डीयू कॉलेज की सैलरी के लिए 28 करोड़ के फंड जारी किये केजरीवाल सरकार ने
पिछले कई दिनों से अपने बकाए वेतन को लेकर हड़ताल पर गये दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के प्रिंसिपल और अध्यक्षों के साथ एक बैठक बुलाई।
बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार 28.24 करोड़ का फंड जारी करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वो कोर्ट के आदेशानसार ये फंड जारी करेगी और यदि कॉलेज चाहे तो इस फंड का इस्तेमाल शिक्षकों और कर्मचारियों के बकाए वेतन को देने में कर सकती है। शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन को किसी भी हाल में रुकने नहीं दिया जाएगा।
मालूम हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) पिछले पांच दिनों से अपने बकाए वेतन सहित और भी मांगों के साथ हड़ताल पर है।
इसी क्रम में बीते सोमवार को शिक्षकों ने हजारों की संख्या में नार्थ कैम्पस से मुख्यमंत्री आवास तक मार्च भी किया था।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हड़ताल पर गये लोगों को दिल्ली सरकार पर भरोसा बनाए रखना होगा। कॉलेजों को अपने खर्चे बढ़ाने से पहले सरकार को विश्वास में लेना चाहिए साथ ही कॉलेज के खातों और बजट को लेकर भी दिल्ली सरकार और डीयू के बीच पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि इस हड़ताल को लेकर सरकार की गलत व्याख्या की जा रही है। दिल्ली सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में किये अपने सुधारों के लिए पहचानी जाती है।
शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय को दिल्ली सरकार के पैटर्नों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार के पास 2010 से पहले कर्मचारियों की नियुक्ति का कोई रिकॉर्ड नहीं है, हालांकि उन्होंने कहा इसकी वजह से वेतन नहीं रोका जायेगा। लेकिन कॉलेजों को स्टाफ की नियुक्ति से पहले दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए क्योंकि दिल्ली सरकार उनके वेतन और खर्चों की फंडिंग कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह दिल्ली विश्वविद्यालय की अव्यवहारिक और अनुचित कार्यशैली को दिखाता है।
दूसरा, क्योंकि ये संस्थान दिल्ली सरकार द्वारा १०० प्रतिशत वित्त पोषित हैं, दिल्ली सरकार की सहायता के पैटर्न का पालन किया जाना चाहिए । कॉलेजों को सरकार को बिल नहीं देना चाहिए । उदाहरण के तौर पर दिल्ली सरकार के पास 2010 से पहले कर्मचारियों की नियुक्ति का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन कॉलेजों को स्टाफ की नियुक्ति से पहले दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए क्योंकि दिल्ली सरकार उनके वेतन और खर्चों की फंडिंग कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह दिल्ली विश्वविद्यालय की अव्यवहारिक और अनुचित कार्यशैली को दिखाता है।
सिसोदिया ने कहा कि वो कुलपति को विवाद के सभी विषयों पर बात करने के लिए आमंत्रित करेंगे।
दिल्ली सरकार भविष्य में सिर्फ कोर्ट के निर्देशों के आधार पर फंड जारी करेगी कि अलग-अलग हेड्स के तहत फिलहाल उपलब्ध फंड का इस्तेमाल वेतन के लिए किया जा सकता है या नहीं। हम मानवीय आधार पर धन जारी करेंगे और हम अदालत को यह निर्णय लेने देंगे कि इन निधियों को राजस्व या किसी अन्य प्रमुख में शामिल किया जाए या नहीं ।
मंगलवार को बुलाई गई बैठक में दिल्ली सरकार के सचिव और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, दिल्ली सरकार के एनसीटी के कॉलेज प्रिंसिपल्स और 12 कॉलेजों के एओ (अकाउंट ऑफिसर्स) सहित दिल्ली सरकार के अधिकारी मौजूद थे ।
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