कोरोनाः घरेलू सामानों से कैसे बनाएं हैंड सैनेटाइज़र और मास्क
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जबसे दुनिया भर में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है, हैंड सैनेटाइज़र (हाथ को साफ़ रखने वाला जेल) और मास्क मार्केट से ग़ायब हो गए हैं।
अगर बहुत जद्दोजहद के बावजूद ये मिल भी रहे हैं तो बहुत ऊंचे दामों में जो मेहनतकश आबादी की पहुंच से बाहर है।
भारत में सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद बहुत पॉश इलाक़े में भी हैंड सैनेटाइज़र मिलना मुश्किल हो गया है तो सामान्य आबादी वाले इलाक़ों का क्या कहना।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की ओर से बताए गए नुस्खे के अनुसार, आईए हम जानते हैं कि कैसे घर पर हैंड सैनेटाइज़र और मास्क बना सकते हैं।
हैंड सैनेटाइज़र
आम तौर पर कोरोना वायरस हाथ के संपर्क में आता है और जब उस हाथ को मुंह, नाक या आंख पर लगाया जाता है तो वो व्यक्ति के अंदर चला जाता है।
आम तौर पर एक व्यक्ति 24 घंटे में क़रीब 2800 बार किसी न किसी चीज़ को छूता है, जिसमें उसका चेहरा भी शामिल है। यानी हर मिनट कम से कम तीन बार।
इसीलिए डॉक्टर और विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों को हर 15 मिनट पर हाथ को साबुन से धोने या हैंड सैनेटाइज़र से साफ़ करने का एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं।
इस बीमारी का इलाज़ अभी तक नहीं पता चल पाया है इसलिए सिर्फ लक्षण का इलाज़ संभव है और एहतियात बरतना ही प्रमुख बचाव है।
हैंड सैनेटाइज़र अगर बाज़ार में नहीं मिल रहा है तो घबराएं नहीं। जिन चीजों से मिलकर ये बनता है वो बाज़ार में मौजूद हैं।
हैंड सैनेटाइज़र बनाने की विधि
बाज़ार में या मेडिकल स्टोर पर तीन चीज़ मौजूद होती है- एलुवेरा जेल या पल्प, डॉक्टर स्प्रिट और बॉडी ऑयल।
आपको अगर 300 एमएल हैंड सैनेटाइज़र बनाना है तो 100 एमएल एलुवेरा पल्प और 200 एमएल डॉक्टर स्प्रिट मिलानी होगी और इसमें तीन ढक्कन बॉडी ऑयल या कोकोनट ऑयल मिलाना होगा।
एलुवेरा वैसे लोग अपने घरों में गमले में लगाते हैं क्योंकि इसके कई औषधीय गुण हैं और हाल के दिनों में बाबा रामदेव ने इसका खूब प्रचार किया है।
इसे घृतकुमारी या ग्वालपेठा भी कहते हैं, इसलिए अगर आपको इसकी पत्ती मिल जाए जो उसको छील कर उसके अंदर का गूदा निकाल लें जो बिल्कुल सफेद होता है और अच्छी तरह फेट लें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से जारी हैंड सैनेटाइज़र बनाने की घरेलू विधि
WHO के अनुसार, डॉक्टर स्प्रिट में 70% एल्कोहल होता है और आम तौर पर हैंड सैनेटाइज़र में 60 से 70% ही अल्कोहल चाहिए होता है। सामान्य शराब में अल्कोहल की मात्रा 48% होती है।
इसलिए डॉक्टर स्प्रिट को तरजीह दें और नहीं है तो सामान्य व्हस्की, वोदका या देशी दारू का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अब जितना गूदा है उसकी दोगुनी मात्रा में ये एल्कोहल मिला लें। इसमें तीन चम्मच तेल मिला सकते हैं जिसमें थोड़ी महक हो या सामान्य तेल के साथ दो तीन बूंद इत्र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अब इसे हैंड वॉश वाले या शैंपू के बोतल में भर लें ताकि इसके इस्तेमाल में आसानी हो।
अब आईए घर के सामान से मास्क बाना सीखते हैं।
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घर पर बनाएं
कोरोना के संक्रमण का दूसरा ख़तरा खांसी जुख़ाम वाले व्यक्ति के द्वारा छींकने या खांसने से होता है। छींक एक क़तरे में 3000 कोरोना वायरस हो सकते हैं। इसलिए सावधानी बहुत ज़रूरी है।
सबसे आसान तरीक़ा तो ये है कि बाज़ार से बहुत सारा रुमाल और टिश्यू पेपर ले आएं और रुमाल को तिकोना मोड़कर उसके बीच में टिश्यू पेपर लगा दें। हो गया मास्क तैयार।
दूसरा तरीक़ा ये है कि आजकल पॉलीथीन की बजाय पतले कपड़े वाले बैग में सामान दिया जाता है। ये बैक आम तौर पर मॉल या किराने की दुकानों पर मिलते हैं। ये बहुत सस्ते होते हैं।
इन थैलों को चौकोर साइज़ में काट लें यानी रुमाल के आकार के और रुमाल जिस तरह तिकोना मोड़ते हैं, मोड़ लें। इसमें अगर आप एक्स्ट्रा सावधानी बरतना चाहते हैं तो पहले तरीक़े के अनुसार, टिश्यू पेपर लगा सकते हैं।
हो गया मास्क तैयार।
ट्रेड यूनियनों को तैयार रहना होगा
लेकिन अब सबसे महत्वपूर्ण बात। कोरोना वायरस का प्रकोप जबसे शुरू हुआ है भारत सरकार सिर्फ इंतज़ार करने में ही तीन महीने गुज़ार दिए।
अभी भी भारत सरकार के जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं उसमें कोई तैयारी ऐसी नहीं है कि अगर किसी शहर में एक हज़ार दो हज़ार मरीज हो जाएं तो उनकी जांच, इलाज और देखभाल हो पाएगी।
ऐसे में बड़े पैमाने पर ज़िंदगियों के नुकसान की आशंका है। इसलिए जागरूक सामाजिक कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनों की इस समय ड्यूटी बनती है कि वो अपने स्तर पर सामुदायिक सेवा के लिए खुद को तैयार करें।
ये काम सामूहिक प्रयासों से होगा। ख़ासकर जहां समूह में मज़दूर हैं वो चंदा इकट्ठा कर ये काम कर सकते हैं और इससे वो अपनी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं और दूसरों को भी मदद पहुंचा सकते हैं।
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