मज़दूरों की मदद करने वाले डीटीसी के ड्राईवरों कंडक्टरों और अधिकारियों पर FIR, यूनियन ने जताया विरोध

मज़दूरों की मदद करने वाले डीटीसी के ड्राईवरों कंडक्टरों और अधिकारियों पर FIR, यूनियन ने जताया विरोध

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को दिल्ली के कई इलाकों से आनंद विहार आईएसबीटी तक ले जाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 44 डीटीसी और क्लस्टर बसों के कर्मचारियों पर एफ़आईआर दर्ज करने का मामला तूल पकड़ता नज़र आ रहा है।

दिल्ली सरकार के इस फैसला का वर्कर्स यूनियन ने विरोध जताया है।

डीटीसी कर्मचारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान वह ‘आवश्यक सेवा’ के लिए तैनात थे और वरिष्ठ अधिकारियों ने पैदल अपने घरों की ओर जा रहे प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए कहा था जिसके बाद उन्होंने ऐसा किया।

गौरतलब है कि बीते 28 मार्च को भारी संख्या में प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश- दिल्ली की सीमा से सटे गाजीपुर और आनंद विहार पहुंचे थे।

इस दौरान दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर बसों की व्यवस्था की बात कही थी। उन्होंने ट्वीट किया था कि दिल्ली सरकार की क़रीब 100 और उत्तर प्रदेश सरकार की क़रीब 200 बसें दिल्ली से पैदल जाने की कोशिश कर रहे लोगों को लेकर जा रही हैं।

बता दें कि यह फैसला दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकार ने लिया था। हालांकि केंद्र सरकार ने प्रवासी मजूदरों को रोकने और लॉकडाउन का उल्लंघन ना करने का फैसला किया था जिसके बाद दिल्ली सरकार ने इस फैसले से दूरी बना ली थी।

केंद्र ने इस दौरान चार आईएस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिसा जारी करते हुए सस्पेंड कर दिया था। सरकार ने इन अधिकारियों पर जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य बनाए रखने में विफलता का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया था।

निलंबित किए गए अधिकारियों में अतिरिक्त मुख्य सचिव (परिवहन विभाग) रेणु शर्मा और प्रमुख सचिव (वित्त) राजीव वर्मा थे, जबकि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और भूमि भवन विभाग) सत्य गोपाल और सीलमपुर उपखंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अजय को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे।

बाद में यह भी कहा गया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार की शिकायत के बाद यह फैसला लिया गया। दावा यह भी किया गया कि इन चार अधिकारियों ने प्रवासियों के लिए बसों की व्यवस्था करने का फैसला भी खुद ही किया था।

एफआईआर के मुताबिक, जब ड्राइवरों से पूछा गया कि वे किसके कहने पर प्रवासी मजदूरों को फ्री में बस अड्डे तक ले जा रहे हैं, इसपर उन्होंने कहा है कि ऐसा करने के लिए ऊपर से आदेश आया है।

डीटीसी कर्मचारियों से इस बात को लेकर परेशान हैं कि सरकारी अधिकारियों के आदेशों के बाद ही प्रवासी मजदूरों को बसों की सेवा मुहैया कराई गई लेकिन केंद्र सरकार के सख्त भरे रुख के बाद इस फैसले से अचानक हाथ खींच लिया गया।

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव राजेश चोपड़ा ने कहा कि यह स्पष्ट है ड्राइवरों की गलती नहीं है।

लॉकडाउन के चलते अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन हम यह लगातार जानने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए बसों का प्रबंधन करने का आदेश कहां से आया था।

उन्होंने आगे कहा कि किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मसले पर सरकार से बातचीत की जाएगी।

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Workers Unity Team