ऐतिहासिक: सफाई कामगार Rachel Keke ने पूर्व खेल मंत्री को हरा कर फ्रांस की विधानसभा सीट जीती
एक नया इतिहास रचते हुए फ्रांस की रचेल केके, जो पेशे से होटल में सफाई कामगार हैं, राष्ट्रीय विधानसभा के लिए चुनी गई हैं।
फ्रांस के संयुक्त वामपंथी मोर्चा New Popular Environmental and Social Union (NUPES) द्वारा समर्थन प्राप्त रचेल ने पूर्व तैराकी चैंपियन और खेल मंत्री (2020-2022) रोक्साना मारासिनेनु को हरा कर विधानसभा में जगह बनाई।
रचेल पैरिस के बहुदेशी होटल चेन Ibis में सफाई कामगार के रूप में काम करती थीं जहां उन्होंने मजदूरों की साथ खराब काम करने की परिस्थितियों के खिलाफ हड़ताल का नेतृत्व किया और 22 महीनो बाद जीत हासिल की।
वह मूलतः पश्चिमी अफ्रीका के दश आइवरी कोस्ट से हैं जहां सन् 2000 में सैन्य तख्तापलट होने पर उन्होंने 26 साल की उम्र में फ्रांस में शरण ली।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
उन्होंने रविवार 19 जून को पैरिस के बाहर, वैल-डे-मार्ने संभाग के 7वें जिले में 50.3% वोट हासिल कर जीत दर्ज की। रोक्साना मारासिनेनु को 49.7% वोट मिले।
पहले दौर के मतदान में, संयुक्त वामपंथी समर्थित उम्मीदवार रचेल अपने अधिक प्रसिद्ध प्रतिद्वंद्वी से 10 अंक आगे, 23.77% के मुकाबले 37.22% मतों के साथ शीर्ष पर थीं।
हालांकि, मतदान कम हुआ (46.33%)। दक्षिणपंथी उम्मीदवार विन्सेंट जीनब्रन, एक स्थानीय राजनीतिक व्यक्ति, 18.32% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
सफाई मजदूरों की नेता
मतदान के डॉ चरणों के बीच रचेल ने कहा, “यह अभी भी एक आश्चर्य था। लोग मुझे नैशनल असेम्बली में देखना चाहते हैं, यह ऐतिहासिक होगा।”
पेशे से एक चैम्बरमेड या होटल के कमरों की सफाई करने वाली रचेल पैरिस के Ibis Batignolles होटल में सफाई कामगारों द्वारा की गई हड़ताल के दौरान प्रमुख हस्तियों में से एक थीं।
उप-ठेकेदारों के रूप में कार्यरत 20 मजदूरों ने पेरिस के होटल के कर्मचारियों में एकीकृत होने की मांग की और खराब काम की परिस्थितियों की खिलाफत की। 22 महीने के संघर्ष के बाद, मई 2021 में उनकी काम करने की स्थिति में सुधार हुआ।
उन्होंने फ्रांस की नागरिकता साल 2015 में मिली। उन्होंने एक नाई, चैंबरमेड और फिर हाउसकीपर के रूप में काम किया।
पहली बार चुनाव में खड़े होकर ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि रहीं रचेल ने अपने सामाजिक संघर्ष को नैशनल असेम्बली तक ले जाने की अपनी इच्छा दिखाई।
- यूरोप में हफ्ते में चार दिन काम की मांग, भारत में 12 घंटे ड्यूटी नॉर्मल बात बन गई है
- श्रम क़ानून को ‘स्लेव क़ानून’ बनाने पर हंगरी में जनविद्रोह, मज़दूर-नौजवान सड़कों पर
उन्होंने फ्रांसीसी समाज का बेहतर प्रतिनिधित्व करने वाली एक असेंबली के पक्ष में तर्क दिया, और सामाजिक और भौगोलिक निकटता के महत्व पर प्रकाश डाला।
अपने प्रतिद्वंदी को चुनौती देते हुए रचेल ने उनसे पूछा, “आप मजदूर वर्ग के साथ नहीं रहती हैं, तो आप यहाँ क्या कर रही हैं?”
वामपंथी मोर्चा बनी सबसे बड़ी विपक्षी दल
रचेल ने मतदान से परहेज करने वालों को समझाने पर जोर दिया, जबकि मारासिनियानु ने “वामपंथियों के खिलाफ रिपब्लिकन मोर्चा” बनाने का आह्वान किया था, जिससे NUPES में आक्रोश भड़क।
उन्होंने इसे अपने और कट्टर दक्षिणपंथी के बीच समानता बनाने के रूप में देखा।
असेंबली की कुल 577 सीटों में से 142 सीटों पर जीत हासिल कर वामपंथी गठजोड़ NUPES फ्रांस की सबसे बड़ी विपक्षी दल बन गई है।
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)