कर्नाटक रोड ट्रांसपोर्ट के कर्मचारी नौ दिन से हड़ताल पर, बसों का परिचालन ठप
कर्नाटक रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (केआरटीसी) के कर्मचारी बीते नौ दिनों से हड़ताल पर हैं। गुरुवार की शाम मोमबत्ती जलाकर बस हड़ताली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।
केआरटीसी के कर्मचारी छठे वेतन आयोग को लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं। हड़ताल से पूरे राज्य में बस सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
राज्य की बीजेपी सरकार और चार ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशनों के कर्मचारी यूनियनों के बीच बातचीत विफल होने के बाद अधिकांश कर्मचारी काम पर नहीं आए जिससे ज़्यादतर बसें डिपो में ही खड़ी रहीं।
कर्मचारी यूनियनों ने अपने प्रदर्शन को और तेज करने के लिए विधायकों से संपर्क करने का फैसला किया है ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
सरकार ने नो वर्क नो पे की चेतावनी दी है जिसकी वजह से कुछ कर्मचारी काम पर लौटे और कुछ रूटों पर बसें चलीं।
न्यूज़क्लिक की एक ख़बर के अनुसार, डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर लक्षमण सावादी ने कहा कि 3200 बसें सड़कों पर उतरी हैं क्योंकि सरकार की अपील पर कर्मचारी अपने काम पर लौट रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ये प्रदर्शन अपना हित साधने वाले कुछ लोगों के इशारे पर हो रहा है। प्रदर्शन के दौरान 60 बसें क्षतिग्रस्त हो गईं। सावदी का आरोप है कि प्रदर्शन के नाम पर हुड़दंगियों ने ये काम किया है।
उन्होंने बताया कि कुछ वोल्वों बसों को नुकसान पहुंचा है जिसकी पुलिस जांच हो रही है। सावदी कर्मचारी यूनियनों के साथ वार्ता में भी शामिल हैं।
बीजेपी सरकार न छठे वेतन आयोग को लागू करने से साफ़ इनकार कर दिया है और यूनियनों के साथ किसी तरह की बातचीत को खारिज कर दिया है।
केआरटीसी लगातार हड़ताल के ख़िलाफ़ चेतावनी दे रही है और ट्रेनी और प्रोबेशनी कर्मचारियों को गैरहाज़िरी के लिए निकालना शुरू कर दिया है।
सरकार ने निजी बस संचालकों, कैब, टैक्सी और निजी वाहनों को सवारियां ढोने के काम में लगाया है।
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