हरियाणा में ऑपरेशन क्लीन के नाम पर भड़के किसान नेता, कहा- बीजेपी को क्लीन कर देंगे किसान
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए हरियाणा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों से धरना ख़त्म करने की अपील की है। शनिवार से ही हरियाणा सरकार द्वारा ऑपरेशन क्लीन चलाकर ज़बरदस्ती किसानों को धरना स्थल से उठाने की अफवाह पर किसान नेता भड़क गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बीजेपी और खट्टर पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर पुलिस ने ऐसा कोई ऑपरेशन किया तो राज्यों से बीजेपी क्लीन हो जाएगी।
उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा है कि जहां बीजेपी की रैलियां और कार्यक्रम होते हैं वहां कोरोना नहीं होता है। अगर बीजेपी को इतनी ही चिंता है तो पांच राज्यों का चुनाव तत्काल स्थगित कर दे।
चढूनी ने कहा कि ‘कोरोना बीजेपी का दलाल बन गया है। जब कृषि क़ानून संसद में पास कराए गए थे तो उस समय बीजेपी के लिए कोरोना ख़त्म हो गया था। अगर इतनी ही चिंता है तो मोदी सरकार किसानों की बात मान ले, किसान घर चले जाएंगे।’
किसान नेता ने कहा कि ‘बीजेपी और उसकी सरकारें कारपोरेट की दलाली करना बंद करें वरना जनता उन्हें सबक सिखाएगी। अगर पुलिस बल प्रयोग कर किसानों को हटाने आएगी तो उसे गोली चलानी पड़ेगी। किसान ऐसी साज़िशों से हटने वाले नहीं हैं।’
संयुक्त किसान मोर्चे ने बयान जारी कर कहा है कि ‘कोरोना महामारी के कारण देश-दुनिया मे लॉकडाउन लगाया गया था। वर्तमान समय मे जब कोरोना महामारी एक बार फिर से उठ रही है, केंद्र सरकार को किसानों मजदूरों की फिक्र करते हुए तुरंत प्रभाव से मांगें मान लेनी चाहिए। दिल्ली की सीमाओं से लेकर देश के अन्य हिस्सों से किसानों के धरने तभी खत्म होंगे जब किसानों की मांगें मानी जायेंगी।’
मोर्चे के अनुसार, ‘पिछली बार जब लॉकडाउन लगाया था तब सभी सेक्टर में जीडीपी का खराब प्रदर्शन रहा पर कृषि सेक्टर में सकारात्मक वृद्धि थी। भोजन, किसान व खेती जीवन की न्यूनतम एवं अधिकतम ज़रूरत है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि भारत जैसे देश में, जहां पर आज भी जनसंख्या का बहुत बड़ा तबका खेती पर निर्भर करता है, किसानों पर जबर्दस्ती शोषणकारी नीति थोपी जा रही है।’
मोर्चे ने कहा कि सरकार किसानों से लड़ने की बजाय कोरोना से लड़ना चाहिए। सरकार प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य व उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए हर प्रयास करे। अगर सरकार को किसानों-मजदूरों व आम जनता की इतनी ही फिकर है तो किसानों की मांगें मान ले। किसान पहले भी सरकार की नीतिओ से तंग आकर आत्महत्या कर रहे हैं। इस आंदोलन में भी 375 से ज्यादा किसानों की मौत हो गयी है। मानवता के आधार पर सरकार किसानों के धरनास्थलों पर वेक्सीनेशन सेंटर बनाये, कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सामान व निर्देश मुहैया करवाये।
कोरोना को काबू करने में नाकाम रही सरकार की मोर्चे ने निंदा की है और कहा है कि कोरोना के पिछले अनुभव से सरकार ने कुछ नहीं सीखा व देश मे स्वास्थ्य सेवाओं व सामाजिक सुरक्षा की आज भी हालात वहीं है जो पिछले साल थी।
बयान के अनुसार, ‘मजदूरों को पैदल चलना पड़ सकता है व किसानों की फसलें भी बर्बाद हो सकती है परंतु इस बार किसान मजदूर सरकार के दमन व शोषणकारी निर्देश सहन करने की बजाय संघर्ष करेंगे। किसानों मजदूरों ने सरकार को एक मौका दिया था परंतु भाजपा अपने ही प्रोपगेंडा फैलाने में व्यस्त रही है। अभी सरकार को किसानों की मांगें माननी चाहिए व किसानों-मजदूरों से लड़ने की बजाय कोरोना महामारी से लड़ना चाहिए।’
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