लॉकडाउन में चुप्पी साधी खट्टर सरकार मज़दूरों के आने पर देगी 1500 रु.
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रवासी मज़दूरों को फिर से प्रदेश लौटने के लिए प्रति व्यक्ति 1500 रुपए देने का ऐलान किया है।
सरकार प्रति मज़दूर 1500 रुपए किराए का खर्च उठाने को तैयार है। पर इस में कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को ही शामिल किया गया है।
सरकार ने दावा किया है, “प्रदेश लौटने वाले इच्छुक मज़दूरों को किराए के एक हिस्से का भुगतान हरियाणा पहुंचने पर कर दिया जाएगा।”
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, “लॉकडाउन के कारण जो प्रवासी मज़दूर अपने गृहराज्य चले गए हैं, यदि वे लोग फिर से प्रदेश आना चाहते हैं तो दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली सरकार उन्हें आर्थिक मदद करेगी।”
हरियाणा सरकार ने 23 जून को हुई श्रम कल्याण बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया।
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ज़रूरत पड़ी तो बसें भी भेजेंगे
दुष्यंत चौटाला ने कहा, “ कंस्ट्रक्शन साइट पर मज़दूरों की मांग बढ़ रही है। कई कंपनियां उन्हें बुलाना चाहती हैं। इसीलिए हमने फैसला किया है कि मज़दूरों को हरियाणा वापस लाने के लिए, उन्हें जरूरी सुविधा के साथ किराए का भुगतान किया जाएगा।”
दुष्यंत ने आगे कहा, “यदि हमें बसों के जरिए प्रवासी मज़दूरों को वापस लाना पड़ा तो हम वो भी करेंगे।”
गौरतलब है कि अचानक लॉकडाउन के कारण लाखों मज़दूर शहरों से पलायन कर चुके हैं। लॉकडाउन में मिली ढील से कई फैक्ट्रियां चालू हो गई हैं। पर मज़दूरों की कमी के वज़ह से कंपनी मालिकों को फैक्ट्री चालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इसीलिए सरकार से लेकर फैक्ट्री मालिक मज़दूरों को लुभाने के लिए कई तरह के प्रस्ताव पेश कर रहे हैं।
इस से पहले पंजाब के कई कंपनी मालिक मज़दूरों को वापस बुलाने के लिए 2021 तक का वेतन देने का वादा भी कर चुके हैं।
लेकिन ऑटो सेक्टर में यदि मज़दूर इस तरह के लुभावने प्रस्ताव को ठुकरा दे रहे हैं तो, कंपनी प्रबंधन मज़दूरों को काम से निकालने की धमकी दे रहा है।
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महाराष्ट्र का दावा
हरियाणा सरकार जहां मज़दूरों को वापस बुलाने के लिए इस तरह के प्रस्ताव का प्रयोग कर रही है। वही महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि, ’15 हज़ार प्रवासी मज़दूर हर दिन मुबंई वापस लौट रहे हैं।’
मज़दूरों के लिए राहत देने का वादा करते हुए वित्त मंत्री ने दावा किया था कि “राज्य सरकारों से मिले डेटा के आधार पर हमें लगता है कि हमारे यहां 8 करोड़ प्रवासी मज़दूर हैं।”
ये पहला मौक़ा था जब सरकार ने प्रवासी मज़दूरों का कोई आँकड़ा ख़ुद दिया है।
इन आकड़ों को माने तो अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण लाखों मज़दूर रातों-रात बेरोजगार हो गए थे। इन लोगों को पैदल ही अपने घर तक का सफर तय करना पड़ा था।
शोधार्थियों के एक समूह द्वारा एकत्र किए गए डाटा के अनुसार भारत में 19 मार्च से 2 मई के बीच 80 लोगों ने आत्महत्या को गले लगाया है। और 36 लोगों की मौत आर्थिक तंगी, भूखमरी से हुई है।
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