ग्राम पंचायतों पर अधिकारियों को बिठाने से यूपी में 15,000 मनरेगा मज़दूर बेरोज़गार

ग्राम पंचायतों पर अधिकारियों को बिठाने से यूपी में 15,000 मनरेगा मज़दूर बेरोज़गार
लॉकडाउन के बाद रोज़गार और धंधों को लेकर यूपी की योगी सरकार का रवैया क्या है ये चित्रकूट मंडल में दो महीना पहले ही पंचायतों के कार्यकाल समाप्त किए जाने से पता चल रहा है।

चित्रकूट मंडल के चार जनपदों बांदा, महोबा, चित्रकूट और हमीरपुर में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल लगभग दो महीने पहले पूरा हो गया, जिसके बाद राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव का ऐलान कर दिया।

इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों की कमान ग्रामप्रधानों की बजाय अधिकारियों के हाथों में आ गई और अब इन जिलों में मनरेगा से चल रहे लगभग 1200 विकास कार्य रुक गए हैं जिससे करीब 15 हजार मजूदरों से काम छिन गया है।

अमरउजाला की एक ख़बर के मुताबिक, लाल फीताशाही की इस लापरवाही की तस्दीक आंकडे भी कर रहे हैं। इनके मुताबिक, बांदा जिले के गांवों में सबसे ज्यादा 320, महोबा में 300, चित्रकूट में 296 और हमीरपुर में 272 विकास कार्य रोके गए हैं।

कुल मिलाकर इन चारों जिलों की ग्राम पंचायतों में 14,753 मजदूर बेराजगार हो गए हैं। गांव में काम छिनने के चलते इन्हें नजदीकी षहरों या महानगरों का रुख करना पड रहा है

चित्रकूट मंडल में मनरेगा जाबॅकार्ड धारकों की संख्या आठ लाख से अधिक है। इसमें क्रियाशील मजदूर 4.92 लाख हैं।

प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के पूर्व तक इस मंडल के इन चारों जिलों में मनरेगा मजदूरों की तादाद 78,621 थी, जबकि इनमें 2582 विकास कार्य चल रहे थे।

लगभग दो महीने बाद इन मजदूरों की संख्या घटकर 63,868 जबकि विकास कार्य 1394 रह गए हैं। यानी इस दौरान 1188 काम बंद हुए और 14,753 मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।

राज्य सरकार के दबाव के चलते ग्राम विकास से जुड़े अधिकारियों का पूरा ध्यान पंचायत चुनाव की तैयारियों और मिनी ग्राम सचिवालय व सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर है।

हालांकि अधिकारी मजदूरों से काम छिनने के लिए अलग दलील दे रहे हैं। मनरेगा के उपायुक्त राघवेंद्र तिवारी का कहना है कि मजदूर इन दिनों खेती, किसानी में लगा हुआ है, इससे कुछ निर्माण कार्य बंद हैं।

उनका यह भी कहना है कि लॉकडाउन के दौरान महानगरों से जो मजदूर गांवों में लौटे थे, वह 10 से 20 दिन काम करने के बाद वापस चले गए। इससे भी उनके काम का प्रतिशत घटा है।

मनरेगा की गाइडलाइन के मुताबिक, हर मजदूर को साल में कम से कम 100 दिन काम मिलना चाहिए, लेकिन लाल फीताषाही के चलते चित्रकूट मंडल में 35 हजार मजदूरों को 20 दिन काम भी नहीं मिला।

चित्रकूटधाम मंडल के संयुक्त विकास आयुक्त (जेडीसी) रमेशचंद्र पांडेय कहते हैं, गांवों में मनरेगा कार्य जारी रहें, इसके लिए मुख्य विकास अधिकारियों और मनरेगा उपायुक्तों को निर्देश दे दिए गए हैं।

जेडीसी के मुताबिक, अगर किसी जिले की ग्राम पंचायत में विकास कार्य बेवजह बंद होने की षिकायत मिलेगी तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।

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Workers Unity Team

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