खोरी गांव में सर्वे के नाम पर डराने धमकाने का पुलिस पर आरोप, संयुक्त राष्ट्र को भेजा ज्ञापन

खोरी गांव में सर्वे के नाम पर डराने धमकाने का पुलिस पर आरोप, संयुक्त राष्ट्र को भेजा ज्ञापन

हरियाणा के फरीदाबाद में अरावली की पहाड़ियों पर बसा खोरी गांव की मज़दूर आवास संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि फरीदाबाद नगर निगम द्वारा कराया गया सर्वे ‘मज़दूर परिवारों के साथ मज़ाक’ है।

सर्वे के अनुसार कुल 5,158 घरों को तोड़ने की योजना है। उल्लेखनीय है कि अरावली वन क्षेत्र में पड़ने वाले इस इलाके में लोग क़रीब दो दशकों से रह रहे हैं। समिति का कहना है कि दिल्ली और फरीदाबाद की सीमा के दोनों तरफ़ बसे इस गांव की आबादी एक लाख से अधिक है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से यूनाइटेड नेशन रिपोर्टेरियर, चेयरपर्सन – राज गोपाल बालाकृष्णन को एक ज्ञापन दिया गया। यूनाइटेड नेशन की ओर से आश्वासन दिया गया है कि भारत सरकार को यूनाइटेड नेशन की ओर से पत्र लिखा जायेगा एवं खोरी गांव में वर्चुअल जायजा लिया जाएगा।

समिति ने एक बयान जारी कर कहा है कि ‘अपने घर को बचाने के लिए मजदूर परिवारों ने 30 जून को खोरी गांव के अम्बेडकर पार्क में मज़दूर पंचायत का आयोजन किया था लेकिन वहाँ जब जनता एकजुट हुई तो उनके ऊपर लाठी चार्ज किया गया जिसमें कई महिलाएं बुरी तरह घायल हो गईं। पुलिस ने 7 छात्र एवं मजदूर नेताओं को गिरफ्तार किया और उन्हें देर रात 11 बजे जाकर ज़मानत पर रिहा किया।’

समिति ने कहा है कि ‘आज खोरी गाँव में दशहत और डर का माहौल बना हुआ है । पुलिस रात को आती है और गाँव के नौजवानों को उठा ले जाती है। पुलिस प्रशासन मज़दूरों के साथ भद्दा मजाक सा करती नज़र आ रही है।’

बयान में कहा गया है कि ‘पिछले लगातार दो दिनों से फरीदाबाद पुलिस प्रशासन खोरी गांव में जाकर सर्वे के नाम पर लोगों से संपर्क करती है लेकिन हर दहलीज़ पर खड़ी हुई महिलाएं अपना दरवाजा बंद कर लेती हैं। डर और खौफ में जी रहे खोरी के निवासी पुलिस की वर्दी से इतने भयभीत हैं कि अपनी जानकारी ठीक प्रकार से पुलिस के साथ साझा भी नहीं कर पा रहे हैं। जबकि पुलिस लोगों से अपराधियों जैसा सलूक कर रही है।’

समिति ने आरोप लगाया है कि पुलिस स्थानीय निवासियों से व्यक्तिगत जानकारी, भूमि संबंधित जानकारी, भूमाफियाओं की जानकारी मांग रही है लेकिन मज़दूरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं इकट्ठा नहीं कर रही है।

बयान में आरोप लगाया है कि ‘पुलिस द्वारा किया जा रहा सर्वे मज़दूर परिवारों को डराने धमकाने का एक हथकंडा है। इस फॉर्म भरवाया जा रहा है जिस पर किसी प्रकार का कोई सरकारी मुहर या किसी संस्थान व विभाग का नाम नहीं है और ना ही सर्वे का जिक्र है।’

समिति ने कहा है कि ‘दो जुलाई को खोरी गांव में एक व्यक्ति की लाश मिली है जिसकी शिनाख्त अभी हो नहीं पाई है। गांव में इस बात को लेकर गांव में दुख का माहोल हैं। यह गांव में तोड़ फोड़ आदेश के बाद दुख एवं अवसाद में हुई कई मौतों में से एक है। ये लगातार हो रही है मौतें साफ शब्दों में हत्याएं है जो इस खौफ के माहोल में बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट, केंद्र एवं राज्य सरकार को इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है।’

संघर्ष समिति ने प्रशासन ने चार मांगें रखी हैं, जिनमें जहाँ झुग्गी वहीं मकान के वादे के पूरा करना, जिन मज़दूरों के घरों को तोड़ा गया हैं ,उनको मुआवजा देने, बिजली ,पानी की सप्लाई तुरंत बहाल करने और प्रशासनिक दमन के कारण जिन मज़दूरों की मौत हुई है उन्हें मुआवाज़ा देना शामिल है।

अब कहां से आ गए खोरी गांव वालों के लिए 1400 फ्लैट? खट्टर ने पहले क्यों नहीं किया इंतज़ाम?

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Workers Unity Team

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