वर्करों के बकाया वेतन दिलाने वाली नवदीप कौर की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ किसान संगठन भी आए

वर्करों के बकाया वेतन दिलाने वाली नवदीप कौर की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ किसान संगठन भी आए

सिंघु बॉर्डर के पास हरियाणा के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूरों के बकाया वेतन दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली मज़दूर कार्यकर्ता नवदीप कौर की गिरफ़्तारी और कस्टडी में यौन हिंसा की ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने कड़ी निंदा की है।

शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मज़दूर अधिकार संगठन (एमएएस) नवदीप कौर की बहन राजबीर कौर ने हरियाणा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए और कस्टडी में यौन हिंसा किए जाने पर आक्रोश जताया।

राजबीर कौर ने कहा कि 12 जनवरी को गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने हिरासत में नवदीप कौर के साथ बर्बर बर्ताव किया और करनाल जेल में 14 दिन के न्यायिक हिरासत में बंदी नवदीप कौर के पैर से लगातार खून निकलने की बात साथी कैदियों ने दी थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में भी नवदीप को अस्पताल नहीं पहुंचाया गया और जब बाहर से दवा दी गई तो वो भी नवदीप तक नहीं पहुंची।

प्रेस कांफ्रेंस में तीन किसान संगठनों के प्रतिनिधि जिसमें भाकियू एकता, उग्रहां, भाकियू क्रांतिकारी के नेता शामिल हुए और नवदीप पर अत्याचार करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल सज़ा देने और मामले की जांच की मांग की।

टीयूसी के तुहिन देब ने कुंडली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की ओर से तैनात प्राईवेट आर्मी की वैधता पर सवाल उठाए और पुलिस की मिलीभगत की जांच की मांग की।

बहुजन समाजवादी मंच के संजीव माथुर ने नवदीप कौर पर हुए पुलिसिया अत्याचार को जातिगत भेदभाव करार देते हुए दोषियों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की।

एमएएस का दावा है कि लॉकडाउन के बाद से अबतक 300 श्रमिकों के पांच लाख रुपये से अधिक वेतन बकाए का भुगतान सुनिश्चित कराया है।

इस संबंध में एमएएस ने इस घटना के पीछे की पृष्ठभूमि, कुंडली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की ओर से तैनात प्राईवेट आर्मी क्विक रेस्पांस टीम (क्यूआरटी), हिंदू जागृति मंच की फैक्ट्री मालिकों के साथ मिलीभगत पर एक विस्तृत बयान दिया है।

एमएएस पूरा बयान यहां पढ़ें-

12 जनवरी 2021 की शाम को सोनीपत पुलिस ने कुंडली औद्योगिक क्षेत्र से मज़दूर अधिकार संगठन (एम.ए.एस.) की एक कार्यकर्ता नवदीप कौर को गिरफ्तार किया।

उस दिन, कुंडली के कारख़ानों में कार्यरत बहुत-से श्रमिकों के साथ नवदीप कौर और एम.ए.एस. के अन्य कार्यकर्ताओं ने एक प्रदर्शन आयोजित किया था।यह प्रदर्शन एक कारखाने से दूसरे कारखाने में यह मांग करते हुए आगे बढ़ी कि मालिकों और ठेकेदारों द्वारा मजदूरों के रुके हुए वेतन का भुगतान किया जाए।

एम.ए.एस. पहले भी प्लॉट नं० 349, M/S Elecmech Private Limited (एम.एस. एलेकमेच प्राइवेट लिमिटेड) को संपर्क कर चुका था, लेकिन कंपनी ने पैसे देने से मना किया।

इसके बाद जब एम.ए.एस. के कार्यकर्ता कंपनी के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे, तब सोनीपत पुलिस ने बिना बातचीत किए मजदूरों के ऊपर हमला बोला और गोली चलाई। गोलीबारी के दौरान जैसे ही मज़दूर अपने बचाव में इधर-उधर हुए, नवदीप कौर को पुरुष पुलिस ने पीटा और उनको हिरासत में ले लिया।

हिरासत में नौदीप कौर को टॉर्चर किया गया और उनके साथ यौन हिंसा की गई। पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गयी, 25/2021 और 26/2021।

mazdoor adhikar sangathan kundali

इन एफआईआर के तहत, नवदीप कौर पर आईपीसी की धारा 148 (एक सशस्त्र हथियार के साथ दंगा), 149 (विधि विरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गएअपराध का दोषी), 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना), 307 (हत्या का प्रयास), 332 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल व हमला का प्रयोग), 352 (गम्भीर प्रकोप न होने से अन्यथा हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग), 379B (चोट, गलत संयम या चोट के डर से छीनना), 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 452 (घर-अतिचार, चोट पहुंचाने, मारपीट आदि की तैयारी करने के बाद) और 506 (आपराधिक धमकी) के आरोप लगाए गए हैं।

नवदीप कौर और एम.ए.एस. पर यह हमला कोई मौके पर की गई घटना नहीं थी, बल्कि सोनीपत पुलिस द्वारा स्थानीय कंपनी मालिकों के संगठन कुंडली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (के.आई.ए.) के साथ मिलकर की गई एक पूर्व-नियोजित साजिश थी। के.आई.ए. एम.ए.एस. की गतिविधियों को रोकने के लिए लगा हुआ है।

के.आई.ए. विशेषकर कानून में निहित श्रमिकों के अधिकारों को लागू कराने के लिए और कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रवासी और अनुबंधित श्रमिकों को संगठित करने के उनके प्रयासों को रोकना चाहता है।

एम.ए.एस.एक मज़दूर संगठन है और कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में लगभग तीन वर्षों से सक्रिय है।मज़दूर कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जा रहा एम.ए.एस. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) के उन श्रमिक संगठनों में से एक है जो विनाशकारी कोविड-19 प्रेरित तालाबंदी के दौरान श्रमिकों को अपने अधिकारों की मांगों के लिए एकत्रित किया है।

एम.ए.एस. के नेतृत्व में कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के कई हजार श्रमिकों ने सामूहिक रूप से राशन और अन्य राहत सामग्री के प्रावधान की मांग की थी।

इन गतिविधियों, विशेषरूप से लॉकडाउन के दौरान राज्य की मजदूर विरोधी रवैय्ये, पर सवाल उठाने पर स्थानीय प्रतिक्रियावादी संगठन, हिंदू जागृति मंच (एच.जे.एम.) की भावनाएं भड़क उठीं। एच.जे.एम. ने 24 मई 2020 को एम.ए.एस. की एक बैठक को हिंसक रूप से बाधित किया और यहां तक कि संगठन के कार्यकर्ता साहिल के साथ मारपीट और उसका अपहरण भी कर लिया था।

स्थानीय पुलिस हालां कि इस घटना के दौरान कम मददगार साबित हुई, बल्कि एच.जे.एम. की शिकायत पर साहिल को हिरासत में ले लिया।

चूंकि लॉकडाउन समाप्त हो गया और कुंडली में काम भी दोबारा शुरु हुआ, संगठन की प्रतिबद्धता ने बहुत सारे श्रमिकों का समर्थन और प्रशंसा हासिल की।

सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन की शुरुआत ने संगठन के काम में गुणत्मक परिवर्तन किया। मज़दूर-किसान एकता के नारे के साथ किसानों के संघर्ष को सभी उत्पीड़ित और शोषित लोगों के संघर्ष के रूप में घोषित करते हुए, एम.ए.एस. ने किसान आंदोलन के समर्थन में कई मज़दूरों की रैलियों और कैंडल लाइट मार्च का आयोजन किया।

इसके चलते कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के श्रमिक नियमित रूप से पहलकदमी दिखाते हुए सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन का दौरा कर रहे हैं।

मज़दूर वर्ग के समर्थन को न केवल संघर्षरत किसानों द्वारा सराहा गया, बल्कि उनकी बकाया राशि को चुकाने में मदद की गयी।लंबे और भीषण कार्य प्रणाली से थके श्रमिकों को लंगर खिलाया, जबकि कई किसानों ने व्यक्तिगत तौर पर श्रमिकों को मालिकों और ठेकेदारों से उनका बकाया प्राप्त करने के लिए संघर्षों में सहायता की।

संघर्षरत किसान के सक्रिय समर्थन से एम.ए.एस. लगभग 300 श्रमिकों को पूर्ण और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने में सक्षम हुआ।

ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दौरान होने वाली कुंडली औद्योगिक क्षेत्र की ये घटनाएँ मज़दूर-किसान एकता की असाधारण शक्ति और शोषित-उत्पीड़ित जनता के जीवन को बदलने की क्षमता को पेश करती हैं।

स्थानीय सत्ता में बदलाव और एक लड़ाकू मज़दूर संगठन के उभरने के डर से के.आई.ए. ने किसी भी तरह से एम.ए.एस. को कुचलने के लिए क्विक रिस्पांस टीम (क्यू.आर.टी.) नाम से निजी सशस्त्रबल तैनात किया।

इसी परिणाम ये हुआ कि 28 दिसंबर, 2020 को प्रदर्शन के दौरान क्यू.आर.टी. द्वारा खुले तौर से मजदूरों पर गोली चलाई गई।

एम.ए.एस. के पुलिस में शिकायत दर्ज करने के बावजूद, क्यू.आर.टी. या के.आई.ए. के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वास्तव में, जबकि पुलिस द्वारा गोली चलाने का खंडन किया गया, वहीं क्यू.आर.टी. ने दावा किया कि आत्मरक्षा में हवाई फ़ैयर किया गया था।इसके बाद जबरन पैसा वसूली का मुकद्दमा मजदूरों पर दर्ज कर दिया गया।

क्यू.आर.टी. के हाथों एम.ए.एस. पर की गई हिंसा, पुलिस द्वारा बाद में दिखाई गयी निष्क्रियता और 12 जनवरी को एम.ए.एस. पर पुलिस की कारवाई सभी सोनीपत पुलिस और के.आई.ए., सत्ता और पूंजीपतियों के बीच मजदूर विरोधी नापाक गठजोड़ के संकेत हैं।

संगठित होने के संवैधानिक अधिकारों और समय पर पूर्ण वेतन पाने के कानूनी अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहे मजदूरों पर खुल्लम खुल्ला पुलिसिया दमन, सत्ता द्वारा बनाए गए संविधान और कानूनों को स्वयं रौंदने की ओर इंगित करता है ताकि मजदूर कभी आवाज ना उठा सके और पूंजीपतियों की लूट निर्विरोध चलती रहे।

इसी कड़ी में एक दलित भूमिहीन परिवार से आने वाली महिला मजदूर कार्यकर्ता के ऊपर पुलिस हिरासत में की गई शारीरिक और यौन हिंसा से सत्ता की जाति विरोधी और पितृसत्तावादी मानसिकता को समझा जा सकता है।

पुलिस और के.आई.ए. की ये मज़दूर विरोधी और संगठन विरोधी गतिविधि मजदूर वर्ग और उनके ट्रेड यूनियनों से जवाब मांगती है।

मजदूर किसान की एकता को तोड़ने की ये गतिविधि सिंघु बॉर्डर पर बैठे संघर्षरत किसानों से भी एक प्रतिक्रिया की मांग करती है।

इन कार्रवाइयों से श्रमिकों के जनवादी अधिकारों को रौंद डालने का प्रयास है।

संघर्षशील श्रमिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन और एक युवा दलित महिला कार्यकर्ता पे हुए पुलिसिया यौन हिंसा सभी लोकतांत्रिक संगठनों और लोगों से प्रतिक्रिया की मांग करती है।

सत्ता की दमनकारी शक्ति और पूंजीपतियों द्वारा श्रमिकों और सभी उत्पीड़ित और शोषित लोगों के अधिकारों की अवमानना का श्रमिकों, ट्रेड यूनियनों, किसान और सभी लोकतांत्रिक लोगों की ओर से लड़ाकू तरीके से ही जवाब दिया जा सकता है।

नवदीप कौर की रिहाई के लिए, यह अभियान एन.सी.आर के मजदूरों, ट्रेड यूनियनों, संघर्षरत किसानों जो आज दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद हैं, और सभी न्यायपसंदी लोगों और संगठनों से इस बर्बरता के खिलाफ लड़ने के लिए अपील करता है। साथ ही अभियान यह मांग भी रखता है कि संघर्षरत नोदीप कौर को जल्द से जल्द न्याय प्रदान किया जाए।

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Workers Unity Team

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