कर्नाटकः गारमेंट इंडस्ट्री बंद करने के आदेश से मज़दूरों की आजीविका पर भारी संकट
पिछले साल के बुरे दौर के बाद कनार्टक की गारमेंट इंडस्ट्री को पिछले कुछ महीनों से अच्छे ऑर्डर मिलने लगे थे लेकिन सरकार के इसे बंद करने के आदेश के बाद इससे जुडे़ आठ लाख लोग फिर चिंतित हैं।
द हिंदू की एक ख़बर के मुताबिक, पिछले साल के लाॅकडाउन के दौरान इंडस्ट्री के ज्यादातर वर्कर्स की सैलरी बाकी रह गई थी, वह अभी तक नहीं मिल सकी है। उन्हें लग रहा हे कि इस लाॅकडाउन के बाद बाकी सैलरी मिलने में और देर होगी।
गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स के यूनियन प्रेसीडेंट जयराम कहते हैं, ‘कुछ अपवादों को छोड़कर ज्यादातर गारमेंट इंडस्ट्रीज ने 25 मार्च 2020 से 23 मई 2020 का वेतन वर्करों को नहीं दिया।’
वे आगे कहते हैं, ‘जो लोग चार मई को काम पर लौटे थे, उन्हें आधा वेतन दिया गया, कुछ को पूरा वेतन भी मिला। चार मई के बाद बड़ी तादाद में वर्कर्स इसलिए काम पर नहीं आ सके थे क्योंकि पब्ल्कि ट्रांसपोर्ट काम नहीं कर रहा था।’
यहां तक कि कई वर्करों को उस दौरान काम न करने की वजह से उसकी भरपाई के लिए बाद के महीनों में ज्यादा काम करना पड़ा।
कनार्टक में लगभग छह से आठ लाख लोग गारमेंट, टेक्स्टाइल, सिल्क, डाईंग और प्रिंटिंग इंडस्ट्री में काम करते हैं, इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं।
इनमें से चार लाख लोग केवल बेंगलुरू में ही काम करते हैं। बाकी जिन जिलों में इस इंडस्ट्री का काम हैं, उनमें मैसूर, शिवमोंगा, मांडया, तुमकुरू और चिकबल्लापुर शामिल है।
2020 के लाॅकडाउन के दौरान बेंगलुरू की गारमेंट इंडस्ट्री ने पूरे देश में पीपीई किट की सप्लाई में अहम योगदान दिया था।
यूरोपीय और अमेरिकन कंपनियों के ऑर्डर बड़ी तादाद में कैंसिल होने की वजह से यहां इस इंडस्ट्री के तमाम लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ीं।
हालांकि यह स्थिति पिछले साल अगस्त से बदलनी शुरू हुई और अब ज्यादातर गारमेंट इंडस्ट्रीज लोगों को दोबारा काम पर ले रही थीं।
जयराम कहते हैं, ‘समझ में नहीं आता कि सरकार ने दूसरी मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई तो गारमेंट इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश का क्या मतलब है ?’
वहीं सरकारी सूत्र का कहना है कि गारमेंट फैक्ट्री में बहुत भीड़ रहती है। मजदूर दो से तीन फुट की दूरी पर रहकर काम करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
इस बीच, कर्नाटक कर्मचारी संघ ने राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से मांग की है कि गारमेंट इंडस्ट्री को 50 फीसद वर्कर्स के साथ काम करने की अनुमति दी जाए।
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