भारत गौरव के नाम पर ट्रेन का प्राइवेट संचालन, प्रोडक्शन यूनिटों को भी निजी कब्जे में देने की तैयारी में सरकार
धीरे धीरे प्लेटफॉर्म, फिर ट्रेन और अब रेलवे की प्रोडक्शन यूनिटों को भी मोदी सरकार प्राइवेट हाथों मे देने की योजना बना रही है।
इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन (IREF) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमल उसरी ने कहा कि सभी रेलवे कर्मचारी लगातार सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण, निगमीकरण के साथ 100 डेज एक्शन प्लान के हमलों के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।
इसी बीच रेलवे के सात प्रोडक्शन यूनिटों – चितरंजन, वाराणसी, रायबरेली, कपूरथला, पटियाला, चेन्नई और बैंगलोर का “Indian Railway Rolling Stock Company” के नाम से निजी क्षेत्र में दे देने की योजना बनाई गई।
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इस योजना में 23 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन, 600 रेलवे स्टेशन के आसपास की जमीन लैंड डेवलपमेंट प्राधिकरण को देने की बात कही गई है।
पहले से ही चल रही बहुप्रतीक्षित रेलवे की डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर जिसमें लुधियाना से कोलकाता 1800 km, दादरी से JNPT 1500 km, खड़गपुर से विजयवाडा 1000 km, भुसावल से धानकुनी 1500 km, विजयवाडा से इटारसी 1500 km है, जिनमें 150 निजी ट्रेन और मालगाड़ी स्लॉट निजी परिचालन केलिए उपलब्ध कराने की बात है।
नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे
उन्होंने रेलवे के निजीकरण, निगमीकरण के खिलाफ जारी संघर्ष में नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे #NMSR को समर्थन देने के लिए लोगों से अपील है।
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में रेलवे के मंडल और जोन की संख्या लगातार इसलिए बढ़ाई गई कि जिससे छोटे बड़े देशी-विदेशी ख़रीदार, निवेशक आसानी से रेलवे में घुसपैठ बना सकें।
वहीं दूसरी तरफ रेलवे के कई विभागों को आपस में मर्ज कर दिया गया, तो कइयों को पूरी तरह से समाप्त करते हुए उनमें होने वाली लाखों की नई भर्तियों को रद्द कर दिया गया, जिससे भर्तियों में मिलने वाला संवैधानिक आरक्षण स्वतः समाप्त हो गया।
अब राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन लाकर और चार श्रमिक संहिता बनाकर सरकार कर्मचारियों के बचे हुए अधिकारों पर भी चौतरफा हमलावर हो गई हैं।
सरकार इकट्ठा करेगी 1.52 लाख करोड़
राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन में 90 यात्री गाड़ियां, 400 रेलवे स्टेशन, 741 km कोंकण रेलवे, 15 रेलवे स्टेडियम, 265 गुड्स शेड, 4 हिल स्टेशन, 1400 km ओवहरहेड इक्विपमेंट इत्यादि पूंजीपतियों को देकर सरकार 1.52 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा करेगी।
वही राष्ट्र की सम्पत्ति येन केन प्रकारेण पूंजीपतियों को सौंपने के खिलाफ उठने वाले विरोध के स्वर को दबाने के लिए मेहनतकश को पुनः गुलाम बनाने के लिए चार श्रमिक संहिता 1)-औद्योगिक संबंध संहिता 2020, 2)- व्यवसायिक संरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संबधी संहिता 2020, 3)- सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, 4)- वेतन संहिता 2019 बनाई गई है।
यदि ये चारो श्रमिक संहिता लागू हो जायेगी तो ट्रेंड यूनियन बनाना और चलाना लगभग समाप्त हो जाएगा, कर्मचारियों के हड़ताल करने के अधिकारो छिन जायेगा।
सरकार इन जन विरोधी कानूनों को 28-29 मार्च को सम्पन्न हुई हड़तालों जैसे तीखे संघर्षों के दबाव की वजहों से लागू नही कर पा रही है, जबकि इन कानूनों में कई को संसद के दोनो सदनों से पारित कर राष्ट्रपति जी का हस्ताक्षर भी करवाया चुकी है।
युवा रोजगार की सबसे बड़ी इकाई
उन्होंने कहा जनता की सवारी भारतीय रेलवे देश में सबसे अधिक युवाओं को रोजगार देने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई है।
कोविड संकट में लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, तब ढाई हजार से भी अधिक कोरोना वारियर्स रेलवे कर्मचारियों ने अपनी शहादत देते हुए देश हित-समाज हित में ऑक्सीजन सहित जरूरी खाद्य सामग्री देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया।
कोरोना योद्धाओं ने कोविड संकट में भी 119.79 मिलियन टन माल ढुलाई करके नया कीर्तिमान बनाते हुए 99 हजार 605 करोड़ रुपये आमदनी कराया।
जब 14 जून 2022 को लाई गई अग्निपथ योजना के विरोध में 19 जून 2022 को बिहार बंद था और आंदोलनकारी रेलवे सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे।
जान पर खेलते रेलवे कर्मचारी
ठीक उसी समय साथी देवनंदन प्रसाद एवं रामाश्रय कुमार जैसे रेलवे कर्मचारी पूर्व मध्य रेलवे बिहार में गया के निकट ड्यूटी करते हुए अपनी जान की परवाह किए बगैर जनता की सवारी भारतीय रेलवे के एक कोच को अन्य कोच से अलग कर शेष कोच को आग से बचा रहे थे।
लेकिन यह सरकार उन्हीं देश हित में अपनी जान न परवाह करने वाले कोरोना वारियर्स रेल कर्मचारियों के बुढापे का सहारा पुरानी पेंशन भी NPS लागू करके छीन ली है।
सभी जानते है कि 18 जून 2019 को जब 100 डेज़ एक्शन प्लान आया तो हमी सब यही डीरेका से 24 जून 2019 को संयुक्त संघर्ष समिति बनाकर संघर्ष की शुरूआत किए थे, जो संघर्ष देश भर की उत्पादन इकाईयो को प्रेरणा देते हुए 8 दिसम्बर 2019 को मावलंकर हाल, नई दिल्ली में कॉम सर्वजीत सिंह के संयोजकत्व में पहुचा था।
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जिसमें रेलवे आंदोलन के 50 वर्षों के इतिहास में पहली बार यह हुआ था कि रेलवे में कार्यरत लगभग सभी यूनियनें एससी/ एसटी, ओबीसी सहित समस्त कटेरिगल एसोसिएशन एक मंच पर आकर संयुक्त रूप से अपनी एकता दिखाई थी तब सरकार को अपने कदम पीछे लेने पड़े थे।
जब अग्निपथ योजना जो एक तरह का ठेकाप्रथा/ संविदा है, के विरोध में नौजवान सड़को संघर्ष कर हो, ठीक उसी समय14 जून 2022 को ही मोदी जी जनता की सवारी भारतीय रेलवे को पूंजीपतियों को बेंचते हुए निजी ट्रेन चलवा रहे है।
जो भारत गौरव योजना के तहत देश की पहली प्राइवेट ट्रेन कोयंबटूर नार्थ, तमिलनाडु से 14 जून 2022 को शाम 6 बजे रवाना हुई जो 16 जून 2022 को सुबह 7:25 बजे साई नगर शिर्डी, महाराष्ट्र पहुँची।
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