मज़दूरों की बेहद अहम भूमिका है और साथ ही रैली में उन्हें इस बातों से भी रुबरु कराया जायेगा कि इन कृषि कानूनों से उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सेवेवाला ने बताया कि “इस रैली में दलितों के खिलाफ जातिय हिंसा समाप्त करने,माइक्रो फाइनेंस कंपनी द्वारा मज़दूरों का कर्ज के नाम पर शोषण, किसानों के बिजली बिल माफ करने, श्रम कानूनों में हाल में किए गए संशोधनों को रद्द करने और भूमि-वितरण का मुद्दा उठाया जाएगा।”

सेवेवाल का मानना है कि किसानों के ज़मीन छिनने से पहले कृषि कानूनों के द्वारा मोदी सरकार पंचायती राज व्यवस्था,समलत या सरकारी जमीनों को पूरी तरह से कॉरपोरेट के हाथों गिरवी रख देना चाहती है।

उन्होंने कहा कि “भूमि सीलिंग अधिनियम को समाप्त करने के लिए संविदात्मक कृषि कानून एक उपकरण बन जाएगा, इसके द्वारा कृषि सुधारों को लागू करने और अधिशेष भूमि को श्रमिकों या भूमिहीनों को वितरित करने का मुद्दा स्वचालित रूप से समाप्त हो जाएगा।”

हरमेश मालरी ने कहा कि “मजदूरों के रोजगार को नष्ट करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समाप्त कर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ाने और कालाबाजारी करने के लिए नए किसान कानूनों की अहम भूमिका होगी।”

मालरी का मानना है कि खेत मजदूरों के साथ-साथ शहरी गरीबों को भी इन कानूनों का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि “सरकार की कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के कारण पहले से परेशान मज़दूरों पर इन कानूनों के लागू हो जाने से उनके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा हो जायेगा।”

पीकेएमयू के राज्य नेता हरभगवान सिंह मूनक व गुरपाल सिंह नंगल ने केंद्र सरकार व पंजाब सरकार पर आरोप लगाया कि हर घर में रोजगार देने और कर्ज खत्म करने के नारे का इस्तेमाल कर सत्ता में आई कैप्टन सरकार ने मज़दूरों मुद्दे को पूरी तरह से भूला दिया है।

मज़दूर नेताओं ने लोगों से अपने परिजनों के साथ रैली में भाग लेने की अपील की।

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Abhinav Kumar

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