कौन है सेवा भारती, जो केरल बाढ़ पीड़ितों को मदद न देने का अभियान चला रही है
केरल में आई बाढ़ के संबंध में ह्वाट्सएप पर एक ऑडियो काफ़ी वायरल हो रहा है। जिसमें एक केरलवासी अंग्रेज़ी में बता रहा है कि वो खुद बाढ़ पीड़ित है और कोचीन में फंसा हुआ है।
उसके मुताबिक कोचीन से एक घंटे की दूरी पर स्थित करूवन गांव का वो रहने वाला है और उसका नाम सुरेश है।
इस ऑडियो मैसेज में वो ये कहता हुआ सुना जा सकता है कि वो तीन दिन से कोचीन में फंसा हुआ है और अपने गांव नहीं जा पा रहा है।
आगे वो कहता है कि वो आस पास के कई राहत कैंपों में गया था और जो उसे समझ में आया वो ये कि यहां लोगों को खाना, दवा, कपड़े, सैनेटरी पैड, माचिस, अनाज की ज़रूरत नहीं है और ना ही पैसे की।
सिर्फ सेवा भारती ही राहत कार्य कर रही है
ऑडियो साफ सुना जा सकता है कि ज्यादातर राहत कैंपों में (कोचीन में) सरकारी राहत कर्मियों का अता पता नहीं है और जो कुछ राहत का काम हो रहा है वो ‘सेवा भारती’ नाम की संस्था कर रही है।
सुरेश के अनुसार, “लोग सरकार के खासे नाराज़ हैं और सेवा भारती के कामों की काफी सराहना कर रहे हैं।”
तकरीबन 6.49 मिनट के इस ऑडियो में ये बताया गया है कि केरल में भले ही सदी की भीषणतम बाढ़ आई है और एक घंटे की दूरी वाली जगहों पर भी वापस जाना संभव नहीं है, लेकिन केरल के लोगों को ज़रूरी सामानों और पैसे की बिल्कुल भी ज़रूररत नहीं है। बल्कि बाहर से भेजे गए सामान स्टेडियम और रास्ते में ही पड़े पड़े वितरित किए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं। जो कुछ भी मदद हो पा रही है वो ‘सेवा भारती’ के लोग कर रहे हैं।
मदद बायकॉट करने का अभियान चल रहा है सोशल मीडिया पर
मदद न करने की अपील वाले ऐसे ही कई मैसेज सोशल मीडिया में घूम रहे हैं। कुछ में ऐसी अपील की जा रही है जैसे एक पीड़ित खुद कह रहा है कि हमें मदद की ज़रूरत नहीं है।
जबकि दूसरे नफ़रत वाले मैसेज वायरल किए जा रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि केरल के लोग गोमांस खाते हैं इसलिए ये दैवीय आपदा आई है।
#बायकॉटकेरलबाढ़ के नाम से फेसबुक और ट्विटर पर अभियान चलाया जा रहा है।
इस तरह के सभी प्रोफाइल को खंगालें तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि वो किसी न किसी हिंदुत्वादी संगठन से जुड़े लोग हैं।
यहां तक कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल में सक्रिय ‘सेवा भारती’ के लोग भी इस हेट कैंपेन में अग्रणी दिखाई दे रहे हैं।
कौन है सेवा भारती
‘सेवा भारती’ संघ से जुड़ी हुई एक संस्था है जिसके फेसबुक पेज को यहां देखा जा सकता है। हालांकि इस फेसबुक पेज पर बाढ़ पीड़ितों के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए बैंक खाता भी प्रकाशित किया गया है।
हालांकि सोशल मीडिया पर ऐसे भी पोस्ट और दावे किए जा रहे हैं कि आरएसएस पूरे दमखम से केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रही है। इसकी कुछ तस्वीरें भी प्रसारित की जा रही हैं।
लेकिन कई लोगों ने शिकायत की है कि आरएसएस से जुड़े लोग जिन तस्वीरों को जारी कर रहे हैं वो किसी और आपदा के समय की हैं।
निगेटिव प्रचार के पीछे कौन?
केरल इस सदी की सबसे भीषणतम बाढ़ का सामना कर रहा है।
पूरे देश से संस्थाएं, एनजीओ, नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन, शिक्षक, छात्र मदद इकट्ठा कर केरल भेजने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से कथित तौर पर जुड़ी संस्थाएं लगातार इस प्रचार में जुटे हैं कि केरल को मदद की ज़रूरत नहीं है।
क्या वाकई ऐसा है?
रविवार के इंडियन एक्स्प्रेस की ख़बर के अनुसार, केरल में शनिवार तक राहत कैंपों की संख्या क़रीब साढ़े तीन हज़ार पहुंच गई है जिसमें कुल 6.80 लाख लोग शरण लिए हुए हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 19,512 करोड़ रुपये के बराबर के नुकसान का अनुमान लगाया है। बाढ़ से 20,000 घर ज़मीदोज़ हो गए हैं जबकि 40,000 हेक्टेयर फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है।
जबसे बाढ़ से अबतक 375 लोगों की जान गई है। मुख्यमंत्री के अनुसार, 83,000 किलोमीटर का रोड नेटवर्क ध्वस्त हो गया है जिसकी मरम्मत के लिए ही 13,000 करोड़ रुपये की ज़रूरत है। इसमें 16,000 किलोमीटर सड़कें मुख्य मार्ग हैं या राजमार्ग का हिस्सा हैं।
राहत और बचाव कार्य में नेवी की 72 और कोस्ट गार्ड की 31 टीमें लगी हैं जिन्होंने कुल करीब छह हज़ार लोगों की जान बचाई है।
मछुआरों ने दिखाया साहस
लेकिन दूसरी तरफ केरल के आम लोग इस विभीषिका से लड़ने के लिए स्वतः आगे आए और खासकर मछुआरों ने अदम्य साहस दिखाते हुए अपनी नावों को राहत कार्य में ही नहीं लगाया बल्कि खुद संगठित प्रयास में लग गए। बताया जाता है कि अभी तक सिर्फ मछुआरों ने क़रीब एक लाख लोगों को बचाया है।
बीबीसी की खबर के अनुसार, खाड़ी देशों ने केरल में आई प्राकृतिक आपदा में मदद के लिए अपने खजाने खोल दिए हैं।
कुवैत, क़तर, ओमान, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब समेत कई देश और यहां केरल निवासी एसोशिएसनों ने मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाया है।
मदद करने वालों का अभियान
यहां तक कि राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में नर्स यूनियन भी राहत और बचाव कार्य के लिए आगे आई है। पूरे देश में केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में मदद देने का अभियान चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 करोड़ रुपए मदद की घोषणा की है और मारे गए लोगों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की मदद की घोषणा की है।
सरकारी मदद
ढहे हुए घरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनवाने का भी आश्वासन दिया है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 100 करोड़ रुपये मदद की घोषणा की थी।
केंद्र से राहत मिलने में देरी के चलते केरल के एक विधायक टीवी पर बाइट देते देते रो पड़े और मोदी सरकार से तत्काल मदद पहुंचाने की मांग की।
इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि केरल में स्थिति कितनी भयावह है।