खोरी गांव: भारी बारिश में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर महिलाएं-बच्चे और बुजुर्ग, ”अघोषित आपातकाल की स्थिति”
खोरी गांव के बेघर हो रहे मजदूरों की विपदा जस की तस बनी हुई है। सोमवार को मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्यों ने फरीदाबाद नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर मांग की है कि खोरी गांव के पुनर्वास की नीति में बदलाव किया जाए, ताकि सही मायने में खोरी गांव के लोगों का पुनर्वास हो सके।
समिति के अनुसार प्रशासन के द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट में बहुत सी खामियां हैं और इन खामियों को दूर करने की जरूरत है।
वर्तमान समय में जब लोगों के घरों तक को उजाड़ दिया गया है और बरसात अपना विकराल रूप दिखा रही है ऐसी विपरीत परिस्थितियों में खुले आसमान के नीचे लोगों के जीवन पर बन आई है छोटे बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं और बुजुर्ग बीमार लोगों को दवाइयां भी नहीं मिल पा रही है।
बिना पुनर्वास के तोड़फोड़ ऐसा प्रतीत होता है की प्रशासन में खोरी गांव पर आपातकाल लगा रखी है और खोरी गांव के निवासियों को सभी मूलभूत अधिकारों को छीन लिया जिसमें आवास का अधिकार भी है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे खोरी के लोगों से जीवन जीने का अधिकार ही छीन लिया गया है।
ऐसी विकट परिस्थितियों में भी लोग अपने उजड़े हुए आशियाने और बिखरे हुए सामान के साथ रोड पर खुले आसमान के नीचे भारी बारिश में जीवन जीने को मजबूर है।
मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया की समिति की तरफ से खोरी गांव के पुनर्वास के ड्राफ्ट में संशोधन कर नोटिफाई करने हेतु सुझाव दिए गए हैं ।
प्रमुख रूप से सरकार के द्वारा लोगों से रूपये 375,000 कि जो रकम मांगी जा रही है वह इस महामारी एवं बेदखली में बिल्कुल भी संभव नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार पुनर्वास नहीं पीड़ितों को फ्लैट बेच रही है।
सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा की खोरी गांव के लोगों को फ्लैट मुफ्त में दिया जाना चाहिए वही महिला सदस्य फुलवा ने सरकार द्वारा अस्थाई आश्रय के लिए ट्रांजिट कैंप की मांग की।
आज एक बार फिर खोरी गांव में फरीदाबाद नगर निगम अपने बुलडोजर एवं पोकलेन लेकर भारी पुलिस बल को लेकर लगभग 800 घरों को तोड़ दिया है।
लोगों के घरों को ध्वस्त करने के लिए पहुंचे नगर निगम फरीदाबाद और पुलिस बल ने तोड़फोड़ करनी शुरू करें तो तकरीबन 300 औरतें, छोटे बच्चे और बुजुर्ग महिलाएं सब लोग प्रशासन से पुनर्वास के लिए गुहार लगा रहे थे तभी प्रशासन के द्वारा महिलाओं और बच्चों पर लाठीचार्ज किया गया ।
लाठीचार्ज के बाद 14 लोगों पर विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई जिसमें की धारा 188 भी लगाई गई ताकि लोगों को जमानत ना मिल सके ऐसे गंभीर समय में पुलिस प्रशासन के द्वारा पीड़ितों पर किया गया हिंसात्मक कृत्य निंदनीय है। मजदूर आवाज संघर्ष समिति कड़े शब्दों में इसका विरोध करती है।
गिरफ्तार किए गए लोगों के बेदखल का शिकार हुए परिवार के सदस्य खुले आसमान के नीचे अपने परिजन की राह ताक रहे हैं।
निर्मल गोराना ने बताया की अपने घर को टूटता देखकर असलम नमक व्यक्ति ने खुदकुशी करने का प्रयास किया। पुलिस ने असलम को पीट कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया किंतु आज असलम को भी अदालत से जमानत मिल गई है।
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