किसान और मज़दूर शहादत दिवस पर करेंगे दिल्ली कूच

किसान और मज़दूर शहादत दिवस पर करेंगे दिल्ली कूच

अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय कृषि कामगार यूनियन और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने शहीदों की याद में 18 मार्च से किसान-मज़दूर के पैदल मार्च का आह्वान किया है।

जिसका समापन 23 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर किसानों के धरना स्थलों पर होगा, जो केंद्र की जनविरोधी और सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करेगा।

तीनों संगठनों ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सभी कृषि कामगारों, श्रमिक संघों, छात्रों, मजदूरों और समाज के सभी वर्गों के लोगों से अपील की है कि वे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए किसान विरोधी और मजदूर विरोधी कानूनों के विरोध में किसानों और कामगारों इस लड़ाई में भागीदार बनें।

इस वर्ष शहीद दिवस के अवसर पर  यूनियनों ने शहीदों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु द्वारा दिए गए बलिदान को याद करते हुए अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि  ‘ युवा शहीदों के सपनों के समाज में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने  का वचन दिया गया था । उन्होंने जिस आजादी के लिए लड़ाई लड़ी आज वो खतरे में है, क्योंकि ब्रिटिश शासन का समर्थन करने वाले लोग आज देश की सत्ता पर काबिज हो गये हैं।

उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार धर्मनिरपेक्षता, समानता, लोकतंत्र और आजादी सहित संवैधानिक मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है, नागरिक अधिकारों को छीना जा रहा हैं।

बयान के अनुसार, देश आर्थिक संकट में इस तरह से डूब गया है कि जहां किसान और कामगार कर्ज और गरीबी में दबे हुए हैं, वहीं मुट्ठी भर कॉर्पोरेट्स देश की 80 % संपत्ति कब्जा जमाए हुए नियंत्रण हैं। हरियाणा की बात की जाए तो वहां बेरोजगारी की दर 32.5% तक पहुंच गई है, मतलब हरियाणा में हर तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है।

सभी संगठनों ने 8 अप्रैल 1928 को ब्रिटिश असेंबली पर किये हमले को याद करते हुए कहा कि भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ये हमला ब्रिटिश सरकार द्वारा लाये गये औद्योगिक विवाद विधेयक और सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक के विरोध में किया था। वर्तमान सरकार भी बिल्कुल अंग्रेज सरकार की तरह काम कर रही है, विरोध के हर स्वर को UAPA और राजद्रोह जैसे मामलों में फंसा रही है।

इस बीच संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने की होड़ पर उतर गई है, जबकि नागरिक महंगाई और महंगाई से त्रस्त हैं।  सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘समाज को जाति और धर्म की तर्ज पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनकी नग्न लूट जारी रहे।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार तीन जत्थे 18 मार्च से उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से मार्च शुरू करेंगे और 23 मार्च को सीमा विरोध स्थलों पर पहुंचेंगे ।

हरियाणा के किसानों से मिलकर पहला बड़ा जत्था हांसी जिले के ऐतिहासिक लाल चौक से शुरू होगा, जो 1857 के संघर्ष के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह के केंद्रों में से एक था। वे रोहतक में जींद से एक और जत्था से जुड़ेंगे और शहीद दिवस पर दिल्ली की टिकरी बॉर्डर पहुंचेंगे ।

पंजाब के किसानों और मजदूरों से मिलकर दूसरा जत्था भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां से शुरू होगा। जत्था 19 मार्च को कुरुक्षेत्र और करनाल पहुंचेगा जहां मार्च निकालने वालों का स्थानीय लोगों द्वारा स्वागत किया जाएगा। अगले दिन जत्था हरियाणा के किसानों और मजदूरों से जुड़ने के बाद सिंघू बॉर्डर की ओर रवाना होंगे।

उत्तर प्रदेश के किसान तीसरा जत्था बनाएंगे जो 19 मार्च से मार्च शुरू कर 23 मार्च को पलवल पहुंचेंगे।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।

Abhinav Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.