87 दिनों के संघर्ष के बाद इंटरार्क में समझौता सम्पन्न, निलंबित वर्करों की होगी बहाली, वेतन कटौती, बोनस भी वापस मिलेगा

87 दिनों के संघर्ष के बाद इंटरार्क में समझौता सम्पन्न, निलंबित वर्करों की होगी बहाली, वेतन कटौती, बोनस भी वापस मिलेगा

उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के पंतनगर व किच्छा प्लांटों में समझौते के बाद लंबे समय से चल रहा आंदोलन समाप्त हो गया।

शनिवार की देर रात तक चली समझौता वार्ता में 1 साल का समझौता संपन्न हुआ जिसमें 2000 रुपये की मासिक वृद्धि पर सहमति बनी।

क़रीब तीन महीनों से हो रहे आंदोलन और पिछले 18 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन के बाद दो दिन पहले सभी मज़दूर फैक्ट्री के अंदर ही धरने पर बैठ गए थे।

फैक्ट्री गेट के बाहर और अंदर जारी धरने के बाद मैनेजमेंट के साथ वार्ता में वेतन समझौता हुआ।

वेतन कटौती, बोनस मिलेगा

आंदोलन के दौरान प्रबंधन द्वारा श्रमिकों की हुई वेतन कटौती के संबंध में तय हुआ है कि इस माह श्रमिकों द्वारा सकारात्मक प्रोडक्शन रहा तो वेतन से काटी गई राशि का भुगतान हो जाएगा।

कम बोनस दिए जाने के संबंध में प्रबंधन ने सहमति दी है कि उत्पादन कार्य ठीक रहने पर पूर्व की भांति बोनस की बकाया राशि दे दी जाएगी।

दोनों प्लांटों के 42 निलंबित श्रमिकों में किसी को भी बर्खास्त न करने पर सहमति बनी है। जांच के बाद उनकी जल्द से जल्द कार्य बहाली होगी।

आंदोलन के दौरान प्रबंधन पक्ष द्वारा जो भी मुकदमे दर्ज हैं, उन्हें वापस लेगा और पुलिस प्रशासन भी बाकी मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया चलाएगा।

बेमियादी हड़ताल पर बैठे थे मज़दूर

समझौता वार्ता में कंपनी प्रबंधन के साथ सिडकुल एन्टरप्रेन्योर एसोसिएशन के संरक्षक अजय तिवारी, श्रमिक पक्ष से श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, पंतनगर प्लांट यूनियन की ओर से दलजीत सिंह व वीरेंद्र कुमार तथा किच्छा प्लांट यूनियन की ओर से राकेश कुमार एवं पान मोहम्मद वार्ता में शामिल थे।

गौरतलब है कि 18 दिन से मज़दूर अपने परिवारों के साथ फैक्ट्री गेट पर ही बेमियादी अनशन पर बैठ गए थे।

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समझौता सम्पन्न होने की खबर मिलते ही अनशनकारियों के चेहरे पर मुस्कान खिल गई। (फ़ोटोः अरेंज्ड)

आमरण अनशन पर बैठे मज़दूरों और महिलाओं को पुलिस ने जबरदस्ती अस्पताल में भर्ती कराया तो उनकी जगह कुछ और मज़दूर भूख हड़ताल पर बैठ गए।

कंपनी ने 13 दिसम्बर को जब सबकी गेटबंदी का संकेत दिया तो उसी दिन मज़दूर फैक्ट्री में ही धरने पर बैठ गए थे।

(संघर्षरत मेहनतकश से साभार)

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Workers Unity Team

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