फ़्रांस: रेनॉल्ट कार फैक्ट्री में मजदूरों ने 7 मैनजरों को 12 घंटे तक बनाया बंधक, फैक्ट्री बंद होने से आक्रोशित थे मजदूर

फ़्रांस: रेनॉल्ट कार फैक्ट्री में मजदूरों ने 7 मैनजरों को 12 घंटे तक बनाया बंधक, फैक्ट्री बंद होने से आक्रोशित थे मजदूर

फ्रांसीसी पूंजिपतियों को प्रभावित करने वाली नवीनतम घटना “बॉसनैपिंग” की कार्यवाही में रेनॉल्ट कार पार्ट्स कारखाने की बिक्री को रोकने के लिए वहां काम करने वाले मजदूरों ने सात मैनेजरों को 12 घंटे के लिए उनके कारखाने के अंदर रोक दिया।

फ़्रांस में पिछले साल रेनॉल्ट कंपनी द्वारा प्लांटों को बंद करने और नौकरियों को घटाने की घोषणा के बाद से लगातार श्रमिकों द्वारा अलग-अलग प्लांटों को एक एक कर बंद करने का विरोध किया जा रहा है। रेनॉल्ट प्रबंधन के इस फैसले से 5000 मजदूरों की नौकरियां जाने की संभावना है।

बॉसनैपिंग यानी बॉस को किडनैप करना लॉक-इन का एक रूप है जहां कर्मचारी अक्सर छंटनी और कटौती के विरोध में, प्रबंधन और एचआर को प्लांट या ऑफिस के अंदर ही कुछ समय के लिए रोक देते हैं या बंद कर देते हैं। मजदूरों द्वारा विरोध का यह तरीका विशेष रूप से फ्रांस में 2007 के बाद से आजमाया जा रहा है।

लगातार बॉसनैपिंग की घटनाओं के बाद 2007 से 2012 तक फ्रांस में दक्षिणपंथी निकोलस सरकोजी की सरकार द्वारा पुलिस को दिए गए अतिरिक्त पावर को वापस ले लिया था।

उत्तर-पश्चिम फ्रांस के ब्रिटनी के लोरिएंट शहर के पास फाउंड्री डी ब्रेटेन नाम के प्लांट में जिसे बेचने की घोषणा की गई थी, के एक प्रबंधक को मंगलवार की सुबह यूनियन के सदस्यों ने पकड़ लिया और 10.30 बजे तक घर नहीं जाने दिया।

प्रबंधकों को रोककर रखने के पीछे फैक्ट्री के मजदूरों का एक ही मकसद था कि प्रबंधन उनसे बातचीत करें उसके बाद ही कोई फैसला ले। प्रबंधकों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने का मजदूरों का कोई इरादा नहीं था।

एक यूनियन प्रतिनिधि, माएल ले गोफ, जो हार्ड-लेफ्ट सीजीटी से संबंधित हैं के अनुसार यूनियन ने प्रबंधकों को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि “वे अभी भी यूनियन के साथ बातचीत नहीं करना चाहते थे। इसलिए ऐसे लोगों से बात करने की कोशिश करना बेकार है जो मामले को सुलझाना ही नहीं चाहते हैं”।

वही रेनॉल्ट कार के पार्ट्स बनाने वाली इस कंपनी के प्रबंधन ने मजदूरों द्वारा प्रबंधन के सदस्यों को बंधक बनाने की घटना की आलोचना करते हुए कहा कि हम लोग 350 श्रमिकों वाले इस प्लांट को चालू रखना चाहते हैं इसलिए इसके लिए नया खरीदार ढूंढ रहे हैं।

फ्रांस में श्रमिक अपने अधिकारों को लेकर सजग और मुखर हैं, इसलिए औद्योगिक संबंधों में हमेशा टकराहट होती रहती है। फ्रांस के अंदर कंपनी के अधिकारियों और यूनियनों के बीच टकराव नियमित रूप से सुर्खियों में रहता है। 2014 में, उत्तरी फ्रांस में गुडइयर टायर कारखाने के श्रमिकों ने संयंत्र को बंद करने से रोकने के लिए लगभग 300 घंटे तक दो निदेशकों को बंधक बनाए रखा था। 2015 में, एयर फ्रांस के नाराज़ कर्मचारियों ने पेरिस में मौजूद इस एयरलाइन के मुख्यालय में कई अधिकारियों को खदेड़ा और एक को टीवी कैमरों के सामने उन्हें कमर से ऊपर अर्धनग्न कर दिया था। हमले के लिए तीन लोगों को जेल की सजा दी गई थी।

फ़िलहाल जबकि रेनॉल्ट फाउंड्री के प्रबंधकों को मुक्त कर दिया गया है, वहीं कारखाना बंद पड़ा है। प्लांट के बाहर धरने पर बैठे श्रमिकों की मांग है कि कार निर्माता इस प्लांट को बेचने की अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करें। ले गोफ ने कहा कि “हम अभी भी इस मुद्दे पर कुछ सकारात्मक प्रगति की प्रतीक्षा कर रहे हैं”। एक साल से चल रहा ये मामला ज्यादा लंबा खींच रहा है।

कार निर्माता रेनॉल्ट ने अपने वैश्विक उत्पादन में 20% की कटौती करने और दुनिया भर में 14,600 नौकरियों को खत्म करने की घोषणा की है, जिसमें फ्रांस में इसके 14 संयंत्रों में 4,600 नौकरियां शामिल हैं। ये कटौती दुनिया भर में आर्थिक मंदी की वजह से उत्पादन और व्यापार में आए गिरावट के नाम पर की गई है। दुनिया भर में ऑटो मालिक – और कई अन्य उद्योगपति – गहराते आर्थिक संकट और बाजार में घटती मांग के बीच अपने मुनाफे को बचाए रखने के लिए श्रमिकों की छंटनी और अन्य मजदूर विरोधी तरीके अपना रहे हैं।

वहीं 30 साल से रेनॉल्ट के प्लांट में काम कर रहे मजदूर और यूनियन लीडर समीर का कहना है कि फ्रांस में रेनॉल्ट और दूसरी वाहन निर्माता कंपनियां अपना उत्पादन कोरोना वायरस की वजह से आई मंदी की वजह से कम नहीं कर रही है बल्कि धीरे-धीरे यह अपनी तकनीक में बदलाव कर रही हैं ताकि इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन बढ़ाया जा सके और नई तकनीक के आने के बाद मजदूरों की संख्या आधी से भी कम रह जाएगी।

पिछले साल रेनॉल्ट प्रबंधन की इस घोषणा के बाद कि वे म्यूब्यूज प्लांट को बंद कर देंगे और कुछ उत्पादन को दूसरे प्लांट में शिफ्ट कर देंगे, 8,000 यूनियन कर्मचारियों ने उत्तरी फ्रांस में रेनॉल्ट के म्यूब्यूज प्लांट में 30 मई को रैली निकाली। वहाँ के 2,000 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए और 3 जून को काम पर लौटने के बाद मालिकों ने उन्हें “आश्वस्त” किया और कहा कि संयंत्र को खुला रखने के लिए एक समझौते पर काम किया जा रहा है।

इस हड़ताल समाप्त होने के एक दिन पहले रेनॉल्ट के अध्यक्ष जीन-डोमिनिक सेकार्ड ने घोषणा की कि पेरिस के पास स्थित चोइस-ले-रो प्लांट बंद हो जाएगा। फ्रांस में वाहन निर्माता कंपनी रेनॉल्ट के इस पहले प्लांट को बंद कर दिया जाएगा। इसके जवाब में वहां के 262 मजदूर सड़कों पर उतर गए और सैकड़ों श्रमिकों ने 3 और 6 जून को प्लांट के बाहर रैली निकाली। फ्रांस में रेनॉल्ट श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली चार यूनियनों द्वारा अवैध छंटनी और तालाबंदी के खिलाफ इस आंदोलन का नेतृत्व किया जा रहा है – सीएफई-सीजीसी, एफओ, सीएफडीटी और सीजीटी।

फ्रांसीसी सरकार रेनॉल्ट की सबसे बड़ी शेयरधारक है, जिसकी 15% से अधिक हिस्सेदारी है। नौकरियों में कटौती की घोषणा से ठीक तीन दिन पहले, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की सरकार ने रेनॉल्ट को घाटे से उबरने के लिए 8.8 अरब डॉलर का वित्तीय सहायता पैकेज दिया था।

“द गार्जियन” और “द मिलिटेंट” से साभार….

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Amit Singh

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