बठिंडा में खेत मज़दूरों की विशाल रैली, किसान और मज़दूर विरोधी कानूनों के खिलाफ भरी हुंकार
किसान कानूनों और मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ हजारों खेत मजदूरों ने रैली निकाली और विरोध मार्च किया।
पंजाब खेत मजदूर यूनियन की राज्य कमेटी के आह्वान पर हजारों खेत मजदूर, पुरुषों और महिलाओं ने बठिंडा के अनाज मंडी में रैली की और तीन काले किसान कानूनों, श्रम कानूनों में केंद्र सरकार के संशोधनों और भाजपा शासन के तहत दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ शहर में विरोध मार्च किया।
इस मौके पर सभा को संबोधित करते वक्ताओं ने कहा कि “मोदी सरकार विकास के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को मदद पहुंचाने वाले कानून बना रही है। कृषि कानून मजदूरों के रोजगार को कम करने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समाप्त करने और जमाखोरी-कालाबाजारी के कारण मूल्य वृद्धि का कारण बनेगा और इसका फायदा मात्र बड़े पूंजीपतियों को ही मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सभी प्राकृतिक संसाधनों, सार्वजनिक क्षेत्र और कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों को बेचकर देश को धोखा दे रही है ।
लोक मोर्चा पंजाब के राज्य नेता जगमेल सिंह ने कहा कि “फासीवादी मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद दलितों के खिलाफ अत्याचार और जातिगत भेदभाव में वृद्धि हुई है और लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को लगातार कुचला जा रहा है।”
बीकेयू के प्रदेश महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने खेत मजदूरों के प्रयास की प्रशंसा करते हुए वर्तमान किसान कानूनों को निरस्त करने, खेत मजदूरों के कर्ज को खत्म करने और मेहनतकश लोगों की समानता और गरिमा पर आधारित समाज का निर्माण करने के लिए किसानों और मजदूरों के एकजुट आंदोलन के महत्व को विस्तार से बताया।
ठेका मजदूर यूनियन के नेता जगरूप सिंह ने कहा कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को रद्द करने और भूमि सुधारों को लागू करके भूमिहीन और खेतिहर मजदूरों की भूमि के अभाव को समाप्त कर कृषि पर आधारित विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करके रोजगार पैदा किया जा सकता है।
सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर बठिंडा में पुलिस द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के दमन की निंदा की और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
साथ ही तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने, खेत-मजदूरों के कर्ज को समाप्त करने, श्रम कानूनों में संशोधनों को निरस्त करने, किसानों के बिजली बिलों को माफ करने, जमीन का भेदभाव खत्म करने और दलितों पर हो रहे अत्याचार को रोकने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।
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