हरियाणा: बिजली कर्मचारियों ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी, 15 मार्च को करेंगे रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन
मोदी सरकार द्वारा लाये गये बिजली संशोधन बिल -2020 का असर अब दिखने लगा है। बिजली कर्मचारी सरकार द्वारा बिजली सेक्टर को निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
बिजली संशोधन बिल-2020 को वापस लेने सहित अपने मांगों को लेकर ऑल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन ने अपनी एक बैठक सुरेश राठी की अध्यक्षता में की।
कार्यक्रम में कर्मचारियों ने बिजली निगम में ऑनलाइन पॉलिसी को गलत बताते हुए कहा कि बिजली विभाग में काम करने का तरीका अलग होता है। विशेष रुप से तकनीकी स्टाफ की ऑनलाईन बदली होती है तो कर्मचारी दुर्घटनाग्रस्त होंगे। जानमाल का भारी नुकसान होगा।
सुरेश राठी ने बताया कि बिजली निगम की मैनेजमेंट लगातार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। नो डिमांड के नाम पर बिजली उत्पादन इकाईयों को बंद कर रही है। बिजली निगमों में लाखों पद खाली पड़े है जबकि अस्थाई भरती द्वारा कच्चे कर्मचारियों को भरकर उनका शोषण किया जा रहा है।
कर्मचारियों ने सभी कर्मचारियों की सेवा बहाली की जाए,समान काम – समान वेतन लागू किया जाए, पुलिस की तर्ज पर जोखिम भरी ड्यूटी के बदले 5000 रुपये प्रति माह विशेष भत्ता दिया जाए समेत बिजली निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग रखी।
प्रधान सुरेश राठी ने यह भी बताया कि किसान आंदोलन के समर्थन में किसान,कर्मचारी,मज़दूर व ट्रेड यूनियनें 15 मार्च को सभी रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन करेगें।
बैठक में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों से किए वादों को अनसुना कर रही हैं।
लांबा ने बताया कि 22-23 मार्च को सिरसा में राज्य स्तरीय सम्मेलन में बिजली निगम मैनेजमेंट के खिलाफ निर्णायक आंदोलन की घोषणा की जाएगी।
कर्मचारियों का कहना है कि उन्होने भाजपा- जेजेपी सी गठबंधन सरकार और राज्य के सभी विधायकों व सांसदो को ज्ञापन सौंप चुके हैं । लेकिन उन सबकी मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है। जबकि हमारी मांगे गठबंधन सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल रही हैं।
अपने बैठक में कर्मचारियों ने ऐलान किया कि अगर हरियाणा सरकार 3 अप्रैल तक समाधान नहीं करती है तो देश के सभी मंत्रियों के आवासों का 4 से 25 अप्रैल तक घेराव करेंगे।
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