अघोषित आपातकाल: किसान आंदोलन में सक्रिय Twitter अकाउंटों को मोदी सरकार ने कराया बंद
भारत के कानून सिर्फ उन्हीं पर लागू होते हैं जो मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। सरकार का कदम कदम पर बचाव करने के लिए अल्पसंख्यकों के प्रति जहर उगलने वाले कानून से ऊपर उठ चुके हैं।
ये कहना था कई Twitter यूजर्स का जब इस सोशल मीडिया प्लैट्फॉर्म ने किसान एकता मोर्चा (@Kisanektamorcha), ट्रैक्टर टू ट्विटर (@tractor2twitr) और अमान बाली का अकाउंट Information Technology Act, 2000 का हवाला देते हुए रोक दिया।
Twitter ने ये अकाउंट भारत सरकार द्वारा “स्थानीय कानून” के पालन में रोके हैं। बताते चलें कि इन अकाउंटों ने कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के समय देश भर से लोगों को संगठित करने में एहम भूमिका निभाई थी।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
ये दूसरी बार है कि कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान और किसानों के मुद्दों पर प्रकाश डालने वाले अकाउंट Tractor2twitr को रोका गया है।
मोदी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ ये अकाउंट लगातार जमकर आवाज उठाते रहे हैं।
कई ट्विटर यूजर्स ने कहा कि देश में प्रजातन्त्र की जगह अब राजतन्त्र स्थापित हो चुका हैं जहां सवाल करने पर चुप करा देना ही सरकार की नीति है।
इसके अलावा, पंजाब से युवाओं की लोकप्रिय आवाज, अमान बाली का अकाउंट भी रोक दिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा के ट्विटर हैंडल किसान एकता मोर्चा पर मोदी सरकार ने लगाई रोक।
भारत में अब लोकतंत्र नहीं है अघोषित इमरजेंसी है।
किसान एकता मोर्चा के ट्विटर हैंडल को तुरंत बहाल किया जाए अन्यथा सरकार का विरोध किया जाएगा।@RakeshTikaitBKU @narendramodi pic.twitter.com/wL7L8Fypmn— Ravi Azad BKU (@RAVIAZADBKU) June 27, 2022
जहर उगलते लाखों आईटी सेल अकाउंट
इसके उलट हजारों लाखों की संख्या में आईटी सेल के अकाउंट देश के बाकी अल्पसंख्यकों के खिलाफ जहर उगलते हैं और दंगे भड़काते हैं।
लेकिन ना Twitter ओर ना सरकार, इनकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं। इससे सरकार, सोशल मीडिया प्लैट्फॉर्म और आईटी सेल की मिलीभगत नजर आती है।
मुसलमानों के खिलाफ अभद्रता की सारी हदें पार करते हुए औरतों, बूढ़ों को गाली देना Twitter पर आम बात है।
किसान आंदोलन में सरकार के विरोध में खड़े किसानों को — जिनकी भागीदारी पंजाब से ज्यादा थी — बदनाम करने आईटी सेल ने उन्हें खालिस्तानी और देशद्रोही घोषित कर दिया था।
उन पर कीचड़ उछालने और उनकी आवाज को दबाने का सिलसिला अभी भी जारी है। इन अकाउंटों पर Twitter की कार्यवाही उसी कड़ी में एक कदम है।
Twitter और फासीवादी मिलीभगत
AltNews के पत्रकार और फैक्टचेकर मोहम्मद जूबेर, जो कि आईटी सेल द्वारा फैलाई गई भ्रामक और झूठी खबरों का पर्दाफाश करते हैं, के ट्वीटों को Twitter रोक देती है।
ऐसा दर्जनों बार हो चुका कि Twitter जूबेर को आधिकारिक ईमेल कर के ये सूचना देती है कि भ्रामक खबरों के फैक्टचेक कर सही जानकारी देने वाले ट्वीट को “अशान्ति फैलाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने” के डर से सरकार के कहने पर हटा दिया गया है।
लेकिन ठीक उसी समय, उन भ्रामक ट्वीटों पर मास रेपोर्टिंग करने पर भी एक्शन नहीं लिया जाता है।
वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां और फासीवादी सरकारों के बीच गठजोड़ अब एक जगजाहिर बात हो चुकी है।
ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने गोधरा नरसंहार में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने तीस्ता पर ये आरोप लगाया कि वे नरेंद्र मोदी की छवि को बदनाम करना चाहती हैं।
कुछ समय बाद Anti-Terrorism Squad ने उन्हें खींचातानी करते हुए गिरफ्तार कर लिया।
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)