मोदी का दुलारा पूंजीपति चंद सालों में कैसे बन बैठा दुनिया का छठा अमीर?

मोदी का दुलारा पूंजीपति चंद सालों में कैसे बन बैठा दुनिया का छठा अमीर?

By धर्मेन्द्र आज़ाद

“द वेल्थ रिपोर्ट ” के अनुसार दुनिया में अरबपतियों की संख्या में भारत तीसरे रैंक पर है। पहले स्थान पर अमेरिका है जहाँ 748 अरबपति हैं, दूसरे स्थान पर चीन है, जहाँ 554 अरबपति हैं एवं भारत तीसरे स्थान पर है जहाँ 145 अरबपति हैं.

फोर्ब्स रियल टाइम बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक 123 अरब डॉलर नेटवर्थ के साथ गौतम अडानी दुनिया का छठा अमीर व्यक्ति बन गया है, एवं एशिया का प्रथम।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी OXFAM के अनुसार भारत के 9 अमीरों के पास देश की आधी आबादी से ज्यादा संपत्ति है।

People’s Research on India’s Consumer Economy (PRICE) के हालिया सर्वे के मुताबिक़, भारत में सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों की कमाई 2015-16 की तुलना में 2020-21 में 53 फीसदी घट गई थी। जबकि इसी दौरान सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की कमाई 39 फीसदी बढ़ी है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2021 , भुखमरी में 116 देशों की सूची में भारत का 101 पायदान पर है, नेपाल, पाकिस्तान से भी पीछे। वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स-2022 में 146 देशों की लिस्ट में 136 रैंक पर है।

ambani adani modi tata

सबसे गरीब देशों में सबसे अमीर लोग

इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि क्यों अरबपतियों की संख्या में जिस भारत का नम्बर तीसरे स्थान पर है उसी भारत में दुनिया की सबसे गरीब आबादी निवास करती है, जिनके पास शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, रोजगार, आवास की मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।इसके पीछे जिम्मेदार है पूंजीवादी अर्थव्यवस्था।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बाजार का तर्क सिर्फ ‘ व्यक्तिगत मुनाफ़े’ को केंद्र में रखता है, ‘समाज’ को नहीं।

बाजार का ‘मुनाफ़े’ पर क्या असर होगा, ‘पूँजीपतियों ‘ को क्या लाभ देगा यह तो ख़ूब ध्यान में रखा जाता है, किन्तु ‘समाज’ पर इसका क्या असर होगा, इसके सम्बन्ध में कुछ नहीं सोचा जाता है।कम्पनियों, और कार्पोरेट घरानों का फ़ायदा ही अर्थतंत्र की धुरी बन जाता है।

पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार खुल्लमखुल्ला याराना पूँजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) को बढ़ावा दे रही है, यह पूंजीवाद का वह बदसूरत मॉडल है जिसके तहत सरकार चुनिंदा उद्योगपतियों को विशेष फ़ायदा पहुँचाती है।

उन्हें सरकारी अनुदान, टैक्स छूट, परमिट आवंटन, टेंडर में पक्षपात के जरिए समर्थन किया जाता है।

इन उद्योगपतियों का उद्देश्य येन-केन प्रकारेण पैसा कमाना होता है। यह सरकारी तन्त्र और उद्योगपतियों के बीच जनता की बेरोकटोक लूट करने का गठबंधन है। आज राजनेता, नौकरशाह, उद्योगपति की आपस में साठ -गांठ, भ्रष्टाचार इस मुल्क को दीमक की तरह चाट रही है।

ambani adani modi tata industrialist

अमीर होती राजनीतिक पार्टियां

इसमें गोदी मीडिया, न्याय पालिका, सुरक्षा एवं प्रशासनिक सस्थाएँ सब सहयोगी एवं सहभागी हैं।

उदाहरण सामने है, याद कीजिए 2014 का लोकसभा चुनाव। जब नरेंद्र मोदी प्रति-दिन गुजरात के गांधीनगर से देश के कोने कोने में जिस व्यक्ति के चार्टर प्लेन से भाषण देने जाते थे, वो किसी और के नहीं, गौतम अडानी के ही थे।

फलस्वरूप एहसान चुकाने के एवज में चुनाव जितने के तुरन्त बाद अदानी को आस्ट्रेलिया में कोयला खदान के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 10 हजार करोड़ का लोन दिलाया था एवं बाद में मुल्क के अनेकों प्रॉफिट मेकिंग कम्पनियों, कारखानों, निगमों को अडानी के हाथों कौड़ियों में बेच रहे हैं।

इस याराना पूँजीवाद का फ़ायदा प्रत्यक्षतः भाजपा ले रही है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक़ वित्तीय वर्ष 2019-20 में सात राष्ट्रीय दलों ने 6,988.57 करोड़ रुपए की संपत्ति और 44 क्षेत्रीय दलों ने 2,129.38 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की।

इसमें से अकेले भाजपा के पास करीब 4847.78 करोड़ की घोषित सम्पत्ति है। ध्यान रहे यह केवल पार्टी द्वारा खुद घोषित सम्पत्ति है अघोषित सम्पत्ति का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.