झारखंड के नोडल अफ़सर की मज़दूरों को सलाह- भूख लगी है तो कूद जाओ ट्रेन से
लॉकडाउन ने सरकारी मशीनरी की संवेदनहीनता को उघाड़कर रख दिया है और ऐसा लगता है कि प्रवासी मज़दूरों के मरने से उसे ज़रा भी शर्म या दिक्कत नहीं है।
झारखंड के नोडल अफ़सर आईएएस एपी सिंह ने स्पेशल श्रमिक ट्रेनों में सफ़र कर रहे मज़दूरों से जो कहा, उससे सरकारी तंत्र की मंशा साफ़ झलक गई।
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, जब प्रवासी मज़दूर ने इस अधिकारी को फ़ोन कर ट्रेन में खाने पीने की सुविधा न होने की शिकायत की तो अधिकारी ने ट्रेन से कूद जाने की सलाह दे डाली।
झारखंड सरकार ने प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए एक सिस्टम बनाया है, जिसका मुखिया सीनियर IAS अफ़सर एपी सिंह को बनाया गया है।
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झारखंड सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरों की वापसी के इंतज़ाम के लिए ये नोडल अफ़सर ही ज़िम्मेदार हैं। वो सीधा चीफ़ सेक्रेटरी को रिपोर्ट करते हैं।
प्रवासी मजदूरों के बीच लगभग हर नोडल अधिकारी का नंबर रहता है। मुसीबत पड़ने पर वे सीधे अधिकारियों या मीडिया वालों से बात करते हैं।
लेकिन एक प्रवासी मजदूर की बेबसी पर एपी सिंह ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे पूरा सरकारी सिस्टम ही कटघरे में खड़ा हो गया है।
परेशान हाल एक मजदूर ने आइएएस एपी सिंह को फोन किया. उन्हें अपनी परेशानी बतानी चाही, तो IAS का जवाब सुनकर मज़दूर हैरान रह गए।
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बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट-
प्रवासी मजदूरः हैलो सर, हेलो…हेलो….
एपी सिंहः हेलो…
प्रवासी मजदूरः हेलो सर नमस्कार…
एपी सिंहः नमस्कार
प्रवासी मजदूरः ये फोन एपी सिंह सर के पास लगा है.
एपी सिंहः कौन आप बोल रहे हैं.
प्रवासी मजदूरः हमलोग झारखंड के प्रवासी मजदूर बोल रहे हैं. स्पेशल ट्रेन से वापस आ रहे हैं सर… सुबह से खाना नहीं मिला है…भूख से परेशान हो गये हैं हमलोग.
एपी सिंहः अच्छा…खाना रेलवे को देना है…रेलवे देगा खाना
प्रवासी मजदूरः कब देगा सर… सुबह में खाली एक पैकेट ब्रेड..ए गो केला और एक गो बोतल पानी दिया है…उसी में दिन भर काटना पड़ रहा है सर…कैसे क्या करें…
एपी सिंहः कूद जाइये वहां से…और क्या करियेगा…
प्रवासी मजदूरः कूद जाने से अच्छा रहेगा क्या…
एपी सिंहः रास्ते में जो देना है वो हमको नहीं रेलवे को देना है…
फिर फोन कट गया…
झारखंड में अभी तक करीब तीन लाख प्रवासी मजदूर वापस आ चुके हैं और ट्रेन, बस, ट्रक और पैदल आने का सिलसिला अभी भी जारी है।
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