कहां हैं केजरीवाल और मोदी? दिल्ली में रहने वाले जादूगरों के परिवार में भूख से मरने की नौबत
By खुशबू सिंह
घुमंतू जातियों से आने वाले जादूगर परिवारों दिल्ली में रहते हुए भी भुखमरी की कगार पर खड़ा है।
दिल्ली के आनंद पर्वत में रहने वाले घूमंतु समुदाय के 30 परिवार लॉकडाउन के कारण भुखमरी की कगार पर आ गए हैं।
घूमंतू समुदाय से ताल्लुख रखने वाले रहमान शाह पेशे से जादूगर हैं। फ़ुटपाथ पर, शादियों, बर्थडे पार्टी में अपनी कला दिखाकर आजीविका चलते हैं, लेकिन लॉकडाउन ने इनकी रोज़ीरोटी खत्म कर दी।
अब लॉकडाउन खुल गया है लेकिन उनकी आजीविका का साधन दोबारा पटरी पर नहीं आ पा रहा है। समाजसेवियों और कला प्रेमियों से उन्होंने मदद की गुहार लगाई है।
रहमान ने बताया कि आमदनी का कोई साधन न होने के नाते इनके घर में दो दिन से चूल्हा नहीं जला है।
वो बताते हैं, “दिल्ली की केजरीवाल सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है। हालांकि मैंने कई समाज सेवियों से मदद की गुहार लगाई है।”
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मदद की बजाय काम करने की मिलती है सलाह
रहमान शाह अपनी पत्नी, चार बेटियां और दो बेटों के साथ दिल्ली के आनंद पर्वत के ट्रांजिट कैप में रहते हैं। इन्हीं की तरह वहां पर 30 परिवार और हैं।
रहमान शाह कहते हैं, “लॉकडाउन के एक महीने पहले से ही हमारा काम बंद पड़ा था। हम रोज़ कमाने खाने वाले लोग हैं। अगर एक दिन भी काम बंद पड़ गया तो शाम को भोजन नसीब नहीं होता है। आप समझ सकते हैं कि इस लॉकडाउन में हमारी क्या हालत हो गई है?”
उन्होंने कहा, “यहां तो हम लोग तीन महीनों से बेरोज़गार बैठै हैं। लॉकडाउन के समय कुछ समाज सेवियों ने राशन दिया था। पर अब लॉकडाउन खत्म हो गया है। राशन नहीं मिल रहा है। सोचा सड़क पर खेल तमाशा दिखाकर कुछ पैसे कमा लेंगे पर भीड़ इकठ्ठा होते ही पुलिस वाले भगा देते हैं।”
क्या इस दौरान उनकी किसी ने किसी तरह से कोई मदद की है, इस पर उनका कहना था कि अब कोई मदद देने को तैयार नहीं।
उन्होंने बताया, “मैंने कुछ लोगों से मदद मांगी थी। पर लोग कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म हो गया है, जाकर काम करो। लेकिन काम भीड़ को इकठ्ठा करने का है, पर अब ऐसा नहीं कर सकते हैं। जादू दिखाकर पैसे कमाना हमारा खानदानी पेशा है। इसके अलावा हमें कुछ आता भी नहीं है। लगता है कटोरा लेकर भीख मांगनी पड़ेगी।”
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देश में 666 घुमंतू जातियां
रहमान शाह की बड़ी बेटी सिलाई का कमा करती हैं। इन्हीं की कमाई से परिवार का गुज़ारा किसी तरह हो पा रहा है। रहमान शाह अपने बच्चों को घूमंतु समुदाय की ज़िंदगी नहीं देना चाहते हैं। इसीलिए वे उन्हें अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं।
घूमंतू समुदाय की संख्या राजस्थान में सबसे अधिक है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राजस्थान में 32 घुमंतू जातियां हैं और एक अनुमान के हिसाब से इनकी जनसंख्या 60 लाख है। इनके पास न तो स्थाई आवास हैं और न ही आजीविका के साधन।
भीखूराम इदाते कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे, देश में घुमंतू जातियां 666 हैं। मालवाहक, पशुपालक या शिकारी, धार्मिक खेल दिखाने वाले और मनोरंजन करने वाले लोग इनमें मुख्य रूप से आते हैं।
रेनके कमीशन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 98% घुमंतू बिना जमीन के रहते हैं, 57% झोपड़ियों में और 72% लोगों के पास अपनी पहचान के दस्तावेज तक नहीं हैं। 94% घुमंतू बीपीएल श्रेणी में नहीं हैं।
लॉकडाउन का असर प्रवासी मज़दूरों के बाद सबसे अधिक घूमंतु समुदाय पर पड़ा है। घूमंतू समुदाय के लोग खेल तमाशा दिखाकर अपना रोज़ी रोज़गार चलाते हैं।
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