जस्टिस कुरैशी का सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए नकार लोकतंत्र को कमजोर करेगा

जस्टिस कुरैशी का सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए नकार लोकतंत्र को कमजोर करेगा

By प्रो रवींद्र गोयल

देश के उच्चतम अदालती तंत्र में पिछले दिनों की दो महत्वपूर्ण घटनाओं का संज्ञान जरूरी है।

पहला जस्टिस नरीमन का 12 अगस्त को सेवा मुक्त होना और दूसरा सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा 18 अगस्त को 9 सुप्रीम कोर्ट के नए जजों और कई हाई कोर्ट के जजों के नाम सरकार को नयी नियुक्ति के लिए भेजे गए।

लोग कयास लगा रहे हैं कि जस्टिस नरीमन के जाने के एक सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए नए नामों की सिफारिश में सम्बन्ध जरूर है।

सुप्रीम कोर्ट का जज आम तौर पर हाई कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को ही बनाया जाता है. लेकिन इस बार सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस अकील अब्दुलहमीद कुरैशी हैं। वो फिलहाल त्रिपुरा हाई कोर्ट के प्रमुख हैं और उनका नाम सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए नहीं भेजा गया है।

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस अकील अब्दुलहमीद कुरैशी का नाम क्यों नहीं भेजा इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया. लेकिन जानकार लोगों का यह जरूर कहना है कि जस्टिस नरीमन, ने जब वह कॉलेजियम का हिस्सा थे,जस्टिस कुरैशी को पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी और कोलेजियम में इस सहमति न बन सकी थी।

जानकारी हो की जस्टिस क़ुरैशी ने, सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में, एक दशक पहले, वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सीबीआई हिरासत में रिमांड पर भेजा था।

उस समय शाह गुजरात के गृह मंत्री थे। इस सम्बन्ध में यह जानकारी भी हो कि, 2019 में, तत्कालीन कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति कुरैशी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की अध्यक्षता करने के लिए चुना था, जिसमें 40 न्यायाधीश हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के साथ गतिरोध के बाद न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नामित किया गया था।

बेशक देश के मुख्य न्यायधीश श्री रमन्ना जस्टिस कुरैशी के नाम के नकार को लेकर उठाये जा रहे सवालों से खफा हैं लेकिन क्या यह चर्चा रुकेगी या रुकनी चाहिए । एक शायर ने यूं ही तो नहीं कहा न-बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Amit Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.