केजरीवाल सरकार ने नहीं जारी किया लॉकडाउन में मिड डे मील का खर्च, मामला कोर्ट पहुंचा
By मुनीष कुमार
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के लगभग 12 लाख बच्चों को कोरोना लाॅक डाउन के दौरान मिड डे मील जारी नहीं किए।
मध्याह्न भोजन वितिरित न किए जाने के मामले को लेकर महिला एकता मंच व सोयायटी फॉर एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना सं. F NO.1-2/2020 Desk (MDM) तारीख़ 20-3-2020 और अधिसूचना सं. F NO.1-2/2020 Desk (MDM) तारीख़ 22-4-2020 के द्वारा देश के सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए थे।
इसके तहत मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत प्राथमिक एवं उच्च प्राइमरी विद्यालयों के छात्रों को कोरोना लाॅक डाउन व जून माह की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान का पका या कच्चा राशन व खाना पकाने के खर्च का भुगतान करने का आदेश जारी किया गया था।
मिड डे मील के तहत आने वाले प्राइमरी स्तर में प्रति छात्र 100 ग्राम कच्चा राशन व खाना पकाने की लागत 4.97 रु तथा उच्च प्राइमरी स्तर के छात्र को 150 ग्राम कच्चा राशन व 7.45 रु. प्रति छात्र दिये जाने का प्रावधान है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि केन्द्र सरकार के इस आदेश पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा अभी तक अमल नहीं किया गया है।
इस योजना के अंतर्गत दिल्ली के 1,030 सरकारी स्कूल तथा 215 सहायता प्राप्त स्कूलों समेत कुल 1245 स्कूल आते हैं।
20 मार्च से 30 जून के दौरान सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 12 लाख बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत वितरित होने वाले राशन व खाना बनाने के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये आवंटित होने थे, जिसे केजरीवाल सरकार ने जरुरतमंद बच्चों के लिए जारी नहीं किया।
दिल्ली सरकारी स्कूलों के दर्जनों छात्रों ने पत्र लिखकर महिला एकता मंच व सोयायटी फॉर एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन से केजरीवाल सरकार द्वारा मिड-डे-मील के अंतर्गत राशन व की खाना पकाने की राशि न दिये जाने की शिकायत की है तथा तत्काली मदद जारी करने को कहा है।
छात्रों व अभिभावकों की शिकायत को महिला एकता मंच, दिल्ली की संयोजक सीमा सैनी ने मई में शिक्षा निदेशक को ज्ञापन भेजा था।
उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों आदि में पढ़ने वाले बच्चों को केन्द्र सरकार के नियमानुसार मिड डे मील योजना के अंतर्गत कच्चा राशन व खाना बनाने की लागत का भुगतान करने का निवेदन किया।
इसी क्रम में सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन के महासचिव कलीमुद्दीन ने शिक्षा मंत्रालय, दिल्ली के सचिव तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को भी ज्ञापन भेजा गया।
अपने आपको आम आदमी की सरकार कहने वाली केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों ने गरीब बच्चों के भोजन से जुड़े इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह इन ज्ञापनों को रद्दी को टोकरी में डाल दिया है।
- मज़दूरों की मदद करने वाले डीटीसी के ड्राईवरों कंडक्टरों और अधिकारियों पर FIR, यूनियन ने जताया विरोध
- 1 जून को बिजली कर्मचारियों के काला दिवस मनाने पर जेल और जुर्माने की धमकी के साथ प्रतिबंध
अब महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन ने इन 12 लाख बच्चों के मध्याह्न भोजन के सवाल को हल करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर कल 2 जून को सुनवाई नियत कर दी गयी है।
अब देखना है कि न्यायपालिका इस मामले पर क्या रुख अपनाती है। इस मामले की पैरवी दिल्ली हाई कोर्ट के मशहूर एडवोकेट कमलेश कुमार कर रहे हैं।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)