पिछले साल तीन दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंची बेरोजगारी, पड़ोसी देशों से भी पिछड़ा भारत
देश में कोरोना के चलते बेरोजगारी दर पिछले साल तीन दशक में 7.11% के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। इसका मतलब यह हुआ कि पिछले साल काम करने को तैयार हर 10,000 मजदूरों में से 711 को काम नहीं मिल पाया है।
यह जानकारी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने अपने ILOSTAT डेटाबेस के हवाले से साझा की है।
पड़ोसी देशों से अधिक बेरोजगारी दर
इन आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक में भारत की बेरोजगारी दर उसके पड़ोसी देशों की तुलना में अधिक है। साल 2009 में बेरोजगारी में श्रीलंका सबसे आगे था।
सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में बेरोजगारी दर सालाना आधार पर काफी बढ़ा दी है।
2009 में भारत में बेरोजगारी दर 5.61% जबकि श्रीलंका में 5.85% थी लेकिन उसके बाद से पड़ोसी मुल्क के लेबर मार्केट की हालत लगातार बेहतर हुई।
लगातार बढ़ रही बेरोजगारी दर
सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार जनवरी में मासिक बेरोजगारी दर 6.62%, अप्रैल में 7.97% और 23 मई को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी दर बढ़कर 14.7% तक पहुंच गई।
45 सालों की सबसे अधिक बेरोजगारी
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) डेटा के अनुसार, 2017-18 में यानी कोरोना और लॉकडाउन से पहले ही देश में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊपरी स्तर 6.1% तक पहुंच गई थी।
हालांकि 2018-2019 में इन आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई। और बेरोजगारी दर 5.8% पर आ गई। ILO के डेटाबेस के मुताबिक साल 2013 से 2019 के बीच बेरोजगारी दर में गिरावट का रुझान बना रहा था।
2013 में बेरोजगारी दर 5.67% थी और 2019 में 5.27% थी। लेकिन 2020 में बेरोजगारी दर 7.11 % पर पहुंच गई। वहीं विश्व स्तर पर औसत बेरोजगारी दर 6.47% रही। जो 2019 में 5.37% थी।
हालात बद्दतर होने के आसार
साल 2020-21 में कोरोना के चलते स्थिति बिगड़ने और बेरोजगारी दर में उछाल आने के आसार हैं।
ILO के अनुसार पिछले साल बांग्लादेश में बेरोजगारी दर 5.3%, श्रीलंका में 4.48%, पाकिस्तान में 4.65%, नेपाल में 4.44% जबकि भूटान में 3.74% रही।
(साभार- फाइनेंशियल एक्सप्रेस)
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