ताबड़तोड़ निजीकरण की अगली बलि निलांचल इस्पात निगम लिमिटेड की
अंधाधुन निजीकरण की प्रक्रिया में नया नाम नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड का आया है। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने सोमवार को बताया कि सरकार को नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) के निजीकरण को लेकर कई बोलीदाताओं से रूचि पत्र मिले हैं।
पांडे ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड के निजीकरण के लिये कई रूचि पत्र मिले हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया अब दूसरे चरण में आ गयी है। दीपम ने एनआईएनएल में रणनीतिक बिक्री को लेकर जनवरी में प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की थी। आपको बता दें कि एनआईएनएल, एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल, मेकॉन और ओड़िशा सरकार के दो उपक्रमों की ज्वाइंट वेंचर है।
इसे लेकर 10 ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने आपत्ति ज़ाहिर की है और कर्मचारी यूनियनों ने मुनाफ़े वाले ऐसे सार्वजनिक उपक्रम को बेच डालने का विरोध किया है।
मनी कंट्रोल की वेबसाइट के अनुसार, 26 मार्च को सज्जन जिंदल के मालिकाना हक वाली जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) ने सरकारी स्टील उत्पादक कंपनी नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट दाखिल किया है। बता दें कि नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट ओडिशा के कलिंग नगर में स्थित है जो टाटा स्टील के प्लांट से सिर्फ 10 मिनट के ड्राइव पर है।
नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट में अधिग्रहण के दौड़ में टाटा स्टील और आर्सेलर मित्तल निपॉन स्टील इंडिया (ArcelorMittal Nippon Steel IndiA) पहले से ही शामिल है।
बिजनेस स्टैडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक वेदांता के मालिकाना हक वाली ESL Steel भी नीलाचल में हिस्सेदारी लेने की इच्छुक है।
साल 2018-2019 में नीलांचल इस्पात की बिक्री में 126 प्रतिशत की ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी हुई थी और बिक्री टर्नओवर 2100 करोड़ रुपये पहुंच गया था।
एनआईएनएल संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसमें चार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों- खनिज एवं धातु व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी), राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और मेकॉन तथा ओडिशा सरकार की दो कंपनियों- ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (ओएमसी) और इंडस्ट्रियल प्रमोशन एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ ओडिशा लिमिटेड (आईपीआईसीओएल) की हिस्सेदारी है।
एनआईएनएल में एमएमटीसी की 49.78 प्रतिशत, ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन की 20.47 प्रतिशत, आईपीआईसीओएल की 12 प्रतिशत, एनएमडीसी 10.10 प्रतिशत तथा मेकॉन और भेल की 0.68-0.68 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
पिछले साल जनवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईएनल में एमएमटीसी (49.78 प्रतिशत), एनएमडीसी (10.10 प्रतिशत), मेकॉन (0.68 प्रतिशत), भेल (0.68 प्रतिशत), आईपीआईसीओएल (12 प्रतिशत) और ओएमसी (20.47 प्रतिशत) के इक्विटी शेयर के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी।
इस बीच, एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल और पोत परिवहन निगम के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गयी है। इन कंपनियों के निजीकरण के लिये सरकार को कई रूचि पत्र मिले हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। संशोधित अनुमान में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 32,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
चालू वित्त वर्ष में सरकार अबतक केंद्रीय लोक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी और शेयर पुनर्खरीद के जरिये 32,835 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। ये वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने वाला है।
वहीं, हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने बताया है कि 2021-22 में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) का निजीकरण और एलआईसी का आईपीओ महत्वपूर्ण होंगे।
अनुमानों के अनुसार बीपीसीएल को बेचकर सरकार को 75,000 से 80,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
एलआईसी के आईपीओ से ही एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इसे आज की तारीख तक देश का सबसे बड़ा निजीकरण माना जा रहा है।
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