जींद की महापंचायत में राकेश टिकैत पहुंचे, सरकार के सामने रखीं पांच मांग
पिछले 2 महीनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान अब अपने आंदोलन को तेज धार देने की तैयारी कर रहे हैं।
28 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ हुए घटना के बाद से उत्तर प्रदेश और हरियाण के कई इलाकों में किसानों ने महापंचायत करना शुरु कर दिया है।
हरियाण के जींद में बुलाई गई आज के किसान महापंचायत में भी किसानों की भारी भीड़ पहुंची।
जींद में हुए किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे और किसानों ने सर्वसम्मति से कृषि कानूनों को रद्द कराने का प्रस्ताव पारित हुआ।
पांच प्रस्ताव यहां पारित किए गए जिनमें किसानों की कर्ज़ माफ़ी, तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करना, एमएसपी पर क़ानून बनाना, 26 जनवरी के ट्रैक्टर परेड के दौरान गिरफ़्तार लोगों को रिहा करना और ज़ब्त किए गए ट्रैक्टरों छोड़ना और स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना शामिल है।
महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि ‘सरकार को ये काले कानून हर हाल में वापस लेने ही होगें। हम सरकार को अक्टूबर तक का समय दे रहे है अगर सरकार नही मानी तो किसान 44 लाख ट्रैक्टरों के साथ मार्च करेगें।’
जींद के कंडेला गांव में किसानों के इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी मौजूद रहे।
हरियाणा में हुई इस महापंचायत लगभग 50 खापों के प्रतिनिधि के अलावा कंडेला खाप के प्रधान और सर्वजातीय खाप पंचायतों के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी टेकराम कंडेला भी मौजूद थे।
‘महापंचायत’ के आयोजक और कंडेला ‘खाप’ के अध्यक्ष टेक राम ने कहा,“कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा, प्रस्ताव में मांग की गई है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिले और गणतंत्र दिवस हिंसा के लिए किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं।”
राकेश टिकैत ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, दिल्ली में कीलें लगाई जा रही हैं, हम वो अपने खेतों में भी लगाते हैं। राकेश टिकैत ने आगे कहा कि “अभी हमने बिल वापसी की बात की है, अगर गद्दी वापसी की बात हुई तो क्या करोगे।”
(द क्विंट की खबर से इनपुट के साथ)
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