केजरीवाल के हाथ जोड़ने ने नहीं रुकेगा प्रवासी मज़दूरों का पलायन, बनानी होगी प्रवासी मज़दूर नीति- बंधुआ मुक्ति मोर्चा
आज रात से ही अगले छह दिन के लिए दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार ने कोई प्रवासी मज़दूरों के लिए नीति घोषित नहीं की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथ जोड़कर प्रवासी मज़दूरों से दिल्ली न छोड़ने की अपील की है लेकिन इससे मज़दूरों का अपने घरों की ओर पलायन रुकेगा नहीं। ये कहना है बंधुआ मुक्ति मोर्चा का।
जबसे पूरे देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ना शुरू किया है, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुड़गांव, रांची, आदि जगहों से प्रवासी मज़दूरों के पलायन की ख़बरें आनी शुरू हो गई है।
दिल्ली में धीरे धीरे मजदूर सड़कों पर चलने एवं बस व रेलवे स्टेशन के आसपास एकत्रित होने लगे हैं। मजदूरों को यह डर है की कोरोना के प्रकोप से सरकार फिर से लम्बा लोक डाउन लगाकर मजदूरों को मरने के लिए छोड़ देगी।
बंधुआ मुक्ति मोर्चे के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने प्रवासी मज़दूर नीति बनाने, मज़दूरों का पंजीकरण करने और उनकी सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने की अपील की है।
बयान में कहा गया है कि पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 के फस्ट वेब में मजदूरों के पलायन को लेकर सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक हाहाकार मचा किंतु इसके बावजूद भी आज दिन तक किसी भी सरकार के पास क्रियान्वित प्रवासी मजदूर की नीति दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती है। उसी का परिणाम है की प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में अपने आप को बेसहारा महसूस कर रहा है।
गोराना का कहना है कि ‘संगठन की ओर से कई बार राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार को पत्र एवं मेमोरेंडम देकर प्रवासी मजदूरों के लिए नीति बनाने की गुहार लगाई गई ताकि जो कुछ पिछले वर्ष गठित हुआ वैसा मजदूरों के मानवाधिकारों को सरकार अपने पैरों तले ना रौंद सके किंतु दुर्भाग्य है इस देश के मजदूरों का कि अभी तक किसी भी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता ही नहीं बरती और न ही किसी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण के लिए कदम बढ़ाया और न ही किसी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए बने हुए अंतर राज्य प्रवासी मजदूर कानून 1979 का क्रियान्वयन करना प्रारंभ किया।’
उन्होंने कहा कि ‘ऐसा लगता है प्रवासी मजदूरों का मुद्दा सरकार के एजेंडे में ही नहीं है। फिर से कोरोना आपदा बनकर भारत के लोगों को निगल रहा है वहीं पर प्रवासी मजदूरों की समस्या फिर से उठ खड़ी होती सी नजर आ रही है, लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली की सरकार को कई बार पत्र लिखकर एवं ज्ञापन देकर अनुरोध किया गया बावजूद इसके दिल्ली सरकार ने भी अन्य सरकारों की तरह प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर अपनी पीठ दिखा दी।’
मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि कोविड के मामलों में अभी और बढ़ोतरी होने की पूर्ण आशंका है। ऐसी स्थिति में सरकार को सर्वप्रथम मजदूरों का पंजीकरण करके उन्हें सामाजिक सुरक्षा के रूप में ₹10,000 प्रति मजदूर परिवार के हिसाब से प्रतिमाह जारी करने चाहिए ताकि मजदूर शहरों से इस महामारी के दौरान पलायन न करके शहरों में ही रहे।
दिल्ली सरकार केवल मीडिया के माध्यम से अनुरोध कर रही है कि मजदूर इस महामारी के दौरान अभी पलायन ना करें। यदि सरकारें चाहती तो पिछले 1 वर्ष के दौरान प्रवासी मजदूरों की लिए कोई ठोस योजना बना डालती किंतु सरकारों ने पिछले साल हुई घटना से कोई सबक नहीं लिया। शायद सरकार किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रही है।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने सुप्रीम कोर्ट में अंतर राज्य प्रवासी मजदूर कानून 1979 के क्रियान्वयन को लेकर जनहित याचिका भी दायर किया हुआ है और उसी याचिका में फिर से तत्काल सुनवाई की गुहार सुप्रीम कोर्ट में किया है।
संगठन ने प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण, भोजन एवं यात्रा का इंतज़ाम करने की मांग के संदर्भ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी है।
प्रमुख मांगें-
प्रवासी मजदूरों का तत्काल पंजीकरण प्रारंभ किया जाए।
निःशुल्क भोजन एवं राशन उपलब्ध करवाया जाए।
यात्रा के लिए निशुल्क यात्रा के साधन उपलब्ध करवाए जाए।
सामाजिक सुरक्षा के रूप में प्रति परिवार के हिसाब से ₹10000 की राशि प्रतिमाह सरकार की ओर से तत्काल जारी की जाए।
प्रवासी मजदूरों के लिए बने हुए कानून 1979 एवं अन्य संबंधित कानूनों का क्रियान्वयन करने हेतु ठोस नीति बनाकर उसे तत्काल लागू किया जाए।
आवास की उचित व्यवस्था की जाए।
ऑनलाइन डैशबोर्ड तैयार किया जाए एवं एक ट्रैकिंग सिस्टम विकसित हो ताकि प्रवासी मजदूरों को मालिक एवं ठेकेदार के शोषण से बचाया जा सके।
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