खोरी में जिनके घर टूटे हैं हरियाणा सरकार जल्द पुनर्वास करेः सुप्रीम कोर्ट
हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित खोरी गांव को तहस नहस करने के आदेश देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से बेघरों को पुनर्वास मुहैया कराने के लिए कहा है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने साथ ही कहा कि यदि कोई भी स्ट्रक्चर वन विभाग की ज़मीन पर काबिज है तो उसको तुरन्त बेदखल किया जाए।
मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि 31 जुलाई तक नगर निगम फरीदाबाद को खोरी गांव के आवास एवं पुनर्वास की पॉलिसी को नोटीफाई करना था लेकिन मंगलवार को नगर निगम फरीदाबाद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुनर्वास की पॉलिसी बना कर राज्य सरकार को अप्रूवल के लिए भेजा गया है और अभी इसमें वक्त लगेगा।
इसलिए अगली सुनवाई 25 अगस्त के लिए रखी गई है। कोर्ट ने अस्थाई पुनर्वास के मुद्दे पर नगर निगम कमिश्नर से 25 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
गोराना ने बताया कि नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट प्रस्तुत किया जिसमें बताया गया कि राधा स्वामी सत्संग भवन में खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों को पुनर्वास दिया जा रहा है लेकिन सच कुछ अलग है। प्रशासन 100 से 400 लोगों तक ही भोजन पहुंचा पा रहा है, जबकि बेघर हुए लोगों की आबादी एक लाख से ऊपर है।
मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य मोहम्मद सलीम ने बताया कि पुनर्वास के नाम पर जब तक खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों को घर नहीं मिल जाता तब तक नगर निगम को अस्थाई रूप से ट्रांजिट कैंप में आश्रय देने की ज़रूरत है।
उनका कहना है कि नगर निगम जबरदस्ती लोगों को राधा स्वामी सत्संग भवन में धकेलना चाहता है। साथ ही पुनर्वास के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र के संबंध में मोहम्मद सलीम का कहना है कि बेदखल हुए परिवारों ने नगर निगम के समक्ष पुनर्वास हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किए किंतु नगर निगम ने बड़ी चालाकी के साथ आवेदन पत्र तो ले लिया किंतु उसकी एवज में आवेदन कर्ता को कोई रसीद नहीं दी ताकि ना रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी को नगर निगम सार्थक कर सके।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता सरीना सरकार ने बताया कि उसे किसी प्रकार की कोई भी पुनर्वास संबंधी सहायता नगर निगम की ओर से प्रदत्त नहीं की जा रही है। उल्टा नगर निगम बेदखल परिवारों को खोरी गांव की जमीन से जबरन भगाना चाहती है जबकि समस्त बेदखल परिवार अस्थाई रूप से भी पुनर्वास की मांग कर रहे हैं लेकिन नगर निगम बेदखल परिवारों की मांग को अनसुना एवं अनदेखा कर रही है।
मजदूर आवास संघर्ष समिति ने कहा है कि वह खुद खोरी गांव के बेदखल हुए परिवारों के दस्तावेज नगर निगम कार्यालय तक पहुंचा कर पुनर्वास की मांग करेगी। जहां एक ओर खोरी से बेदखल हुए मजदूर परिवार पुनर्वास की आस लगाए बैठे हैं और काफी लंबे समय से माफियाओं के अत्याचार से त्रस्त थे वहीं पर फिर से कई समूह पुनर्वास के नाम पर लोगों को गुमराह कर पैसा बटोरने का धंधा चला रहे हैं।
समिति ने दावा किया है कि 25 अगस्त को होने वाली सुनवाई के दौरान नगर निगम कमिश्नर एवं मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट पुनर्वास की पोल खोल देगी। मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव ने यह भी मांग की है कि पुनर्वास हेतु नोडल ऑफिसर तैनात किया जाए।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)