जेएनयू के सफाईकर्मियों को नहीं मिला है नवंबर से वेतन, हड़ताल का भी नहीं हुआ कोई असर
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के सफाई कर्मियों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय ने पिछले नवंबर से उनका वेतन नहीं दिया है।
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू) ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि “कर्मी 23 दिनों से हड़ताल पर है और उनका आरोप है कि जेएनयू प्रशासन ने उन्हें समान वेतन और सुरक्षा उपकरणों से वंचित कर दिया है।”
एआईसीसीटीयू ने बताया कि “जून 2020 तक (पूर्ण लॉकडाउन तक), उन्हें 12,900 रुपये प्रति माह (26 दिनों के काम महीने के लिए) का भुगतान किया गया था, जो न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है।”
एआईसीसीटीयू ने आरोप लगाया कि दो सप्ताह की हड़ताल के बाद मजदूरों को एक महीने के वेतन के नाम पर महज 9,000 रुपये का भुगतान किया गया था।
एआईसीसीटीयू से संबद्ध संस्था ऑल इंडिया जनरल कामगर यूनियन की अध्यक्ष उर्मिला चौहान ने कहा कि देश और दुनिया के गिने-चुने विश्वविद्यालयों में से के पुस्तकालय के हर कोने की सफाई करने वालों को उनके वेतन से दुर रखा जा रहा है।
चौहान ने कहा कि ” तथाकथित कोरोना योद्धाओं को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के घातक वायरस का सामना करना पड़ता है। उनसे महीनों तक बिना वेतन के काम लिया जा रहा है । यह बंधुआ मजदूरी नहीं तो और क्या है?”
संघ ने आरोप लगाया है कि मज़दूरों के वेतन की मांग के साथ-साथ संघ के पदाधिकारियों की छंटनी और उत्पीड़न, बोनस का भुगतान न करना, पीएफ अंशदान में अनियमितता और आईडी कार्ड और वेतन पर्ची जारी न करना शामिल है ।
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