कोरोना वायरस : लक्षण, बचाव और इलाज
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जैसे बीमारी का विस्फोट हो गया लगता है। कोई भी व्यक्ति ऐसा अछूता नहीं बचा दिखाई देता जिसे खुद को या उसके आसपास परिचित लोग, रिश्तेदार या प्रियजन संक्रमण के दौर से नहीं गुजर रहे हों।
इन हालात में स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग चरमरा चुकी है और कई शहरों में न तो आईसीयू के अतिक्त बिस्तर बचे हैं और न पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा। कई शहरों में ऑक्सीमीटर और सामान्य दवाओं की भी किल्लत हो गई है।
ऐसे में जो लोग संक्रमित हो रहे हैं, उन्हें ये समझने की ख़ास ज़रूरत है कि कोरोना क्या है, इसके क्या लक्षण हैं, गंभीर लक्षण क्या हैं, इसका इलाज कैसे संभव है और कौन सी दवाएं आम तौर पर सुझाई जा रही हैं।
मेडिकल शोधार्थी स्वाति पांडे ने वर्कर्स यूनिटी के पाठकों के लिए खास कर डॉक्टरों और कोविड-19 के इलाज में लगे डॉक्टरों से बात कर एक ब्योरा जुटाया है।
क्या है कोरोना संक्रमण
कोरोना वायरस एक तरह की संक्रामक वायरल बीमारी है जो कोरोना विरिडी फैमिली के वायरस से होती है, मुख्यतः ये इन्फेक्शन जानवरों में होता है।
अभी तक 7 कोरोना वायरस हैं जिनका इंफ्केशन मनुष्य में पाया गया है। इनके कई सारे वैरिएंट्स एवं स्ट्रेंस हैं जो मनुष्यों में मुख्यतः सांस की बीमारियां का कारण बनते हैं। जैसे कि SARS -CoV , SARS -CoV -2 और MERS -CoV
संक्रमण और इसका फैलाव
इंसान से इंसान में संक्रमण मुख्यतः खांसने या छींकने पर निकलने वाले बारीक बूंदों से होता है। हवा में उत्पन्न एयरोसौल्ज़, संक्रमित सतह से इंफ्केशन होना संक्रमण के अन्य कारणों में आता है।
लक्षण
शुरुआती लक्षणः बार बार छींक आना, तेज़ बुखार, खांसी, ज़ुकाम, गले में खराश, सिर दर्द और बदन दर्द
सामान्य लक्षणः सर्दी लगकर तेज़ बुखार आना, बदन एवं जोड़ों में तेज़ दर्द होना, गले में खराश
सूखी खांसी, निगलने में गले में दर्द या चुभन का महसूस होना नाक बंद होना या बहना या बार बार छींक आना
सिर दर्द होना, दस्त आना, पेट में दर्द
मितली आना, भूख अचानक कम हो जाना
थकावट या कमज़ोरी महसूस होना
स्वाद या गंध का चला जाना
गंभीर लक्षणः सीने में दर्द या कमर में दर्द
बोलने या चलने फिरने में परेशानी
नार्मल बोलने में या थोड़ा काम करने में ही सांस फूलना
बैठे बैठे भी सांस की तकलीफ होना
अचानक तेज़ बुखार जोकि 103 डिग्री से 105 तक चला जाना
ऑक्सीजन लेवल गिरना
घुटन महसूस होना
जांच और टेस्ट :
सामान्यतः 4 मुख्य जांच करवाई जानी चाहिए जो की निम्न हैं –
1) कोविड-19 एंटीजन
2 ) कोविड-19 (RT)-पीसीआर
3 ) चेस्ट एक्स रे
4 ) HRCT चेस्ट
इनके अलावा D-Dimer , CRP ,IL -6 , Serum Ferritin, ESR, CBC की जांच केवल चिकित्सक परामर्श अनुसार ही करवाएं।
इलाज
शुरुआती लक्षण में लेने वाली दवाइयां निम्न हैं :
1) बुखार आने एवं बदन दर्द होने पर – पेरासिटामोल 500 mg से 650 mg टैबलेट (बालिग में यह डोज़ दिन में 3 से 4 बार ली जा सकती है।)
2) गले में खराश या चुभन होने पर कोई एंटीएलर्जिक दवा जैसे सिनारेस्ट या मोंटैर fx या चेस्टोन कोल्ड टोटल या अलेग्रा टैबलेट दिन में दो बार ली जा सकती है।
3) खाली पेट पैन्टॉप 40 या Omez 20 सुबह शाम लेने का सुझाव आम तौर पर दिया जा रहा है।
4) विटामिन C की 500 mg टैबलेट दिन में तीन बार
5) रोज 1 मल्टीविटामिन की गोली
6) ओआरएस / इलेक्ट्रॉल
ध्यान देने योग्य बात
एंटीबायोटिक जैसे कि टेबलेट azithromycin या मोनोसेफ़ या ।vermectin या डॉक्सीसाइक्लिन या अन्य कोई भी दूसरी एंटीबायोटिक चिकित्सक से परामर्श करके ही लें।
स्पष्टीकरण
तमाम डॉक्टरों का कहना है कि चूंकि इस बीमारी का कोई खास इलाज अभी नहीं खोजा जा सका है, इसलिए लक्षणों के आधार पर इलाज की शुरुआत की जाती है। लेकिन ऊपर लिखी गयी दवाइयां प्राथमिक उपचार के रूप में घर पर ही ली जा सकती हैं।
सामान्य लक्षण जैसे की बदन दर्द एवं तेज़ बुखार के साथ यदि दस्त , उलटी या तेज़ खांसी हो रही हो या गंभीर लक्षण जैसे की सांस में दिक्कत हो तो चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें या स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें।
ध्यान देने वाली बात ये है कि यदि सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तथा ऑक्सीजन लेवल नीचे जा रहा तो अलर्ट हो जाएं। ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल पता चलता रहता है। ऐसे में 90 प्रतिशत से नीचे ऑक्सीजन लेवल होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टरों का कहना है कि यदि आप या आपके जानने वालो में से कोई कोविड पॉजिटिव हो गया हो एवं आप उनके संपर्क में आये हों तो घबराएं नहीं। खुद को कम से कम दो हफ्तों के लिए क्वारंटीन करें एवं कोविड-19 एंटीजन या कोविड-19 (RT)-पीसीआर का टेस्ट करवाएं। पॉजिटिव आने पर घर पर ही रहकर इलाज किया जा सकता है।
तमाम डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना का इस बार का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैला है और संक्रमण की दर 30 से 35 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है इसलिए मरीजों और होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत अधिक है। लेकिन इससे ठीक होने वालों की संख्या भी कम नहीं है।
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