अहमदाबाद में बॉयलर फटने से 12 मज़दूरों की मौत, फ़ैक्ट्री के पास नहीं था सेफ़्टी सर्टिफ़िकेट

अहमदाबाद में बॉयलर फटने से 12 मज़दूरों की मौत, फ़ैक्ट्री के पास नहीं था सेफ़्टी सर्टिफ़िकेट

इसी तरह की एक घटना में अहमदाबाद में बुधवार को पिराना-पिपलाज रोड पर स्थित एक केमिकल फ़ैक्ट्री का बॉयलर फट जाने से टेक्स्टाइल फ़ैक्ट्री का गोडाउन ध्वस्त हो गया जिसमें 12 मज़दूरों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

बॉयलर में ब्लास्ट होने से पास स्थित कई गोदाम की छत गिर गई जिसमें क़रीब दो दर्जन वर्कर फंस गये थे।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, फ़ॉयर ऑफिसर जयेश खड़िया ने कहा कि फायर ब्रिगेड के कर्मियों ने मलबे से 12 लोगों को निकाला और एलजी अस्पताल में शिफ्ट किया।

उन्होंने कहा कि पिराना-पिपलाज रोड पर स्थित इमारत का गोदाम आग लगने के बाद विस्फोट होने की वजह से ढह गया। 12 घायलों में से सभी लोगों की मौत हो गई है।

ख़बर के अनुसार, अहमदाबाद में पिराना पिरलाज रोड पर एक अवैध केमिकल फ़ैक्ट्री साहिल इंटरप्राइजेज़ में सबसे पहले आग लगी। इसे बुझाने के लिए फ़ायर ब्रिगेड की 24 गाड़ियां भेजी गईं। केमिकल फ़ैक्ट्री के बॉयलर में धमाके से आस पास के तीन चार गोडाउन की छत गिर गई, जिनमें टेक्स्टाइल गोडाउन भी शामिल था।

इन सभी गोडाउन में क़रीब 25 लोग मलबे के अंदर दब गए थे, जिनमें 12 की मौत हो गई। मरने वालों में 5 महिलाएं शामिल हैं।

घटना पर कांग्रेस ने रुपाणी सरकार पर सवाल उठाए हैं कि फ़ॉयर सेफ़्टी न होने के बावजूद कैसे इस फ़ैक्ट्री को चलने दिया जा रहा था।

बता दें कि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि फ़ैक्ट्री के पास समुचित फ़ायर सेफ़्टी सर्टिफ़िकेट नहीं था। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं लेकिन मालिक फ़रार बताया जा रहा है।

गुजरात सरकार ने पीड़ितों के परिजनों को चार चार लाख रुपये की मुआवज़ा राशि देने के ऐलान किया है।

बीबीसी गुजराती के अनुसार, सेवानिवृत्त डिप्टी चीफ फायर ऑफिसर भार्गव पारिख ने कहा कि गुजरात में ब्वॉयलर फटने से मज़दूरों के मरने की घटनाएं बढ़ गई हैं।

भार्गव ने बताया, “गुजरात में टेक्स्टाइल फ़ैक्ट्रियों में कोई नियम नहीं हैं। बॉयलर रखने वाले कारखानों को नियमों के अनुसार हर 6 महीने में एक लाइसेंस प्राप्त करना होता है लेकिन कोई भी इसे नहीं लेता है जिसके कारण बॉयलर की धातु कमजोर हो जाती है और दबाव बढ़ने पर स्वचालित दबाव वाल्व से बाहर नहीं निकलता है। कई लोग बॉयलर में ज्वलनशील रसायनों का भी उपयोग करते हैं, जिससे बॉयलर खराब हो जाता है और मज़दूरों की मौत हो जाती है।”

गुजरात में औद्योगिक घटनाओं में बॉयलर फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिनमें दर्जनों मज़दूर पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना अपनी जान गंवा देते हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते संसद सत्र में ज़बरदस्ती पास कराए गए 3 लेबर कोड में फ़ैक्ट्री सेफ़्टी के प्रावधानों को और ढीला कर दिया गया है जिससे कंपनी मालिकों को सेफ़्टी का ध्यान रखने की और शह मिल जाएगी। ये लेबर कोड आगामी एक अप्रैल से अधिसूचित किए जाने हैं, जिसके बाद अब सेफ़्टी का और बुरा हाल होने वाला है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.